नई दिल्ली। देश में कुपोषण, रक्त की कमी और मधुमेह की बढ़ती समस्या को संतुलित पोषक आहार के माध्यम से दूर करने के उद्देश्य से ‘डिजाइनर एग’ के उत्पादन को बढावा दिया जा रहा है।
महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और रक्त की कमी की गंभीर समस्या को देखते हुए और बड़ी संख्या में मधुमेह पीड़ितों को संतुलित पोषक आहार उपलब्ध कराने को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने मुर्गियों के खानपान में पोषक और सूक्ष्म पोषक तत्वों को शामिल कर डिजाइनर एग तैयार किया है। यह अंडा सफेद रंग का सामान्य अंडों की तरह है लेकिन गुणवत्ता के कारण अपना विशेष स्थान रखता है।
राष्ट्रीय कुक्कुट अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के वैज्ञानिक कन्नन ने बताया कि मधुमेह पीड़ितों की समस्या को ध्यान में रखकर ऐसा डिजाइनर एग तैयार किया गया है जिसमें कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज की मात्रा बेहद कम है। एक अंडा में एक प्रतिशत से भी कम कार्बोहाइड्रेट है। एक अंडे का वजन 52 से 60 ग्राम के बीच होता है।
डा. कन्नन ने बताया कि एक सौ ग्राम अंडे (दो अंडा) में एक मिलीग्राम सूक्ष्म पोषक तत्व पाया जाता है। इसी प्रकार से दो अंडे में छह ग्राम प्रोटीन, एक अंडा में छह ग्राम वसा तथा भारी मात्रा में आयरन पाया जाता है। कैलशियम, फास्फोरस और जिंक भी इसमें मौजूद हैं जो इसको और पौष्टिक बनाते हैं। इसमें कई प्रकार के विटामीन भी पाये जाते हैं जो कुपोषण की समस्या को दूर करने में सक्षम हैं।
उन्होंने बताया कि छह माह की अवधि से मुर्गियां डेढ से दो किलो वजन की हो जाती है और अंडा देने लगती है। एक साल में ये मुर्गियां 250 से 300 तक अंडे देती है। मुर्गियों के सामान्य खानपान में थोड़ा बदलाव किया जाता है। इसमें आयरन की मात्रा को बढाया जाता है और जरुरत के हिसाब से भोजन में अन्य तत्वों को शामिल किया जाता है।
दक्षिण भारत के कई राज्यों में किसानों ऐसे अंउों का उत्पादन शुरु कर दिया है जिसका उन्हें सामान्य अंड़ों की तुलना में अधिक मूल्य मिलता है। कई कम्पनियां इन अंडों को खरीद रही है। किसानों को विशेष विधि से मुर्गियों के पालन का प्रशिक्षण दिया गया है और स्थानीय स्तर पर वैज्ञानिक समय समय पर उनकी मदद करते हैं।