लंदन। मैरीलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) विलो के पेड़ के बजाय बांस से बल्ले बनाने के विचार को ठुकरा दिया है। एमसीसी ने कहा है कि वर्तमान कानूनों के तहत यह अवैध होगा। कानूनों के मुताबिक बल्ले केवल लकड़ी के बने होने चाहिए और सीनियर क्रिकेटरों के लिए बल्लों पर ब्लेड से लैमिनेशन भी प्रतिबंधित है।
वहीं क्रिकेट के नियमों के संरक्षकों ने इस प्रयोग का स्वागत किया है। उनके मुताबिक विलो पेड़ के बजाय इस विकल्प पर भी विचार किया जाना चाहिए। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में सामने आया है कि बांस से बने बल्ले विलो पेड़ के साथ बनाए गए पारंपरिक विकल्पों की तुलना में अधिक टिकाऊ हैं।
शोधकर्ता दर्शील शाह के मुताबिक बांस का बल्ला विलो के मुकाबले ज्यादा सख्त और मजबूत है। संरक्षकों के हवाले से उन्होंने कहा कि यह विलो बैट की तुलना में भारी है और हम इसे अनुकूलित करना चाहते हैं, लेकिन कानून के मुताबिक बल्ले के ब्लेड में पूरी तरह से लकड़ी होनी चाहिए, इसलिए बांस के लिए कानून में बदलाव की आवश्यकता होगी।
एमसीसी ने एक बयान में कहा कि कानून में किसी भी संभावित संशोधन को ध्यानपूर्वक करने की जरूरत होगी, विशेष रूप से अधिक शक्ति का उत्पादन करने वाले बल्ले की अवधारणा के संदर्भ में।
एमसीसी ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की है कि बांस से बने बल्ले मजबूत नहीं है। इस उद्देश्य से बल्लों के आकार और सामग्री को सीमित करने के लिए 2008 और 2017 में कदम उठाए गए थे। एमसीसी कानूनों से संबंंधी उप-समिति की अगली बैठक में इस विषय पर चर्चा करेगा।