Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
इथेनाल योजना से देश की खाद्य सुरक्षा को खतरा बताने वाली मीडिया की रपटें भ्रामक : सरकार - Sabguru News
होम Delhi इथेनाल योजना से देश की खाद्य सुरक्षा को खतरा बताने वाली मीडिया की रपटें भ्रामक : सरकार

इथेनाल योजना से देश की खाद्य सुरक्षा को खतरा बताने वाली मीडिया की रपटें भ्रामक : सरकार

0
इथेनाल योजना से देश की खाद्य सुरक्षा को खतरा बताने वाली मीडिया की रपटें भ्रामक : सरकार

नई दिल्ली। सरकार ने महत्वाकांक्षी इथेनॉल योजना को देश में खाद्य सुरक्षा पर संकट से जोड़ते हुए मीडिया के एक हिस्से में आई कुछ रिपोर्टों को निराधार, दुर्भावनापूर्ण और तथ्यों से परे बताया है और कहा है कि उसके लिए भारत जैसे युवा देश के लिए, जहां भोजन की जरूरतों को पूरा करने का विषय सर्वोपरि महत्व है साथ ही देश की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करना भी महत्वपूर्ण है।

पेट्रोलियम मंत्रालय ने आज एक बयान में कहा कि बदले हुए परिदृश्य में देश के सामने मुद्दा ‘ईंधन के साथ आहार’ होना चाहिए न कि ‘आहार बनाम ईंधन।’ मंत्रालय ने कहा है कि सबसे तेजी से बढ़ते अपने देश में ईंधन की मांग लगातार बढ़ रही है और कच्चे तेल के आयात पर लगातार बढ़ती निर्भरता हमारी भविष्य की विकास क्षमता को काफी हद तक बाधित कर सकती है। इथेनॉल, बायोडीजल, कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) जैसे घरेलू ईंधन के विकास में ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव लाने की क्षमता है।

सरकार के अनुसार पिछले छह वर्षों के दौरान, उसने इथेनॉल उत्पादन के लिए अतिरिक्त गन्ना आधारित कच्चे माल (जैसे गन्ने का रस, चीनी, चीनी सिरप) के रूपांतरण की अनुमति देकर तरलता की कमी वाले चीनी उद्योग में 35,000 करोड़ रुपये का सफलतापूर्वक निवेश किया है। इससे निश्चित रूप से गन्ना किसानों के बकाया के जल्द निपटान में मदद मिली है और उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है।

मौजूदा सीज़न के लिए, यह उम्मीद की जाती है कि अकेले इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के माध्यम से 20,000 करोड़ रुपए से अधिक निवेश किया जाएगा, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में विकास को बढ़ावा देगा, जो चुनौतीपूर्ण कोरोना काल में सबसे अनुकूल क्षेत्र है।

गन्ना सीजन 2021-22 के लिए चीनी का उत्पादन लगभग 340 लाख टन होने का अनुमान है, जो 90 लाख टन के शुरुआती भंडार से अधिक होने के साथ-साथ कुल मिलाकर 260 लाख टन की घरेलू खपत से बहुत अधिक है। इसमें से 35 लाख टन चीनी की अतिरिक्त मात्रा को इथेनॉल में बदलने का प्रस्ताव है।

इसी तरह, अकेले भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास पांच अक्टूबर की स्थिति के अनुसार चावल का स्टॉक 202 लाख टन है, जो देश की बफर स्टॉक की आवश्यकता से बहुत अधिक है।

सरकार का कहना है कि पिछले छह वर्षों के दौरान पेट्रोल में इथेनॉल मिलाकर 20,000 करोड़ रुपए से अधिक विदेशी मुद्रा की बचत की गई है। चालू वर्ष के लिए, लगभग 10,000 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत होने की संभावना है। यह धनराशि कच्चे तेल की खरीद के स्थान पर आम भारतीय लोगों की जेब में पहुंचती है।

मंत्रालय के अनुसार सरकार ने वैश्विक प्रचलनों के अनुसार इथेनॉल उत्पादन के लिए चावल के अतिरिक्त भंडार को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास बदलने की अनुमति दी है। इसके अलावा, सरकार ने इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का जैसे मोटे अनाज के रूपांतरण की भी अनुमति दी है।

कोविड-19 के दौरान मुफ्त चावल और अन्य अनाज वितरित करने के बावजूद, भारतीय खाद्य निगम के पास अभी भी चावल का विशाल भंडार है। इसके अलावा, ताजा चावल के स्टॉक की बढ़ी हुई मात्रा आने लगेगी, क्योंकि कृषि का मौसम बहुत अच्छा रहा है।