आबूरोड(सिरोही)। सिरोही जिले की आबूरोड तहसील के विकास से अछूते आदिवासी बहुल दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में बसे 4 परिवार इन दिनों खासी चर्चा का कारण बने हुए हैं। पेयजल व पगडंडी तक को मोहताज उपलागढ़ की घाटा फली के इन आदिवासी 4 परिवारों के सदस्यों ने श्रमदान कर जोखिम भरे पहाडी रास्ते पर आवागमन के लिए पगडंडी को चलने लायक बनाने की ठान ली।
उपलागढ़ गांव की घाटा फली में काफी ऊंचाई पर पीढियों से रह रहे कुल जमा पांच आदिवासी परिवारों का जीवन कठिन होने के साथ ही आवागमन की राह भी जोखिम भरी है। दिन, रात, देर, सवेरे पहाड से पत्थरों से लुढ़कना। ऐसे में मौत से खुद को बचाना फिर आगे बढ़ना इन आदिवासी परिवारों की नीयति बन चुका था। दूर दराज से पानी लेकर चढ़ाई करती महिलाओं के मटके पत्थर खिसकने से फूटेते, तो कभी बेजुबान मवेशियों के चोटिल हो जाने से ये परिवार मन मसोस कर रह जाते।
पगडंडी निर्माण में अब खुद जुटे
इन परिवारों के लोग मिलकर अपने स्तर पर श्रमदान के जरिए पगडंडी के बीच आ रहे पत्थरों को हटाकर रास्ता सहज करने में जुट गए हैं। सुबह, दोपहर और देर शाम तक इस श्रमदान में पसीना बहा रहे रमला ने बताया कि हम सभी बच्चे, बडे व महिलाएं पगडंडी के बीच आ रहे पत्थरों को हटाने में लगे हुए हैं। हाल ही में एक गाय पहाडी सेलुढ़क गई थी ऐसे में 15 दिन तक इसी जोखिम भरे पत्थरों के बीच पानी ले जाकर बेजुबान की प्यास बुझाई थी।
ये हैं चार परिवार के मुखिया
रमला पुत्र रावता गरासिया, भाणा पुत्र रावता गरासिया, भेरा पुत्र चतरा गरासिया व मणा पुत्र सुरता गरासिया। निवासी घाटा फली ग्राम पंचायत उपलागढ़, तहसील आबूरोड जिला सिरोही राजस्थान।