अजमेर। दुनिया की अधिकांश जनसंख्या आज कोरोना के संक्रमण के भय से त्रस्त है। इस संक्रमण की चिकित्सा व रोकथाम की औषधियों व टीकों पर बड़ी कम्पनियों के पेटेण्ट के कारण ये सबको सुलभ नहीं हैं। मानव का जीवन का अधिकार, सार्वभौम मौलिक अधिकार है। कुछ कम्पनियों को पेटेण्ट से मुनाफा कमाने हेतु असीमित अधिकार देकर करोड़ों लोगों के जीवन के अधिकार पर आंच आए, ऐसा नहीं होने दिया जा सकता।
इन टीकों और दवाओं को सस्ता व सर्व सुलभ कराने के लिए, भारत के लोगों द्वारा इन टीकों व दवाओं को पेटेंट मुक्त कर इनकी टेक्नालॉजी के हस्तांतरण के लिए स्वदेशी जागरण मंच ककी ओर से एक सघन अभियान चलाया जा रहा है। यद्यपि कोविड के इलाज से सम्बंधित कई दवाओं का स्थानीय उत्पादन हो रहा है, लेकिन समस्या की गंभीरता के कारण बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उपलब्ध मात्रा अत्यधिक अपर्याप्त है।
स्वदेशी जागरण मंच की ओर से मंगलवार को आयोजित एक वर्च्युअल संवाददता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विभाग संयोजक संजय शर्मा, प्रचार प्रमुख संत कुमार व महानगर संयोजक डा कुलदीप सिंह शेखावत ने कहा कि इजराइल, अमरीका, इंग्लैंड आदि जिन 6 देशों की वयस्क जनसंख्या का टीकाकरण हो गया है वहां कोरोना संकट लगभग समाप्त हो गया है।
इसलिए भारत सहित विश्व की समग्र वयस्क जनसंख्या(लगभग 600 करोड़) का तत्काल टीकाकरण आवश्यक है। इसके लिए स्वदेशी जागरण मंच ने कोविड के टीकों व औषधियों को पेटेंट मुक्त कर इनकी टेक्नालॉजी इनके उत्पादन में सक्षम सभी दवा उत्पादकों को सुलभ कराने की मांग करते हुए सघन जन जागरण अभियान छेड़ा है।
इसके अन्तर्गत देश भर में व देश के बाहर भी टीकों व औषधियों की सर्व सुलभता हेतु युनिवर्सल एक्सेस टु वेक्सीन्स एण्ड मेडिसिन्स अर्थात युवम (UAVM) के नाम से यह अभियान चल रहा है।इसमें आनलाईन हस्ताक्षर अभियान सहित वेबिनार, गोष्ठियों, प्रदर्शन, सम्पर्क प्रचार की प्रक्रिया चल रही है।
भारत में भी कम से कम 70% जनसंख्या के टीकाकरण के लिए लगभग 200 करोड़ खुराक की आवश्यकता है। इस बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए इनकी प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की सुविधा और इनके पेटेंट और व्यापार रहस्य सहित बौद्धिक संपदा अधिकार सम्बन्धी बाधाओं को दूर करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर उपाय करने होंगे।
‘वैश्विक सर्वसुलभ वैक्सीन एवं दवाइयां अभियान’ के अंतर्गत देश और विदेश के विविध समाजिक, संस्कृतिक व सभी प्रकार के संगठनों, शिक्षण संस्थानों, प्रबुद्ध जनों शिक्षाविदों, न्यायाधीशों और सभी व्यक्तियों से सहयोग लिया जा रहा है। 28 मई 2021 को इस संबंध में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का भी कुछ विश्वविद्यालयों भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा आयोजन किया गया था।
भारत सरकार ने दक्षिण अफ्रीका के साथ, विगत अक्टूबर में ही इन्हें पेटेण्ट मुक्त करने का विश्व व्यापार संगठन में जो ट्रिप्स समझौते से छूट का प्रस्ताव रखा उसका 120 देशों ने अब तक समर्थन कर दिया है। इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे देशों/कम्पनियों/व्यक्ति समूहों से हम पुरजोर आग्रह करते हैं कि मानवता के हित में, वे अविलंब इसका विरोध बन्द करें।
UVAM, विश्व व्यापार संगठन, सहित विश्व की सभी सरकारों से दृढ़तापूर्वक आग्रह करता है कि
टीकों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सभी संभावित निर्माताओं के लिए व्यापार रहस्य सहित टीकों के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण,कच्चे माल की उपलब्धता,व्यापार रहस्य सहित सभी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।
रेमेडीसविर, फेविरेसीर, टोसीलुजुमाब और अन्य आवश्यक दवाओं के उत्पादन और मोलनुपीरविर जैसी नई दवाओं का प्रचुरता से उत्पादन सुनिश्चित किया जाए।
वैश्विक स्तर पर वैक्सीन और दवाईयों के पर्याप्त उत्पादन के साथ- साथ इनके मूल्यों पर प्रभावी नियंत्रण भी आवश्यक है।
इस हेतु WTO, G-7, G-20 और अन्य वैश्विक मंचों के माध्यम से राजनयिक प्रयासों में तेजी लायी जाए डिजिटल हस्ताक्षर अभियान में अभी तक लगभग चार लाख लोग इस याचिका पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। एसी ही एक दूसरी याचिका पर भी भारत और विश्व के 20 देशों के 1600 से अधिक अति उच्च शिक्षाविदों/प्रबुध नागरिकों ने हस्ताक्षर करते हुए मांग की है कि:
1. विश्व व्यापार संगठन, बौद्धिक संपदा अधिकार के प्रावधानों में छूट दे।
2. वैश्विक दवा निर्माता और वैक्सीन निर्माता कपनियां स्वेच्छा से, मानवता के लिए, अन्य निर्माताओं को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित पेटेंट मुक्त अधिकार दें।
3. सरकार पेटेण्ट धारकों से इतर भी अन्य सभी दवा निर्माताओं को वैक्सीन व दवाईयां को बनाने का अधिकार, आवश्यक प्रौद्योगिकी व उत्पादन सामग्री की उपलब्धता के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं। उन्हें प्रोत्साहन दे।
4. कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए एवं वैक्सीन और दवाओं की वैश्विक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, सभी देशभक्त जनता, संबंधित व्यक्ति और संगठन बढ़-चढ़कर आगे आएं।