नई दिल्ली। असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) प्राधिकरण ने 31 अगस्त-2019 को प्रकाशित एनआरसी मसौदे में अनियमितता बरते जाने का हवाला देते हुए इसके व्यापक और समयबद्ध पुन:सत्यापन की मांग को लेकर गुरुवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
असम में एनआरसी के प्रदेश समन्वयक हितेश देव सरमा ने भी एनआरसी मसौदे में संशोधन के अलावा असम के मतदाता सूची से अवैध मतदाताओं के नाम हटाने की मांग की है।
याचिका में नागरिकता अनुसूची (नागरिक पंजीकरण का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम-2003 की एक प्रासंगिक धारा के तहत पूरक सूची के लिए भी आग्रह किया गया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि मसौदे में कुछ महत्वपूर्ण महत्व के मुद्दों को खारिज कर दिया गया जिससे इसकी प्रक्रिया में विलंब हुआ।
इससे पहले जुलाई-2019 में भी केंद्र और असम सरकार ने एनआरसी मसौदे के पुन: सत्यापन की मांग को लेकर शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी, लेकिन न्यायालय में प्रस्तुत उस हलफनामे के आधार पर इसे खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि 27 प्रतिशत नामों का पहले ही पुन:सत्यापन किया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को अपने पद की शपथ लेने के बाद नागरिकों को विवादास्पद एनआरसी के पुन:सत्यापन कराने का आश्वासन दिया था।
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