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ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि में नव विक्रम संवत 2078 - Sabguru News
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ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि में नव विक्रम संवत 2078

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ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि में नव विक्रम संवत 2078

सबगुरु न्यूज। नव विक्रम संवत 2078 का प्रारंभ 12 अप्रैल 2021 को सुबह 8 बजकर एक मिनट सोमवार को हुआ। इस दिन चैत्रीय शुक्ल प्रतिपदा शुरू हो गई और उस समय रेवती नक्षत्र वैधृति योग वृष लग्न था।

आकाशीय ग्रह स्थितियो के अनुसार ग्रह इस वृष लग्न मे वृष राशि में मंगल व राहू तथा सप्तम भाव की वृश्चिक राशि में केतु और नवम भाव की मकर राशि मे शनि, दसम भाव की कुंभ राशि में वृहस्पति, 11वें भाव की मीन राशि में सूर्य चन्द्र और बुध तथा 12वें भाव की मेष राशि में शुक्र ग्रह बैठे हैं।

चैत्रीय शुक्ल प्रतिपदा को सोमवार होने के कारण वर्ष का राजा चन्द्र ही होगा लेकिन इस सुबह सूर्योदय के बाद तक अमावस्या होने के कारण लोकाचार में चैत्रीय और बसंत नवरात्रा अगले दिन 13 अप्रैल 2021 मंगलवार ही माना जाएगा और वर्ष का राजा भी मंगलवार का अधिपति ग्रह मंगल ही राजा माना जाएगा।

इस कारण विभिन्न पंचागों में यह मतांतर मिलेगा। भले ही मान्यताएं जो भी हो लेकिन नव वर्ष प्रवेश के ग्रहों की कुंडली और वर्ष फल 12 अप्रैल 2021 को अमावस्या के खत्म होने और शुक्ल प्रतिपदा के सुबह 8 बजे प्रारंभ होने से ही माना जाएगा। यहां भी सूर्योदय के कारण कही स्थानों पर नव विक्रम संवत के प्रवेश की कुंडली मेष लग्न की बनाती जाएगी।

ज्योतिष शास्त्र के दृष्टिकोण से गुरूमान के अनुसार यह राक्षस संवत्सर होगा। संहिताओं के अनुसार इस राक्षस संवत्सर में भय पीडा रोग व वर्षा का कही अधिक व कम होना तथा मानव में एकाकीपन बढेगा। बेरोजगारी व महंगाई भी बढेगी।

ज्योतिष शास्त्र की संहिताओं के अनुसार आकाशीय ग्रहों की केंद्रीय परिषद के अनुसार इस वर्ष राजा व मंत्री का कार्य भार मंगल ग्रह के अधीन रहेगा। आकाशीय मंत्री परिषद के 10 विभागों में से अकेले मंगल के पास 4 पद हैं। यह स्थिति शुभ नहीं रहती है और प्राकृतिक आपदा का सामना करने का संदेश है। गर्मी बढेगी और जन जीवन तथा पेड पोधो और वनस्पति को प्रभावित करेग। आगजनी बम विस्फोट अग्नि कांड तथा आतंकवाद बढने के योग बने हैं।

खरीफ फसलों के स्वामी ग्रह शुक्र होंगे तो धान्येश बुध होकर रबी फसलों का भार संभालेंगे। मेघों के स्वामी ग्रह कहीं मंगल तो कहीं चन्द्रमा होंगे। रसेश अर्थात रस पदार्थो के स्वामी ग्रह सूर्य होंगे जैसे दूध तेल घी शक्कर गुड आदि निरसेश शुक्र ग्रह होंगे। कपूर अगर स्वर्ण, मोती, सुगंध तथा खनिज पदार्थ आदि। फलेश का पद चन्द्रमा के पास होगा जो फल फूल शाक सब्जी आदि। धनेश का पदभार गुरू ग्रह के पास रहेगा। धन धान्य और सुख समृद्धि बढाएंगे। दुर्गेश का पद चन्द्रमा के पास होगा शासन वाले सजग रहेंगे और विकास और शाति की ओर बढेंगे।

श्रावण नाम का वर्ष होने से जनता में हर्ष बढे। दूध दही घी का उत्पादन खूब होगा और पशु धन में वृद्धि होगी। रोहिणी का वास तट पर होने से वर्षा के अच्छे योग बने हुए हैं। उद्योग धंधे बढेंगे तथा औद्योगिक विकास होगा। नवीन योजना बढे।

संवत का वास रजक के घर में होने से नदी तालाब में जल स्तर बढेगा। आवर्त नामक मेघ होने से वर्षा में कमी होती है और रबी फसलें प्रभावित होती है। संवत और मेघों के कारण कहीं अल्प वृष्टि तो कही अति वृष्टि के योग बने हुए हैं। संवत के राजा का वाहन बैल तथा संवत्सर का वाहन नाव है। गेंहू चावल जो चना कपास व सरसो की पैदावार कम होने के योग बन रहे हैं।

ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार जब आकाशीय ग्रह नक्षत्र की स्थिति और वार के अनुसार राजा और मंत्री दोनों पद ही मंगल ग्रह के पास होने से शुभ नहीं बताया गया है और मंगल अपने गर्म प्रवृति के अनुसार देश के शासकों में विरोध बढाता है। प्रजा को भय रोग पीडा उपद्रव जैसे संकटों से सामना कराता है। वर्षा कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अल्प वृष्टि करती है तथा कृषि उत्पादन को प्रभावित करती है। आम जन एकाकी बनने की ओर चलेंगे।

खरीफ फसलो का स्वामी शुक्र ग्रह बना हुआ है जो सुख साधन बढाता है तथा कृषि उपज मूंग, मोठ, बाजरा, गन्ना, फल, फूल भूमि में उत्पन्न करता है। रबी फसलों का उत्पादन भी ठीक रहेगा। बुध ग्रह इन फसलों के स्वामी ग्रह होने के कारण बाजार भावों पर उतार चढाव करेगा।
मेघेश बनकर मंगल व चन्द्र वर्षा की अल्प व अति वृष्टि कर अन्न की पैदावार को प्रभावित कर कही उद्योग धंधे बढाएगा तो कहीं कम करेगा।

रसेश पद पर सूर्य बैठ कर रस वाली वस्तुएं दूध, घी, तेल, घी, गुड, शक्कर की पैदावार को प्रभावित करेगा। नीरसेश के पद पर शुक्र ग्रह आसीन होकर सुगंध और खनिज पदार्थ को पनपाएंगे तथा सोना मोती चन्दन और सुगंधित पदार्थ के भावो को कमजोर करेगे। फलेश का पदभार चन्द्रमा के पास होने से फल, फूल, सब्जी खूब उत्पन्न करेंगे और बाजार को प्रतिस्पर्धात्मक बनाएंगे। धनेश गुरू होने से धन लाभ सुख वैभव आदि खूब बढाएंगे।

दुर्गेश का पद भार चन्द्रमा के पास होने से शासक वर्ग जनता को सुखी करने मे लगे रहेंगे। कुल मिलाकर दैवज्ञ और ज्योतिष पंचागों के अनुसार इस वर्ष प्रजा को रोगों से सावधान रहना पडेगा क्योंकि मंगल ग्रह पेट और आंतों तथा खून से सम्बंधित बीमारियो को बढाने के संकेत देता है।

मंगल व राहू की युक्ति भी विश्व को अशांत कर असंतोष फैलाने के संकेत बताती है और इस कारण वश बैर विरोध, लड़ाई, झगडे, युद्ध, बममारी, विस्फोट, खून खराबा, हत्या, उग्र प्रदर्शन, अग्नि का प्रकोप, अग्नि से नुकसान, आकस्मिक दुर्घटना व भारी विश्वासघात से हानि होने के संकेत देते हैं। अतः सजगता पूर्वक रहने के संकेत ग्रह चाल बताती है। प्राकृतिक प्रकोप से सावधानी बरते और मौसमी बीमारियों को महामाारी ना बनने दे। राजनेता भी सावधानी बरतें और शांति बनाए रखने के प्रयास करें।

आर्थिक विकास की दृष्टि से यह संवत ज्यादा लाभदायक होगा। कई नए उद्योग धंधे और बडी निर्माणी कम्पनियों की स्थापना होगी तो वही कई बडे उद्योग धंधे सदा के लिए विदा हो जाएंगे। लोह निर्माणी उद्योग, भवन निर्माण उद्योग तथा मशीनरी व रासायनिक वैकल्पिक ऊर्जा उद्योग, कल करखाने व मशीन उद्योग खनन उद्योगों के कारण आर्थिक विकास अच्छा होगा। सितंबर के बाद हर क्षेत्रों में शनै शनै शांति और प्रगति होगी और हर तरह के असंतोष कम होने लगेंगे।

ग्रहों के संकेत तो मात्र आने वाले कल की चाल ही बताते हैं और हर क्षेत्र में सजगता से ही रहने के संकेत देता है लेकिन सच क्या होगा यह तो सृष्टि का परम अध्यक्ष ही जानता है। मानव की सीखी हुई या अनुभव से ली विद्या केवल अनुभव के अनुमानो को प्रस्तुत करती है अत किसी भी त्रुटि या गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। नव विक्रम संवत 2078 की शुभकामनाओ के साथ और देश दुनिया मे शांति और विकास बढे इसी कामन के साथ।

भंवर लाल
जयोतिषाचार्य
अध्यक्ष, जयोतिष चक्रे संस्थान अजमेर