जम्मू। केन्द्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने शनिवार को केद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बंदूक लाइसेंस के फर्जीवाड़े से संबंधित मामलों में 40 ठिकानों पर छापेमारी की।
सीबाइआई के प्रवक्ता ने कहा कि छापे जम्मू, श्रीनगर, उधमपुर, राजौरी, अनंतनाग, बारामूला और दिल्ली में भारतीय प्रशासनिक सेवा, केएएस अधिकारियों समेत तत्कालीन सरकारी कर्मचारियों के सरकारी और आवासीय परिसरों में छापेमारी की गयी। शस्त्र लाइसेंस रैकेट में करीब 20 गन हाउस और डीलर की संलिप्तता मामले की जांच की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर सरकार के अनुरोध और केंद्र सरकार की अधिसूचना के आधार पर दो मामले दर्ज किए हैं। पुलिस थाना सतर्कता संगठन कश्मीर (वीओके) में पहले दर्ज की गई दो प्राथमिकी में से पहली वर्ष 2018 में 17 मई, 2018 और दूसरी पुलिस थाना सतर्कता संगठन जम्मू (वीओजे) की 2018 की प्राथमिकी संख्या 11 की जांच अपने हाथ में ले ली।
वर्ष 2012 से 2016 की अवधि के दौरान तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में भारी मात्रा में शस्त्र लाइसेंस जारी करने के आरोप लगाए गए थे। दर्ज मामलों में यह भी आरोप लगाया किया था कि कि गैर-हकदार लोगाें को 2.78 लाख रुपए से अधिक के हथियार लाइसेंस जारी किए गए थे।
सीबीआई ने केन्द्रशासित प्रदेश के 22 जिलों में कथित रूप से फैले सशस्त्र लाइसेंस जारी करने से संबंधित दस्तावेज भी एकत्र किए। दस्तावेजों की जांच के दौरान इसमें कुछ बंदूक डीलरों की भूमिका पाई गई, जिन्होंने संबंधित जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम) और सहायक जिलाधिकारी (एडीएम) की मिलीभगत से अयोग्य लोगों को अवैध हथियार लाइसेंस जारी किए थे।
यह भी आरोप लगाया गया कि जिन लोगों को उक्त शस्त्र लाइसेंस जारी किए गए थे। वे सभी वहां के निवासी नहीं थे। जहां से ये लाइसेंस जारी किए थे। सीबीआई ने कहा अभी जांच जारी है।
चौधरी ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए दावा कि उनके कार्यकाल में तीन जिलों, रियासी, कठुआ और उधमपुर में किसी भी जिला के किसी भी उपायुक्त द्वारा सबसे कम लाइंसेंस जारी करने का रिकॉर्ड है।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने 2018 में इस मामले की जांच का जिम्मा संभाला था और मार्च 2020 में आईएएस अधिकारी राजीव रंजन तथा इतरित हुसैन रफीकी को गिरफ्तार किया था। ये दोनों कुपवाड़ा के जिलाधिकारी रह चुके हैं। पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार 2012 और 2016 के बीच जम्मू और कश्मीर के विभिन्न जिलों के उपायुक्तों ने पैसा लेकर फर्जी और अवैध तरीके से काफी संख्या में हथियारों के लाइसेंस जारी किए थे।
राजस्थान पुलिस ने 2017-18 में बंदूक लाइसेंस रैकेट का खुलासा किया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पाया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से हजारों लाइसेंस जारी किए गए है। पुलिस ने यह भी पाया था कि लाइसेंस प्राप्त करने वाले कई लोगों के आपराधिक रिकॉर्ड है।
जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल एन एन वोरा ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। साथ ही 12 जुलाई, 2018 को जनवरी 2017 और फरवरी 2018 के बीच जारी व्यक्तिगत बंदूकों के लाइसेंसों को रद्द कर दिया था।
सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर सरकार के अनुरोध और केंद्र सरकार की अधिसूचना के आधार पर इस मामले की जांच का जिम्मा संभाल लिया है। इस सिलसिले में पुलिस थाना सतर्कता संगठन कश्मीर (वीओके) ने 17 मई, 2018 में पहली प्राथमिकी संख्या 18 और दूसरी प्राथमिकी संख्या 11 दर्ज की थी।
ये दोनों प्राथमिकियां वर्ष 2012 से 2016 की अवधि के दौरान तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में भारी मात्रा में शस्त्र लाइसेंस जारी करने को लेकर दर्ज की गयी थीं। आरोप है कि 2.78 लाख से अधिक गैर-हकदार लोगाें को हथियार लाइसेंस जारी किए गए थे। सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर के 22 जिलों से इससे संबंधित दस्तावेज भी एकत्र किए।