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भारतीय हॉकी पुरुष टीम बेल्जियम से 2-5 से हारी, कांस्य पदक के लिए खेलेगी - Sabguru News
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भारतीय हॉकी पुरुष टीम बेल्जियम से 2-5 से हारी, कांस्य पदक के लिए खेलेगी

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भारतीय हॉकी पुरुष टीम बेल्जियम से 2-5 से हारी, कांस्य पदक के लिए खेलेगी

टोक्यो। भारतीय पुरुष हॉकी टीम का टोक्यो ओलम्पिक में शानदार अभियान मंगलवार को मौजूदा विश्व चैंपियन बेल्जियम के हाथों पहले सेमीफाइनल में 2-5 की हार के साथ थम गया और इस हार के बाद भारतीय टीम अब कांस्य पदक के लिए खेलेगी।

भारत के लिए दो गोल हरमनप्रीत सिंह ने सातवें और मनदीप सिंह ने नौंवें मिनट में किए। बेल्जियम के लिए एलेक्जेंडर हेंड्रिक्स ने 19 वें, 49 वें और 53 वें मिनट में गोल कर अपनी हैट्रिक पूरी की। बेल्जियम ने इस जीत के साथ फ़ाइनल में जगह बना ली जहां उसका मुकाबला ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा।

भारत की 41 साल के लम्बे अंतराल के बाद पहली बार ओलंपिक फाइनल में खेलने की उम्मीदें पहले सेमीफाइनल मुकाबले में मौजूदा विश्व चैंपियन बेल्जियम से हारने के बाद टूट गईं। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पास इस हार के बाद हालांकि अभी भी कांस्य पदक जीतने का मौका है, जिसके लिए उसे गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया या जर्मनी के साथ मशक्कत करनी होगी।

बेल्जियम की बात करें तो एलेक्जेंडर हेंड्रिक्स की गोल हैट्रिक और लोइक लुयार्ट और जॉन-जॉन डोहमेन के गोल की बदौलत वह फाइनल में पहुंचने में कामयाब हुआ। हेंड्रिक्स ने 19वें, 49वें और 53वें, लोइक ने दूसरे और डोहमेन ने 60वें मिनट में गोल दागा। वहीं भारत के लिए हरमनप्रीत सिंह ने सातवें और मंदीप सिंह ने नौंवे मिनट में गोल किया।

दोनों टीमों ने मैच के पहले क्वार्टर में धमाकेदार शुरुआत की, लेकिन लोइक लुयार्ट के फ्लिक के जरिए दूसरे ही मिनट में गोल से बेल्जियम को मिली बढ़त से भारतीय अटैकर्स शुरुआत में ही दबाव में आ गए, हालांकि भारत को इसका जवाब देने में ज्यादा देर नहीं लगी और सातवें मिनट ने भारत ने एक के बाद एक पेनल्टी कॉर्नर लिए, जिसका फायदा उठाते हुए हरमनप्रीत ने शानदार ड्रैगफ्लिक के जरिए गेंद को गोल पोस्ट में भेज दिया और टीम को 1-1 से बराबरी पर खड़ा कर दिया।

टोक्यो 2020 में यह उनका पांचवां गोल रहा। फिर नौंवे मिनट में भारत ने एक गोल करके 2-1 की बढ़त बना ली। अमित रोहिदास की सहायता से मंदीप सिंह ने डी के ऊपर से एक टोमहॉक मार कर गोल दागा, हालांकि 19वें मिनट में बेल्जियम के अटैकर हेंड्रिक्स ने मैच का पहला गोल करके टीम की 2-2 की बराबरी कराई और पहला हाफ इसी स्कोर के साथ समाप्त हुआ।

इसके बाद दूसरे क्वार्टर के शुरुआती मिनटों में ही बेल्जियम को पेनल्टी कॉर्नर मिला और उसने 19वें मिनट में 2-2 से बराबरी कर ली। बेल्जियम के प्रमुख गोल स्कोरर अलेक्जेंडर हेंड्रिक्स ने मैच का अपना पेनल्टी कॉर्नर लिया और भारत के अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश को चौंकाते हुए गेंद को गोल पोस्ट में डाला।

तीसरे क्वार्टर में एक भी गोल नहीं हुआ, क्योंकि दोनों टीमें अपने द्वारा बनाए गए अवसरों को गोल में परिवर्तित नहीं कर पाईं, हालांकि इस बीच भारत के पास 39वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर के जरिए बढ़त लेने का एक मौके आया, लेकिन बेल्जियम ने अच्छा डिफेंस किया। तीसरे क्वार्टर के ये 15 मिनट पहले दो क्वार्टरों की तुलना में थोड़े सुस्त लगे।

चौथे और अंतिम क्वार्टर में भारत द्वारा बनाया गया एक मौका व्यर्थ चला गया, जब ललित उपाध्याय ने एक पेनल्टी कॉर्नर प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन कनेक्ट नहीं हो सका और 49वें मिनट में स्थिति भारत के खिलाफ हो गई, जब कप्तान मनप्रीत सिंह को ग्रीन कार्ड दिया गया। यह तब था जब बेल्जियम ने लगातार तीन पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए और उनके विश्व स्तरीय ड्रैफ्लिकर एलेक्जेंडर हेंड्रिक्स ने तीसरे प्रयास को गोल में तब्दील करते हुए बेल्जियम को एक बार फिर 3-2 से आगे कर दिया।

इसके दबाव में भारत ने सर्कल में लगातार उल्लंघन किया, जिसने अगले मिनटों में बेल्जियम को तीन और पेनल्टी कॉर्नर दिलाए। एक बार फिर हेंड्रिकक्स इन अवसरों को बदलने के लिए आगे आए और अपनी गोलों की हैट्रिक पूरी की। उन्होंने 53वें मिनट में गोल दाग कर बेल्जियम को 4-2 की शानदार और मजबूत बढ़त दिलाई, हालांकि भारत ने एक गोल का मौका बनाने के लिए निडर होकर प्रयास किए, लेकिन भारत की फॉरवर्डलाइन के लिए अच्छी तरह से संरचित बेल्जियम डिफेंस को हरा पाना बहुत मुश्किल था।

मैच के अंतिम मिनटों में भारत ने अपने गोलकीपर को हटाने और पिच पर एक अतिरिक्त अटैकर लगाने का फैसला किया, लेकिन यह उपयोगी साबित नहीं हुआ। इस बीच बेल्जियम के गाेलकीपर वानास्च वी ने हरमनप्रीत के टोमहॉक का अच्छी तरह से डिफेंस किया और बेल्जियम ने पलटवार करते हुए अपना पांचवां गोल कर दिया और मैच पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया। मिडफील्डर जॉन-जॉन डोहमेन ने बेल्जियम के लिए यह गोल दागा, जिससे भारत की ओलंपिक फाइनल में खेलने की उम्मीदें खत्म हो गईं।