अजमेर। धार्मिक नगरी अजमेर, मंदिरों की नगरी पुष्कर और श्री निम्बार्कपीठ तीर्थ सलेमाबाद में आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सुबह से ही श्रद्धा, भक्ति, उल्लास एवं उत्साहपूर्वक परंपरागत तरीके से मनाया गया।
अजमेर जिले में कोरोना महामारी की सरकारी कोरोना दिशा निर्देशों के तहत जन्माष्टमी पर कोई सार्वजनिक कार्यक्रम अथवा झांकियों का आयोजन भले ही नहीं किया गया लेकिन जिले के विभिन्न राधाकृष्ण मंदिरों में भी सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। देर रात तक मंदिरों में चहल पहल रही।
पंचशील नगर स्थित मनकामेश्वर महादेव मंदिर में जन्माष्टमी उत्सव पर लड्डू गोपाल के मनमोहक स्वरूप के दर्शन हुए। शाम से आधी रात तक चली भजन संख्या में सुरेंद्र जांगिड़, कपिल माथुर, नंदकिशोर, भंवरलाल, वेदप्रकाश के अलावा दो मुस्लिम कलाकारों कालू मिराठी और सद्दीक मिराठी ने समा बांध दिया। कान्हा के दीवाने मस्ती से नाचने लगे। रात के ठीक 12 बजते ही पालने में झूलते लड्डू गोपाल की एक झलक पाने को भक्तजन उमड पडे। हर तरफ जय कन्हैया लाल की के जयकारे गूंजने लगे। कृष्ण जन्म का अलौकिक नजार देख हर कोई भावविभोर हो उठा।
आगरा गेट स्थित मराठाकालीन श्री पंचमुख हनुमानजी व वैभव महालक्ष्मी मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव का आयोजन सुबह पांच बजे मंगल आरती के साथ हुआ। यहां फूल बंगले की झांकी सजाई गई। शहर के विभिन्न कृष्ण मंदिरों में तथा कॉलोनियों के मंदिरों में भी कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाई गई।
सलेमाबाद स्थित श्री निम्बार्क तीर्थ में सुबह जन्माष्टमी के मौके पर आचार्य पीठ में श्रीमद् भागवत कथा का मूर्ति पूजन हुआ। जगतगुरु निम्बार्काचार्य श्री श्रीजी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति सच्ची श्रद्धा ही प्रभु तक पहुंचने का मार्ग बताया। यहां सायंकालीन आरती के बाद रात्रि में जन्मलीलानुकरण, पंचामृत अभिषेक, पालना के अतिक्षय मनोरम दर्शन व प्रसाद वितरण का आयोजन और वृंदावन के कलाकारों द्वारा रासलीला अनुकरण किया गया।
पुष्कर राज में भी विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। लोग कृष्ण जन्मोत्सव पर पूरी श्रद्धा भाव के साथ दिभर विभिन्न कृष्ण मंदिरों में दर्शन पूजा अर्चना करते रहे। कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर ब्रह्मा मंदिर में भी जन्मोत्सव धूमधाम से कोरोना नियमों के तहत आयोजित हुआ और ब्रह्मा जी का भव्य श्रंगार किया गया। मंदिर में ही भगवान श्रीकृष्ण की झांकी सजाकर रात्रि बारह बजे आरती के बाद प्रसाद वितरण हुआ।
पुष्कर के ही नए रंगजी मंदिर पर भी विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम हुए। पुराने रंगजी मंदिर पर भी श्रद्धालु दर्शानार्थ पहुंचे। व्यवस्थापकों की ओर से नए व पुराने रंगजी मंदिर में दक्षिण पद्धति से भगवान श्रीकृष्ण के श्याम वर्ण की पूजा अर्चना की गई।
प्रजापति ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय चंद्रवरदाई क्षेत्र में राधाकृष्ण एवं गोप गोपियों का धार्मिक रास कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसी तरह ब्रह्माकुमारी के राम भवन के सामने शास्त्री नगर में जन्माष्टमी के अवसर पर मटका फोड़ कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में बच्चों ने श्रीकृष्ण के बाल रूप धरे और कान्हा के गीतों पर ठुमके लगाए। सेवा केंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी आशाबेन ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से बच्चों के दिल में धर्म के प्रति आस्था बढ़ती है और जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के बारे में जानकारियां मिलती है।
आशा बहन ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का आध्यात्मिक रहस्य भी बताया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में श्रीकृष्ण ही दुनिया के राजकुमार होंगे, उस दुनिया का नाम सतयुग होगा और उस दुनिया में किसी भी प्रकार का दुख नहीं होगा, कलयुग की कोई भी वस्तु वहां नहीं होगी। इस अवसर पर ब्रम्हाकुमारी कीर्ति, ब्रह्मा कुमारी पूनम ब्रम्हाकुमारी हिना बहन, वह संस्था के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन बीके राव भाई ने किया।