राजसमंद। राजस्थान रावत-राजपूत महासभा ब्यावर एवं रावत महासभा राजस्थान पुष्कर के तत्वावधान में संयुक्त बैठक देवाता में महासभा प्रदेश अध्यक्ष नाथू सिंह घाटा व डॉ. शैतान सिंह पंवार के सान्निध्य में हुई।
महासभा संरक्षक एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट नंदकिशोर सिंह ने वैचारिक मतभेद के कारण तीन दशक पहले अलग हुई दोनों महासभाओं को पुनः एक करने हेतु अपना प्रस्ताव रखा। जिस पर सदन में उपस्थित महासभा के पदाधिकारियों ने स्वागत योग्य कदम बढ़ाया तथा इसे पुनः एक करके रावत-राजपूत समाज की मिशाल पूरे राजपूताना सहित भारतवर्ष में अग्रिम पंक्ति में लाने हेतु कटिबद्ध नजर आए।
राजियावास चुनाव के मतभेद से दो महासभा बनी
प्रदेश प्रवक्ता जसवंत सिंह मंडावर ने बताया कि लगभग 25-30 वर्ष पहले राजस्थान रावत-राजपूत महासभा के राजियावास में महासभा चुनाव में हुए मतभेद के बाद अजमेर क्षेत्र पुष्कर, नसीराबाद के रावत राजपूत समाज बंधुओं ने नवीन अलग रावत महासभा राजस्थान बनाकर शिरोमणि व समाज के परंपरागत महासभा से अलग कर दिया था। इसके बाद दोनों महासभाओं के अनवरत वैचारिक मतभेद बने रहे हैं। इस हेतु वर्तमान परिदृश्य में एकता के प्रयास के कदम ऐतिहासिक है। दोनों महासभा एक होने का मंत्र साकार होगा।
एकता प्रयास के साक्षी बने समाजबन्धु
इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट टीकम सिंह चौहान, प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण सिंह सेंदड़ा , प्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट डूंगर सिंह पंवार, प्रदेश सहसंयोजक संतोष सिंह चौहान, वरिष्ठ महामंत्री मोहन सिंह भूरिया खेड़ा, युवा प्रदेश अध्यक्ष प्रह्लाद सिंह कालब, युवा प्रदेश उपाध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह भाटी, जवाजा संभाग अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह काबरा, क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक समिति अध्यक्ष टील सिंह पीटीआई, संयुक्त मंत्री शिक्षा समिति कालू सिंह, चंद्रपाल सिंह, जवाजा संभाग नवयुवक मंडल अध्यक्ष कुलदीप सिंह अनाकर, जवाजा संभाग युवा वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर सिंह सुरडिया़, युवा कोषाध्यक्ष प्रवीण सिंह कोटड़ा, पुष्पेंद्र सिंह भाटी सुरडिया़, हरिपुर संभाग नवयुवक मंडल अध्यक्ष अजीत सिंह, जालम सिंह, जेठू सिंह, मनोज सिंह पंवार, राकेश सिंह, चेतन सिंह, देवेन्द्र पाल सिंह आदि उपस्थित थे।