जयपुर। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के शैक्षिक प्रकोष्ठ की ओर से शोध के विषय, गुणवत्ता और प्रक्रिया के संबंध में सोमवार को एक ऑनलाईन विमर्श का आयोजन किया गया।संगोष्ठी में प्रो भगवती प्रकाश शर्मा कुलपति गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा उत्तर प्रदेश मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे।
मुख्य वक्ता ने अपने उदबोधन में विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज शोध के विषय के रूप में भारत के विविधतापूर्ण सामाजिक- सांस्कृतिक समाज की विशेषताओं, भारतीय वान्ग्मय में निहित ज्ञान राशि के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पक्ष तथा भारतीय इतिहास की सम्यक दृष्टी का सर्वथा अभाव दिखता है।
आज आवश्यकता है कि भारत के शास्त्रों एवं लोक के विविध रंगों को अपने अध्ययन का केन्द्र बनाया जाए। हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी ऐसी ही अपेक्षा है। उन्होँने कहा कि हमारे जनजातीय समाज की परम्पराओं और पहचान को विकृत करने का प्रयास हो रहा है जो हमारी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता के लिए घातक है।
अत: इस प्रकार के शोध की महती आवश्यकता है जो भारत के सही स्वरूप को प्रदर्शित करती हो। उन्होँने आगे कहा कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी नवोन्मेषी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे उभरते क्षेत्रों में शोध ही भारत को आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष प्रो जेपी सिंघल ने कहा कि एक राष्ट्रीय शैक्षिक संगठन के रूप में हमारा यह दायित्व है कि इस प्रकार के विभिन्न विषयों को वर्गीकृत कर अलग अलग विषयों में रूचि रखने वाले अध्यापकों के समूह बनाए जाएं जो इस प्रकार के शोध विषयों को बढ़ावा दे सके।
उन्होँने शोध की गुणवत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि शोध निर्देशक और शोधार्थियों को चलती आ रही परिपाटीयों को छोड़ना होगा। उन्हें सुविधाजनक मानसिकता से बाहर निकल कर मौलिक शोध को बढ़ावा देना होगा।
संगोष्ठी में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मन्त्री महेन्द्र कपूर, राष्ट्रीय महामंत्री शिवानन्द सिन्दकेरा, अतिरिक्त महामंत्री डा निर्मला यादव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हिम्मत सिंह जैन, पी वेंकटराव, डा कल्पना पांडे, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष संजय कुमार राउत, संयुक्त मंत्री डॉ नारायण लाल गुप्ता एवं अनेक राज्यों के प्रतिनिधि शामिल थे।
संगोष्ठी का संचालन शैक्षिक प्रकोष्ठ के अखिल भारतीय प्रमुख प्रो शैलेष मिश्रा तथा धन्यवाद ज्ञापन जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के आचार्य प्रो माधव गोविन्द ने किया।