अजमेर। राजस्थान में अजमेर स्थित विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खुलने के बाद यहां जायरीनों का दबाव बढ़ने लगा है।
जनअनुशासन अनलाक-चार के तहत दरगाह में सुबह छह से रात आठ बजे तक अकीदतमंदों एवं जायरीनों को प्रवेश दिया जा रहा है। इस्लामिक माह जिल हिज का चांद रविवार रात दिखाई देने के बाद यह भी तय हो गया कि अब ईद-उल-अजहा (बकरीद) 21 जुलाई बुधवार को न केवल अजमेर शरीफ बल्कि पूरे मुल्क में पूरी श्रद्धा के साथ मुस्लिम समाज मनाएगा। लेकिन अभी तक सार्वजनिक नमाज पर सरकार अथवा प्रशासन का कोई निर्णय नहीं आया है।
अजमेर के केसरगंज स्थित ईदगाह में अथवा अन्य मस्जिदों में कोरोना छूट के बावजूद सार्वजनिक नमाज पर संशय बना हुआ है। जिलहिज चांद नजर आने पर बकरीद से पहले 17 जुलाई को ख्वाजा साहब की महाना छठी भी होगी और ईद के मौके पर सुबह चार से अपराह्न दो बजे तक जन्नती दरवाजा भी परम्परागत तरीके से खोला जाएगा।
इस दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों के मुसलमान भी काफी संख्या में अजमेर शरीफ में रहेंगे। अजमेर में सेना भर्ती रैली में भाग लेने आ रहे युवक भी दरगाह की ओर रुख कर रहे हैं।