जयपुर। राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भारतीय प्रशासन सेवा के अधिकारी नीरज के पवन और प्रदीप गवड़े के खिलाफ रिश्वत के ठोस सबूत मिले हैं।
ब्यूरो की एफआईआर के अनुसार अधिकारी पहले कौशल विकास योजनाएं चलाने वाले ट्रेनिंग सेंटर्स को ब्लैकलिस्ट करते थे, फिर उनसे अधिकारियों का ही दलाल ब्लैकलिस्ट से हटाने का सौदा करता था।
धौलपुर के ऐसे ही एक मामले में दलाल अमित शर्मा ने मैसर्स अर्थ एंड मून एचआर प्राइवेट लिमिटेड के परिवादी उमाकांत तिवारी से अध्यक्ष नीरज के लिए वॉट्सएप कॉल कर पक्ष में फैसला कराने के लिए 10 लाख रूपए मांगे थे।
अधिकारियों ने फर्म के ट्रेनिंग सेंटर को ब्लैकलिस्ट कर भुगतान रोका था। जब परिवादी ने अमित और महाप्रबंधक रवि मीणा से संपर्क किया तो उन्होंने नीरज के लिए रिश्वत मांगी, न देने पर फर्म के दौसा स्थित ट्रेनिंग सेंटर को भी ब्लैकलिस्ट कराने की धमकी दी।
एफआईआर के अनुसार साढे चार लाख रूपए का भुगतान भी हो गया, पर बकाया साढे पांच लाख रूपए नही मिलने पर फर्म के दौसा सेंटर को ब्लैकलिस्ट किया गया। मामले में अब तक राहुल कुमार और अशोक सांगवान गिरफ्तार हुए हैं। आगे जांच के लिए एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई निर्धारित की जाएगी।
परिवादी ने दौसा सेंटर में 150 बेरोेजगारों को ट्रेनिंग दी। बिल करीब दो करोड़ के थे। आरएसएलडी ने 48.50 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। पर रिश्वत नहीं देने पर परिवादी के दो सेंटर ब्लैकलिस्ट किए और बकाया भुगतान रोक लिया। फिर परिवादी को दोनों सेंटर्स की करीब 23 लाख बैंक गारंटी जमा करने और एडवांस दिए गए 48 लाख रूपए लौटाने की धमकी दी थी।