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दक्षिण भारत के विशेष पर्वों में से एक है ओणम - Sabguru News
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दक्षिण भारत के विशेष पर्वों में से एक है ओणम

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दक्षिण भारत के विशेष पर्वों में से एक है ओणम

ओणम केरल का सबसे लोकप्रिय त्योहार है। इसे केरल का राष्ट्रीय त्योहार माना जाता है। ओणम इस वर्ष 20 अगस्त को मनाया रहा है जो मलयालम पंचांग के अनुसार वर्ष का पहला महीना है जिसे चिंगम कहा जाता है। ओणम का उत्सव दस दिनों तक चलता है।

ओणम का अर्थ

माना जाता है कि ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम से हुई है, जो संस्कृत में 27 नक्षत्रों में से एक को संदर्भित करता है। दक्षिण भारत में थिरु का उपयोग भगवान विष्णु से जुडी किसी भी वस्तु के लिए किया जाता है और थिरु ओणम को भगवान विष्णु का नक्षत्र माना जाता है, जिन्होंने महान राजा महाबली के सिर पर अपना पैर रख पाताल लोक में पहुंचाया था।

ओणम का इतिहास

भारत में तरह तरह के धर्म के लोग रहते है, ये हम सभी जानते है। यहां सभी धर्मों के अपने अपने त्यौहार है, कुछ त्यौहार तो देश के हर कोने में मनाते है, तो कुछ किसी विशेष क्षेत्र या राज्य में मनाये जाते है। भारत के मुख्य त्योहारों की बात करे, तो दीवाली, होली, ईद, बैसाखी, क्रिसमस, दुर्गा पूजा आदि है।

दीवाली की बात की जाए तो ये देश का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। मुख्यरूप से उत्तरी भारत का तो ये बहुत बड़ा त्यौहार है। इसी तरह कलकत्ता में दुर्गा पूजा, पंजाब में बैसाखी मुख्य है। किसी राज्य विशेष के त्योहारों की बात करें, तो दक्षिण भारत के केरल में ओणम त्यौहार, उत्तरी भारत के दीवाली जितना ही महत्वपूर्ण है। दक्षिण भारत के अहम पर्वों में से एक है ओणम। इस पर्व में दक्षिण भारत की परंपरा के पूर्ण दर्शन होते हैं।

ओणम का त्योहार राजा महाबली को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि राजा महाबली के शासन के दौरान केरल ने इससे बेहतर समय कभी नहीं देखा। वह अब तक का सबसे न्यायप्रिय राजा था। कोई भी जरूरतमंद कभी भी अपने दरवाजे से खाली हाथ नहीं लौटा। राजा महाबली के मिथक का कहना है कि राजा ने अपने वचनों पर खरा उतरने के लिए खुद के साथ-साथ हर चीज का त्याग किया। इस प्रकार उनके बलिदान के लिए एक पुरस्कार के रूप में उन्हें केरल के लोगों और उनके सभी अनुयायियों द्वारा ओणम त्योहार के रूप में अनंत काल के लिए स्मरण किया गया।

ओणम कैसे मनाते हैं?

पूकलम – दस दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में पहला और आखिरी दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। ओणम में प्रत्येक घर के आँगन में फूलों की पंखुड़ियों से सुन्दर सुन्दर रंगोलियां (पूकलम) बनाई जाती हैं। पूकलम का तात्पर्य घर के द्वार के सामने विभिन्न प्रकार के फूलों से कलाकृति बनानी है। ओणम त्योहार के दौरान प्रत्येक बीतते दिन के साथ, पुष्पमाला में फूलों की एक नई परत जोडी जाती है। युवतियां उन रंगोलियों के चारों तरफ वृत्त बनाकर उल्लासपूर्वक नृत्य (तिरुवाथिरा कलि) करती हैं।

इस पूकलम का प्रारंभिक स्वरुप पहले (अथम के दिन) तो छोटा होता है परन्तु हर रोज इसमें एक और फूलों का वृत्त बढ़ा दिया जाता है। इस तरह बढ़ते बढ़ते दसवें दिन (तिरुवोनम) यह पूकलम वृहत आकार धारण कर लेता है। इस पूकलम के बीच त्रिक्काकरप्पन (वामन अवतार में विष्णु), राजा महाबली तथा उसके अंग रक्षकों की प्रतिष्ठा होती है जो कच्ची मिटटी से बनायीं जाती है। ओणम एक सम्पूर्णता से भरा हुआ त्योहार है जो सभी के घरों को ख़ुशहाली से भर देता है।

ओनसदया – ओनसदया नामक भोज इस समारोह का सबसे आकर्षक कार्यक्रम है। नाना प्रकार के व्यंजनों में विभिन्न प्रकार की शाक-सब्जियों का प्रयोग किया जाता है। भोजन को केले के पत्ते पर परोसा जाता है। नाना प्रकार के भोज्य पदार्थों तथा तरकारियों के साथ ही पचडी, काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर इत्यादि भी सम्मिलित हैं। दूध की खीर जिसे ‘पायसम’ कहते हैं, ओणम का विशेष भोजन है।

इस अवसर पर मंदिर तथा अन्य धार्मिक स्थान सजाये जाते हैं। लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और आपस में मिठाइयां व उपहार लेते-देते हैं। नदियों में नौकायन का कार्यक्रम होता है और नौका दौड जैसे खेलों का आयोजन भी होता है।

ओणकलिकल – यह ओणम के त्योहार पर खेले जाने वाले सभी खेलों को संदर्भित करता है। तलप्पंथुकली जो एक गेंद से खेला जानेवाला खेल है, पुरुषों का पसंदीदा है। अंबेयाल (तीरंदाजी) भी इस खेल में शामिल हैं। महिलाएं खुद को पुक्कलम बनाने और कई पारंपरिक नृत्य करने में संलग्न करती हैं।

वल्लमकली नाव प्रतियोगिता – यह ओणम त्योहार की सबसे मनोरंजक कृतियों में से एक है। नाव की सवारी प्रतियोगिता में लगभग 100 नाववाले एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं। नौकाओं को अलग-अलग प्रकार में खूबसूरती से सजाया जाता है। इस दौड को देखने के लिए शहर भर के पुरुष और महिलाएं आते हैं।

हाथी का जुलूस – हाथी जुलूस ओणम की सबसे प्रतीक्षित कृतियों में से एक है। राजसी जानवर को सोने और अन्य धातुओं में फूलों, गहनों से सजाया जाता है। हाथी को पूरे त्रिशूर का चक्कर लगाने के लिए बनाया जाता है जहां यह जुलूस आयोजित होता है। हाथी नृत्य करता है और छोटे इशारों के माध्यम से लोगों के साथ बातचीत करता है।

लोक नृत्य – त्योहार के अन्य प्रमुख आकर्षण में महिलाओं द्वारा किए जाने वाले लोक नृत्य शामिल हैं। कैकोट्टिकली ओणम के अवसर पर किया जाने वाला एक ताली नृत्य है। नृत्य करती महिलाएं राजा महाबली का गुणगान करती हैं। महिलाएं एक मंडली में नृत्य भी करती हैं। इस नृत्य रूप को थम्पी थुल्लल कहा जाता है।

कु. कृतिका खत्री,
सनातन संस्था, दिल्ली
संपर्क – 99902 27769