नई दिल्ली। संकट के समय सहायता मिलें इसलिए हम अधिकोष (बैंक में) पैसे रखते हैं। उसी प्रकार संकट के समय सहायता मिलेें इसलिए साधना का कोष हमारे संग्रह में होना आवश्यक है। जिससे संकट के समय हमें सहायता होगी।
भगवान श्रीकृष्ण ने भक्तों को वचन दिया है न मे भक्तः प्रणश्यति, अर्थात मेरे भक्तों का कभी नाश नहीं होगा। इसलिए हमें साधना बढाकर भगवान का भक्त बनना चाहिए। पहले हम बताते थे कि आनंद प्राप्ति हेतु साधना करें, परंतु आगामी आपातकाल इतना भयानक होगा कि अब यह बताना पड रहा है कि जीवित रहने के लिए तो साधना करें। ये बात हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु चारुदत्त पिंगळे ने ने कही। वे सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव में मार्गदर्शन कर रहे थे।
साधना के विषय में सनातन संस्था द्वारा साप्ताहिक ऑनलाइन साधना सत्संग लिए जाते हैं। इन सत्संगों का जिज्ञासु अवश्य लाभ लें, ऐसा आवाहन भी सद्गुरु पिंगळे ने किया। सनातन संस्था के जालस्थल, साथ ही हिन्दूजागृति जालस्थल और यू-ट्यूब चैनल द्वारा इस कार्यक्रम का लाभ विश्व के 1 लाख 25 हजार जिज्ञासुओं और साधकों ने लिया।
इस बार 11 भाषाओं में ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव संपन्न हुआ। इसका प्रारंभ श्री व्यास पूजन और श्री गुरु पूजन द्वारा हुआ। इस समय सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु जयंत आठवले द्वारा गुरुपूर्णिमा के अवसर पर दिए गए संदेश का वाचन किया गया। साथ ही परात्पर गुरु आठवलेजी द्वारा इससे पूर्व किए मार्गदर्शन का संग्रहित लघु चलचित्र (वीडियो) और आपातकाल की दृष्टि से की जाने वाली सिद्धता इस विषय पर लघु वीडियो भी दिखाया गया। स्वसुरक्षा प्रशिक्षण की आवश्यकता बताने वाले प्रत्यक्ष प्रदर्शन (बचाव और आक्रमण) इस महोत्सव के आकर्षण थे।
सद्गुरु पिंगळे ने आगे कहा कि वर्तमान में भारत सहित संपूर्ण पृथ्वी पर संकटकाल छाया है। इस पूरे वर्ष में बाढ़, दंगे, महामारी, आर्थिक मंदी इत्यादि संकटों का परिणाम देश को भोगना पडा है। वर्ष 2020 से 2023 का काल भारत ही नहीं अपितु अखिल विश्व के लिए आपदाओं का काल रहेगा।
इस काल में आर्थिक मंदी, गृहयुद्ध, सीमा पर युद्ध, तीसरा विश्वयुद्ध और प्राकृतिक आपदाओं का सामना जनसामान्य को करना होगा। ऐसे आपातकाल में जीवित रहना और सुसह्य जीवन जीना, यह एक चुनौती ही होगी। आपातकाल की दृष्टि से स्वरक्षा, प्राथमिक उपचार, अग्निशमन प्रशिक्षण, तैराकी, वाहन चलाना इत्यादि विद्याएं सीखने को प्राथमिकता देनी होगी।
सनातन संस्था के ग्रंथ अब ई-बुक के स्वरूप में अमेजॉन किंडल पर भी उपलब्ध हैं। इनमें से त्योहार मनाने की उचित पद्धतियां एवं अध्यात्मशास्त्र इस हिन्दी भाषा के प्रथम ई-बुक का प्रकाशन सनातन प्रभात नियतकालिक समूह के भूतपूर्व समूह-संपादक पृथ्वीराज हजारे के कर कमलों से किया गया साथ ही हिन्दी, अंग्रेजी और कन्नड़ भाषाओं के अन्य 8 ग्रंथों का प्रकाशन भी इस महोत्सव में किया गया।