नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के वेदांता ताम्र संयंत्र को ऑक्सीजन उत्पादन के लिए खोले जाने की मंगलवार को अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश उस वक्त दिया जब उसे अवगत कराया गया कि तमिलनाडु सरकार ने सर्वदलीय बैठक में संयंत्र को ऑक्सीजन उत्पादन के लिए चार महीने खोलने का निर्णय लिया है।
न्यायालय का यह आदेश कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर के कारण पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए आया है। न्यायालय ने कहा कि वेदांता केवल मेडिकल श्रेणी के ऑक्सीजन उत्पादन के लिए अपना संयंत्र खोल सकता है, लेकिन इस आदेश का असर वेदांता के मूल मुकदमे पर नहीं पड़ेगा।
खंडपीठ ने वेदांता में उत्पादन संबंधी गतिविधियों की निगरानी को लेकर एक समिति भी गठित की है, जिसमें तूतीकोरिन के जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, जिला पर्यावरण अभियंता, सब-कलेक्टर तथा संबंधित मामलों की जानकारी रखने वाले दो सरकारी अधिकारी शामिल होंगे। समिति यह निर्णय करेगी कि संयंत्र में कितने आदमी प्रवेश करेंगे।
पिछली सुनवाई को न्यायालय ने कहा था कि जब ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं, तो तमिलनाडु सरकार बंद पड़ी वेदांता के स्टरलाइट तांबा संयंत्र इकाई से ऑक्सीजन का उत्पादन क्यों नहीं करती। न्यायालय ने कहा था कि उसकी दिलचस्पी वेदांता या किसी कंपनी के चलाने में नहीं है, बल्कि संकट के समय में ऑक्सीजन उत्पादन से है।
तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए कहा था कि जिला कलेक्टर ने स्थानीय लोगों से इस मसले पर बात की है। इस प्लांट को लेकर लोगों में अविश्वास का माहौल है।
वैद्यनाथन ने कहा था कि वह ऑक्सीजन उत्पादन के लिए संयंत्र को खोलने या न खोलने के बारे में राज्य सरकार से मशविरा करके सोमवार तक अदालत को अवगत कराएंगे। तूतीकोरिन के प्रभावित परिवारों के संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्विज ने कहा था कि यदि तमिलनाडु सरकार इस संयंत्र को अपने हाथ में लेकर ऑक्सीजन का उत्पादन करती है तो लोगों कोई दिक्कत नहीं है।