नई दिल्ली। दुनिया भर में कोरोना महामारी के कारण जहां बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं चरमरा गई हैं, वहीं विश्व के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत में पिछले दो वित्त वर्ष में 100 करोड़ रुपए (एक अरब रुपये) या उससे अधिक की कुल आय वाले धनाढ्यों की संख्या वित्त वर्ष 2018-19 के 77 की तुलना में लगभग दोगुना बढ़कर 136 हो गई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्य सभा में अरबपतियों की संख्या और उनकी संपत्ति में वृद्धि पर एक लिखित प्रश्न के उत्तर में बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 में 100 करोड़ रुपए से अधिक आय अर्जित करने वालों की संख्या 77 थी जो कि अगले वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़कर 141 और हो गई थी तथा वित्त वर्ष 2020-21 में 136 हो गई। इस तरह दो वर्ष पहले की तुलना में अरबपतियों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पास उपलब्ध सूचना के अनुसार प्रत्यक्ष करों के तहत अरबपति शब्द की कोई विधायी या प्रशासनिक परिभाषा नहीं है।
वित्त मंत्री ने बताया कि धन कर (वेल्थ टैक्स) को अप्रैल 2016 में समाप्त कर दिया गया था इसलिए सीबीडीटी अब किसी भी करदाता के पूरे धन के बारे में जानकारी नहीं रखता है।
बेंगलुरु के ब्रांड रणनीतिकार हरीश बिजूर ने कहा कि अधिक पैसे से और अधिक पैसा कमाया जाता है और जिसके पास बहुत पैसा है, वह उतना ही अधिक कमा रहा है।
बिजूर ने कहा कि आय के भौतिक स्रोत हैं और आय के डिजिटल स्रोत भी हैं। भौतिक स्रोत को बढ़ने में अधिक समय लगता है जबकि डिजिटल स्रोत बहुत तेजी से बढ़ते हैं। इसलिए, दुनिया डिजिटल स्रोतों और भौतिक स्रोतों में विभाजित है।
अप्रैल 2021 में जारी फोर्ब्स वर्ल्ड की अरबपतियों की सूची के अनुसार कोरोना महामारी के दौरान की सभी आर्थिक दिक्कतों को पीछे छोड़कर इस साल भारतीय अरबपतियों की संख्या बढ़कर 140 हो गई, जो 2020 में 102 थी। महामारी के कारण इस दौरान लाखों लोगों ने अपनी नौकरी और आय के साधन गंवा दिए। कुल 596 अरब डॉलर की संयुक्त संपत्ति के साथ भारत अरबपतियों की संख्या के मामले में दुनिया भर में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।