अजमेर। सांसद मेनका गांधी द्वारा पिछले काफी समय से लगातार देश के विभिन्न हिस्सों के पशु चिकित्सकों को फोन करके धमकी देने, अपशब्द कहने और अमर्यादित व्यवहार करने के खिलाफ बुधवार को शास्त्री नगर स्थित पशुपालन विभाग के परिसर में पशु चिकित्सकों ने विरोध प्रदर्शन किया।
राजस्थान पशु चिकित्सक संघ अजमेर के महासचिव डा. आलोक खरे ने बताया कि मेनका गांधी सिर्फ एक सांसद होने के बावजूद पशु कल्याण के नाम पर अपनी दुकान चला रही हैं। पशु कल्याण की ठेकेदार बनकर वह डिग्री धारी पंजीकृत पशु चिकित्सकों के द्वारा किए गए कुत्तों के इलाज, आपरेशन आदि में कमियां निकाल कर पैसों की उगाही का प्रयास करती हैं।
मेनका गांधी डाक्टरों को पंजीकरण रद्द करवाने की धमकी देती हैं और असंसदीय भाषा का प्रयोग करती हैं। हाल ही में अभद्रता की सीमा लांघते हुए उन्होंने चिकित्सक के पिता तक को भी गालियां दे डालीं कि तुम्हारा बाप ड्राइवर था या माली था।
संघ के उपाध्यक्ष डा. मुदित माथुर ने बताया कि कुछ समय पहले मेनका गांधी का एक लेख विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि पशु चिकित्सक अशिक्षित परिवारों से आते हैं। मेनका गांधी का यह सामंतवादी रवैया उनके राजनीति जीवन के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है।
संयुक्त सचिव डा. भावना दहिया ने कहा कि अगर किसी पशु चिकित्सक से किसी पशु के इलाज में कोई गलती होती है तो उसकी जांच करने और चिकित्सक को दंडित करने की न्यायिक प्रक्रिया हमारे देश में है।
मेनका गांधी की स्वयं ही पुलिस और जज बनने की कोशिश इस लोकतांत्रिक देश के किसी भी न्याय प्रिय व्यक्ति को मंजूर नहीं होगी। मेनका गांधी ने तो कभी विज्ञान विषय का अध्ययन ही नहीं किया है। वह चिकित्सा पद्धति और चिकित्सक को समझने की कोशिश भी नहीं कर सकतीं।
महासचिव डा. आलोक खरे ने कहा कि पशु की वेदना व दर्द एक पशु चिकित्सक ही समझता है और हमेशा उसी के लिए काम करता है क्योंकि उसकी योग्यता ही पशुओं का दर्द दूर करने की है। मेनका गांधी सिर्फ राजनीति चमकाने के लिए पशुओं की हितैषी बनने का नाटक कर रही हैं।
राजस्थान पशु चिकित्सक संघ मेनका गांधी के कृत्यों की भर्त्सना करता है और मांग करता है कि सभी पशु चिकित्सक समाज से अपनी वाहियात हरकतों के लिए माफी मांगे, अन्यथा मेनका गांधी से सभी संसदीय अधिकारों से वंचित किया जाए।
इस विरोधी प्रदर्शन में संघ के उपाध्यक्ष डा. मुदित माथुर, संयुक्त सचिव डा. भावना दहिया, संयुक्त निदेशक डा. प्रफुल्ल माथुर, डा. नीतू अरोड़ा, डा. सीमा माथुर, डा. अजय मिश्रा आदि उपस्थित थे।