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शराब तस्करी का ऐसा नेटवर्क की भूल जाओगे ‘डीएस’ को, संदेह से बाहर नहीं पुलिस

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शराब तस्करी का ऐसा नेटवर्क की भूल जाओगे ‘डीएस’ को, संदेह से बाहर नहीं पुलिस
bootlegging in sirohi
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सिरोही। राजस्थान के सिरोही जिले में शराब तस्करी का ऐसा नेटवर्क तैयार किया जा चुका है कि नब्बे के दशक के अंत में सिरोही पुलिस के लिए मुसीबत बने शराब तस्कर डीएस को लोग भूल जाएंगे। डीएस के समय भी सिरोही पुलिस को इसी तरह की शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी, जैसी अभी हो रही है।

डीएस, शराब तस्करी में पूर्वोतर गुजरात में एक बड़ा नाम था। आधे गुजरात में उसके तस्करी का जाल फैला हुआ था। तस्करी के मामले में उसे 2005 के आसपास गिरफ्तार किया गया। वहां रिमांड में लेने पर उसने जो जानकारी दी थी उसने राजस्थान और सिरोही के पुलिस महकमें में हड़कम्प मचा दिया था।

डीएस ने गुजरात पुलिस को अपना पूरा नेटवर्क सिरोही जिले के मंडार से संचालित करने की जानकारी दी थी तो उस समय राजस्थान पुलिस और उससे ज्यादा सिरोही पुलिस की किरकिरी हुई थी। उस समय भी सिरोही पुलिस की सरपस्ती में शराब तस्करी संचालित होने का आरोप लगे थे, लेकिन उस सयम राजस्थान सरकार और पुलिस महकमें में आंखों की शर्म थी तो कई पुलिस वालों पर गाज गिरी थी।

किस तरह है डीएस से बड़ा नेटवर्क

सिरोही जिले में जो अवैध शराब पकड़ी गई है, उसका नेटवर्क डीएस से भी बड़ा है। डीएस की सप्लाई उत्तर और पूर्व गुजरात में ही थी। लेकिन, वर्तमान में जो सिरोही जिले से उदयपुर और डूंगरपुर तक का नेटवर्क बना है वो लगभग तीन चौथाई गुजरात को कवर कर रहा है। इस नेटवर्क को मिलाने का काम उदयपुर के किसी प्रतापसिंह नाम के शख्स ने किया। सूत्रों की मानें तो पुलिस विभाग को लाइजीन बैठाने का काम इसी के दिमाग की उपज है।

सूत्रों के अनुसार इसने डूंगरपुर और सिरोही के स्थानीय तस्करों को मिलाकर एक कोर्पोरेट स्टाइल का नेटवर्क बना लिया है। ऐसे में जहां डीएस जहां एक ही कस्बे से अपने काम का संचालन करता था। वहीं वर्तमान में सिरोही के तस्कर तीन जिलों से अपनी डंपिंग और सप्लाई कर रहे हैं। यह पूरा नेटवर्क पुलिस के सहयोग के बिना बनना संभव नहीं था।

सीमित था स्थानीय नेटवर्क

सिरोही का नेटवर्क कभी शिवगंज के उथमण टोल नाके, अनादरा रोड पर स्थित टोल नाके और सरूपगंज के उवारिया टोल नाके के बीचसीमित था। सूत्रों के अनुसार पिछले करीब सात-आठ महीने के प्रयासों से डूंगरपुर और उदयपुर के तस्करों के साथ आने से जिले के रेवदर, आबूरोड और पिण्डवाड़ा के सीमाई इलाको पर ये पूरी तरह छा गए हैं। कभी स्थानीय नेटवर्क पाली होते हुए अपने काम का संचालन करता था। लेकिन, उदयपुर और डूंगरपुर की लाइन जुडऩे के बाद पुरानी लाइन लगभग बंद ही हो गई है।

जुडऩी थी डोडे की लाइन

सिरोही जिला गुजरात से शराब का लीकर रुट का हिस्सा है तो चित्तौड़ से बाड़मेर के बीच अफीम रूट का भी हिस्सा है। सूत्रों की मानें तो शीघ्र ही सिरोही से डोडे की लाइन भी जुडऩी थी। लेकिन, शराब तस्करी के इतनी बड़ी डंपिंग पकड़ में आने के बाद इस प्रोजेक्ट पर विराम लग गया है। इसके लिए भी बिना किसी रोकटोक के आने जाने की व्यवस्था की जा चुकी थी।