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what is guru purnima and Guru Purnima Poems in Hindi - Sabguru News
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गुरु पूर्णिमा कब है, क्या है गुरु पूर्णिमा का महत्व और गुरु पूर्णिमा पर कुछ कविताएं – Guru Purnima Poems in Hindi

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गुरु पूर्णिमा कब है, क्या है गुरु पूर्णिमा का महत्व और गुरु पूर्णिमा पर कुछ कविताएं – Guru Purnima Poems in Hindi
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गुरु यानी टीचर वह व्यक्ति जो अपने अनुभव और जानकारी से शिक्षा और जीवन जीने के ढंग को सिखाता है। वर्षों से गुरु शिष्य की परंपरा चली आ रही है। यहाँ तक की हिंदी पौराणिक कथाओं और ग्रंथो में गुरु को भगवान और माता पिता के बराबर माना गया है। एक गुरु सदैव अपने शिष्यों को सही रास्ते पर चलना सिखाते हैं। बुराइयों से लड़ना सिखाते हैं। कुछ पौराणिक किवदंतियों के अनुसार ऐसा माना जाता हैं कि जो व्यक्ति जीवन में मोक्ष की प्राप्ति चाहता है उसे गुरु के कदमो पर चलना चाहिए क्योंकि गुरु बिन ज्ञान नहीं, गुरु बिना मोक्ष नहीं। अर्थात गुरु के बिना संसार में कोई भी व्यक्ति ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता। गुरु के सम्मान में हर वर्ष गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन सभी छात्र अपने गुरुओं को तरह-तरह के तौह्फे देते हैं, उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और गुरु के आदर भाव में उन्हें गुरु पूर्णिमा स्टेटस (Guru Purnima Status in Hindi) शेयर करते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं गुरु पूर्णिमा कब है और इसका खास महत्व।

गुरु पूर्णिमा कब है – Guru Purnima Kab Hai

इस वर्ष गुरु पूर्णिमा  24 जुलाई 2021 को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की तिथि को पड़ेगा। गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ी पूर्णिमा और आषाढ़ गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन महृषि वेद व्यास जी के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है। वेद व्यास जी तीनों कालों के ज्ञाता थे इस कारण उन्हें प्रथम गुरु का दर्जा प्राप्त है। यह दिन पूरे भारत में बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लाष के साथ मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व – Guru Purnima ka Mahatva

गुरु को भगवान और माता पिता के बराबर दर्जा दिया गया है। इस कारण गुरु पूर्णिमा का बहुत महत्व होता है। इस दिन कुछ जगह पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। गुरू पूर्णिमा से ही वर्षा ऋतु का आरंभ होता है। इसी दिन महाभारत के रचयिता महर्षि व्यास का जन्मदिन भी मनाया जाता है। महर्षि व्यास को आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे।

गुरु पूर्णिमा कविता – Guru Purnima Poems in Hindi

अगर आप भी गुरु पूर्णिमा के अवसर पर एक नए नदाज़ में गुरु को विश करना चाहते हैं तो ये खूबसूरत कविताएं उन्हें एक सुन्दर से गिफ्ट के साथ सेंड करें। आप चाहें तो अपने सोशल मीडिया और दोस्तों के साथ भी गुरु पूर्णिमा कविता ( Guru Purnima Poems in Hindi) शेयर कर सकते हो।

  1. गुरु बिना ज्ञान कहां, उसके ज्ञान का आदि न अंत यहां। गुरु ने दी शिक्षा जहां, उठी शिष्टाचार की मूरत वहां। अपने संसार से तुम्हारा परिचय कराया, उसने तुम्हें भले-बुरे का आभास कराया। अथाह संसार में तुम्हें अस्तित्व दिलाया, दोष निकालकर सुदृढ़ व्यक्तित्व बनाया। अपनी शिक्षा के तेज से, तुम्हें आभा मंडित कर दिया। अपने ज्ञान के वेग से, तुम्हारे उपवन को पुष्पित कर दिया। जिसने बनाया तुम्हें ईश्वर, गुरु का करो सदा आदर। जिसमें स्वयं है परमेश्वर, उस गुरु को मेरा प्रणाम सादर।
  2. माँ पहली गुरु है और सभी बड़े बुजुर्गों ने कितना कुछ हमे सिखाया हैं गुरु पूजनीय हैं बढ़कर है गोविंद से कबीर जी ने भी हमे सिखाया हैं पशु पक्षी फूल काटे नदियाँ हर कोई हमे सिखा रहा हैं भारतीय संस्कृति का कण कण युगों युगों से गुरु पूर्णिमा की महिमा गा रहा हैं…
  1. जानवर इंसान में जो भेद बताए, वही सच्चा गुरु कहलाए.. जीवन पथ पर जो चलना सिखाए, वही सच्चा गुरु कहलाए.. जो धेर्यता का पाठ पढाए, वही सच्चा गुरु कहलाए.. संकट में जो हँसना सिखाए, वही सच्चा गुरु कहलाए.. पग-पग पर परछाई सा साथ निभाए, वही सच्चा गुरु कहलाए.. जिसे देख आदर से सर झुक जाए, वही सच्चा गुरु कहलाए..Happy Guru Purnima
  1. परम गुरु दो तो ऐसी विनम्रता दो कि अंतहीन सहानुभूति की वाणी बोल सकूँ और यह अंतहीन सहानुभूति पाखंड न लगे दो तो ऐसा कलेजा दो कि अपमान, महत्वाकांक्षा और भूख की गाँठों में मरोड़े हुए उन लोगों का माथा सहला सकूँ और इसका डर न लगे कि कोई हाथ ही काट खाएगा दो तो ऐसी निरीहता दो कि इसे दहाड़ते आतंक क बीच फटकार कर सच बोल सकूँ और इसकी चिन्ता न हो कि इसे बहुमुखी युद्ध में मेरे सच का इस्तेमाल कौन अपने पक्ष में करेगा यह भी न दो तो इतना ही दो कि बिना मरे चुप रह सकूँ
  1. गुरु के बिना ज्ञान नहीं ज्ञान के बिना कोई महान नहीं भटक जाता है जब इंसान तब गुरु ही देता है ज्ञान ईश्वर के बाद अगर कोई है तो वो गुरू है दुनिया से वाकिफ जो कराता है वो गुरु है हमें अच्छा इंसान जो बनाता है वो गुरु है बिना गुरु के जिंदगी आसान नहीं हमारी कमियों को जो बताता है वो गुरु है हमें इंसानियत जो सिखाता है वो गुरु है हमें जो हीरे की तरह तराश दे वो गुरु है हमारे अंदर एक विश्वास जगा दे वो गुरु है जिसके पास नहीं है गुरु समझ लेना कि वो धनवान नहीं
  1. पर्वत पर बैठे उस वैरागी से दूर रहते थे तपस्वी भी पर उन सातों ने किया सब कुछ सहन और उनसे नहीं फेर सके शिव अपने नयन उन सातों की प्रचंड तीव्रता ने तोड़ दिया उनका हठ व धृष्टता दिव्यलोक के वे सप्त-ऋषि नहीं ढूंढ रहे थे स्वर्ग की आड़ तलाश रहे थे वे हर मानव के लिए एक राह जो पहुंचा सके स्वर्ग और नर्क के पार अपनी प्रजाति के लिए न छोड़ी मेहनत में कोई कमी शिव रोक न सके कृपा अपनी शिव मुड़े दक्षिण की ओर देखने लगे मानवता की ओर न सिर्फ वे हुए दर्शन विभोर उनकी कृपा की बारिश में भीगा उनका पोर-पोर अनादि देव के कृपा प्रवाह में वो सातों उमडऩे लगे ज्ञान में बनाया एक सेतु विश्व को सख्त कैद से मुक्त करने हेतु बरस रहा है आज भी यह पावन ज्ञान हम नहीं रुकेंगे तब तक जब तक हर कीड़े तक न पहुंच जाए यह विज्ञान – सद्‌गुरु
  2. सत्य की खोज में किया मैंने कुछ अलौकिक और कुछ अजीबोगरीब एक दिन हुआ पूज्य गुरु का आगमन भेद डाला उन्होंने मेरा सारा ज्ञान छड़ी से अपनी छुआ दिव्य चक्षु को और कर दिया मुझ में मदहोशी का आह्वान इस मदहोशी का नहीं था कोई उपचार पर बेशक खुल गए मुक्ति के द्वार देखा मैंने कि भयानक रोगों का भी हो सकता है सहज संचार फिर ले ली मैंने आजादी इस मदहोशी को पूरी इंसानियत में फैलाने की। (सद्‌गुरु)
  3. एक दिन जिंदगी ऐसे मुकाम पर पहुँच जाएँगी, दोस्ती तो सिर्फ़ यादों में ही रह जाएँगी। हर बात दोस्तों की याद दिलायेंगी और हँसते हँसते फिर आँख नम हो जाएँगी। ऑफिस के रूम में क्लासरूम नज़र आएँगी, पैसे तो बहोत होंगा। लेकिन खर्चा करने के लम्हें काम हो जायेंगें। जी लेंगे खुल के इस पल को मेरे दोस्त। क्यूँ के जिंदगी इस पल को फिर से नहीँ दोहराएँगी।
  4. प्रेम और त्याग के धागे से जुड़ा, एक विश्वास है दोस्ती। दुनिया के सभी रिश्तों में,सबसे खास है दोस्ती। दिलों को दिलों से जोड़ने वाला, एक प्यारा अहसास है दोस्ती। जीवन में घोलदे जो रस, वह मिठास है दोस्ती। पूरी हो जाये जो हरदम, वह आस है दोस्ती। होठों पर ला दे जो मुस्कुराहट, वह हास है दोस्ती। जीवन में भर दे संगीत वो साज है दोस्ती। जीना सिखलाता है जो,वो अंदाज है दोस्ती।
  5. हर सुख दुःख में, साथ साथ जीया करते थे। हार हो या जीत एक दुसरे का हमेशा साथ दिया करते थे। कभी हम तुमसे कभी तुम हमसे रूठ जाया करते थे फिर हम तुम्हे और कभी तुम हमें मना लिया करते थे। एक दूसरे की खुद से ज्यादा परवाह किया करते थे। ये बात बस कल की ही लगती है। हम तुम अपनी दोस्ती पर कितना इतराया करते थे। यकीन नहीं होता समय के साथ हालात इतने बदल जायेंगे। हम अपनी अपनी दुनिया में इस कदर खो जायेंगे एक दूसरे की जिंदगी में बस एक याद बनकर रह जायेंगे।हम ना तुमसे, ना जिंदगी से कोई शिकायत करेंगे। बस इस यकीन को हमेशा दिल में कायम रखेंगे। जब भी दिल से पुकारेंगे, तुम्हें अपने पास पाएंगे।