नई दिल्ली। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124(ए) अर्थात राजद्रोह के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक और याचिका गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में दायर की गई।
पूर्व आईटी मंत्री अरुण शौरी और गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज ने जाने माने वकील प्रशांत भूषण के जरिए यह याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने 1962 में ‘केदार नाथ बनाम बिहार सरकार’ मामले में इस प्रावधान को बरकरार रखा था, लेकिन अब कानून की स्थिति बदल गई है और मामले पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि राजद्रोह एक औपनिवेशिक कानून है, जिसका इस्तेमाल भारत में ब्रितानियों द्वारा असहमति को दबाने के लिए किया गया था। इससे पहले दो पत्रकारों ने राजद्रोह को चुनौती दी है, जो शीर्ष अदालत की एक पीठ के समक्ष लंबित है, जबकि आज एक सेवानिवृत्त मेजर जनरल एसजी वोम्बटकेरे की याचिका को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने ऐसी ही अन्य याचिका के साथ सम्बद्ध कर दिया।