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महंत नरेन्द्र गिरी के सुसाइड नोट में आनंद, अद्या और संदीप का नाम - Sabguru News
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महंत नरेन्द्र गिरी के सुसाइड नोट में आनंद, अद्या और संदीप का नाम

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महंत नरेन्द्र गिरी के सुसाइड नोट में आनंद, अद्या और संदीप का नाम

प्रयागराज। साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी की मौत के बाद मिले सुसाइड नोट में उनके प्रिय शिष्य आनंद गिरी, सेवादार अद्या प्रसाद तिवारी और उसका पुत्र संदीप तिवारी को आत्महत्या करने का जिम्मेवार ठहराया गया है।

महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से मिले 12 पन्ने के सुसाइड नोट में उन्होंने बहुत गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा कि मेरी मौत के लिए जिम्मेदार आनंद गिरि आद्या प्रसाद तिवारी और उनके पुत्र संदीप तिवारी हैं। सुसाइड नोट में आनंद गिरी, अद्या प्रसाद तिवारी और उनके पुत्र संदीप तिवारी को आत्महत्या का कारण बताया है। पत्र में लेखन को कई स्थान पर काटा गया है।

मीडिया में जारी सुसाइड नोट के अनुसार प्रयागराज के सभी पुलिस अधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध करता हूं। मेरे आत्महत्या के जिम्मेदार उपरोक्त लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जाए। जिससे मेरी आत्मा को शांति मिले।

सुसाइड नोट के अनुसार महंत ने लिखा है कि मैं महंत नरेंद्र गिरि मठ बाघम्बरी गद्दी बड़े हनुमान मंदिर (लेटे हनुमान जी) वर्तमान में अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अपने होशो हवास में बगैर किसी दबाव के यह पत्र लिख रहा हूं। जब से आनंद गिरि ने मेरे ऊपर असत्य, मिथ्या, मनगढ़ंत आरोप लगाया, तब से मैं मानसिक दबाव में जी रहा हूं। जब भी मैं एकांत में रहता हूं, मर जाने की इच्छा होती है।

आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनका लड़का संदीप तिवारी मिलकर मेरे साथ विश्वासघात किया। मुझे जान से मारने का प्रयास किया। सोशल मीडिया फेसबुक एवं समाचार पत्रों में आनंद गिरि ने मेरे चरित्र के ऊपर मनगंढ़त आरोप लगाया। मैं मरने जा रहा हूं।

सुसाइड नोट के अनुसार मैं 13 सितंबर को ही आत्महत्या करने जा रहा था लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया। जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक-दो दिन में आनंद गिरि कंप्यूटर के माध्यम से मोबाइल से किसी लड़की या महिला के साथ गलत काम करते हुए मेरी फोटो लगाकर वायरल कर देगा, मैंने सोचा कि कहां-कहां सफाई दूंगा, एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा। सच्चाई तो लोगों को बाद में पता चल ही जाएगी लेकिन मै तो बदनाम हो जाऊंगा। इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं।

महंत ने लिखा कि मैं महंत नरेंद्र गिरि आज मेरा मन आनंद गिरि के कारण विचलित हो गया। मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं। अगर मेरी बदनामी हो गई तो मैं समाज में कैसे रहूंगा। इससे अच्छा मर जाना ही ठीक रहेगा। आज मैं आत्महत्या कर रहा हूं जिसकी पूरी जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी जो पहले पुजारी व उनको मैंने निकाल दिया और संदीप तिवारी पुत्र आद्या प्रसाद तिवारी की होगी।

वैसे मैंने पहले ही आत्महत्या करने जा रहा था लेकिन हिम्मत नहीं कर पा रहा था। एक आडियो कैसेट आनंद गिरि जारी किया था। जिससे मेरी बदनामी हुई। आज मैं हिम्मत हार गया और आत्महत्या कर रहा हूं।

उन्होने लिखा कि प्रिय बलवीर गिरि मठ मंदिर की व्यवस्था करना। जिस तरह से मैंने किया, इसी तरह से करना। आशुतोष गिरि, नितेश गिरि एवं मठ के सभी महात्मा बलवीर गिरि का सहयोग करना। परम पूज्य महंत हरिगोविंद पुरी से निवेदन है कि मठी का महंत बलवीर गिरि को बनाना। महंत रविंद्र पुरीजी (सजावट मढ़ी) आपने हमेशा साथ दिया। मेरे मरने के बाद बलवीर गिरि का ध्यान दीजिएगा। सभी को मेरा ओम नमो नारायण।

बलवीर गिरि मेरी समाधि पार्क में नीबू के पेड़ के पास दी जाए। यही मेरी अंतिम इच्छा है। धनंजय विद्यार्थी मेरे कमरे की चाभी बलवीर गिरि महाराज को देना। बलवीर गिरि एवं पंच परमेश्वर निवेदन कर रहा हूं। मेरी समाधि पार्क में नीबू के पेड़ के पास लगा देना। मेरी समाधि गद्दी में गुरुजी के बगल में नीबू के पेड़ के पास दिया जाए।

सुसाइड नोट के अनुसार सत्य बोलूंगा। मेरा घर से कोई संबंध नहीं है। मैंने एक भी पैसा घर पर नहीं दिया। मैंने एक-एक मंदिर एवं मठ में लगाया। 2004 में मैं महंत बना। 2004 से पहले व अभी तक जो मठ एवं मंदिर का विकास किया, सभी भक्त जानते हैं।

आनंद गिरि द्वारा जो भी आरोप लगाया गया, उससे मेरी एवं मठ मंदिर की बदनामी हुई। मैं बहुत आहत हूं। मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। मेरे मरने के संपूर्ण जिम्मेदार आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी जो मंदिर के पुजारी हैं, आद्या प्रसाद तिवारी का बेटा संदीप तिवारी की होगी। मैं समाज में हमेशा शान से जिया, लेकिन आनंद गिरि मुझे गलत तरीके से बदनाम किया।

प्रिय बलवीर गिरि। ओम नमो नारायण। मैं तुम्हारे नाम एक रजिस्टर वसीयत की है। जिसमें मेरे ब्रह्मलीन (मरने के बाद) हो जाने की बाद तुम बड़े हनुमान मंदिर एवं मठ बाघंबरी गद्दी का महंत बनोगे। तुमसे मेरा एक अनुरोध है कि मेरी सेवा में लगे विद्यार्थी जैसे मिथिलेश पांडेय, रामकृष्ण पांडेय, मनीष शुक्ल, शिवेक कुमार मिश्र, अभिषेक कुमार मिश्र, उज्ज्वल द्विवेदी, प्रज्वल द्विवेदी, अभय द्विवेदी, निर्भय द्विवेदी, सुमित तिवारी का ध्यान देना। जिस तरह से मेरे समय में रह रहे हैं। उसी तरह से तुम्हारे समय में रहेंगे। इन सभी का ध्यान देना। उपरोक्त सभी जिनका मैंने नाम लिया है। तुम लोग भी हमेशा बलवीर गिरि महराज का सम्मान करना।

जिस तरह से हमेशा से सेवा एवं मठ की सेवा किया उसी तरह से बलबीर गिरि महराज एवं मठ-मंदिर की सेवा करना। वैसे हमें सभी विद्यार्थी प्रिय हैं। लेकिन मनीष शुक्ला, शिवांक मिश्रा, अभिषेक मिश्रा मेरे अतिप्रिय हैं। कोरोना काल जब मुझे कोरोना हुआ मेरी सेवा सुमित तिवारी ने मेरी सेवा की। मंदिर में माला-फूल की दुकान मैंने सुमित तिवारी को किरायानामा रजिस्टर किया है। मिथिलेश पांडेय को श्री बड़ा हनुरूपा इममोरिपम की दुकान किराए पर दी है। मनीष शुक्ला, शिवेश मिश्रा, अभिषेक मिश्रा को दुकान नंबर एक लड्डू की दुकान किराए में दी है।

सुसाइड नोट श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के लेटर पैड के 12 पेजों पर लिखा गया है। कोई पेज आधा लिखा गया है। हर पेज पर हस्ताक्षर हैं। कुछ पेजों पर 13 सितंबर को काटकर 20 सितंबर की तारीख लिखी गई है।

पुलिस अधिकारियों ने सुसाइड नोट की पुष्टि करते हुए कहा है कि फोरेंसिक लैब में हैंडराइटिंग की जांच कराई जाएगी। इसके बाद ही यह साफ होगा कि यह सुसाइड नोट महंत नरेंद्र गिरी ने ही लिखा था या नहीं।