अजमेर। यूनानी पद्धति में सभी प्रकार के सिरोटाइप के डेंगू का इलाज संभव है। ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लेने के साथ ही कुछ देसी दवाइयों का जोशांदा (काढ़ा) बनाकर सुबह शाम खाने से पूर्व इसे लेकर डेंगू का इलाज किया जा सकता है। इसके लिए गिलोए छह ग्राम, खाकसी छह ग्राम, उन्नाब पांच, बहडाना तीन ग्राम, बर्ग-ए-गाउजबां छह ग्राम और असलूस्सूस छह ग्राम मिलाकर इसका काढ़ा बनाए। इसके साथ ही सुबह और शाम खाने से पूर्व खमीरा मुरवारीद दो-दो ग्राम लें।
जेएलएन अस्पताल के यूनानी चिकित्सक डॉ मोहम्मद रोशन ने बताया कि डेंगू होने पर सबसे ज्यादा टेंशन प्लेटलेट्स के कम होने से होती है। यूनानी तरीके से देशी नुस्खों से प्लेटलेट्स को बढ़ाया जा सकता है इसके लिए पपीता के पत्तो का ज्यूस, बकरी का कच्चा दूध, कच्चे नारियल का पानी, नीम गिलोय का रस,एलोवेरा का रस काफी फायदेमन्द होता है।
बच्चों में डेंगू के लक्षण और बचाव के उपाय
डेंगू क्या है?
बरसात के मौसम में मच्छरों का प्रकोप बहुत बढ़ जाता है। इनसे डेंगू, मलेरिया, जीका, चिकनगुनिया, पीला बुखार जैसी जानलेवा बीमारियां फैलती है। डेंगू बुखार, भारत में मच्छरों की वजह से होने वाली सबसे आम बीमारी है। इसके लक्षणों में आमतौर पर बुखार और चकत्ते होना शामिल है। डेंगू फीवर से पीड़ित व्यक्ति करीब 10 दिनों तक बीमार रहता है बच्चे और बूढ़ें डेंगू बीमारी का शिकार जल्दी हो जाते हैं। खासकर बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होने की वजह से जल्दी इसके चपेट में आ जाते हैं।
डेंगू कैसे फैलता है?
डेंगू का विषाणु मादा टाइगर मच्छर के काटने से फैलता है। यही मच्छर चिकनगुनिया का कारण होता है और यह जीका जैसी अन्य बीमारियां भी फैलाने का क्षमता रखता है। अन्य मच्छरों के भिन्न, डेंगू फैलाने वाले मच्छर दिन में काटते हैं। ये मच्छर तड़के सुबह और शाम ढलने से पहले सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं।ये मच्छर गर्म, आर्द्र मौसम और ठहरे हुए पानी में पनपते हैं। इसी वजह से बारिश के दिनों और मानसून में डेंगू के मामले ज्यादा होते हैं।
बच्चों में डेंगू बुखार के क्या लक्षण हैं?
डेंगू के शुरुआती लक्षण लगभग न के बराबर दिखते हैं, खासकर अगर मामला बच्चों का हो। डेंगू के मच्छर के काटने के चार दिन बाद संक्रमण बढ़ने के लक्षण दिखते हैं इसलिए छोटे बच्चों में इसके लक्षण और भी गंभीर हो जाते हैं। अगर आपका बच्चा बहती नाक और खांसी के साथ तेज़ बुखार से पीड़ित है तो यह डेंगू के लक्षणों में से एक हो सकता है। हालांकि ये लक्षण सामान फ्लू के भी हैं। हालांकि, 24 घंटे में भी अगर बुखार नहीं उतरता तो चाइल्ड स्पेशलिस्ट को ज़रूर दिखाएं।
बच्चों में डेंगू के लक्षण
व्यवहार में परिवर्तन
वयस्कों की तुलना में, बच्चे यह समझने में असमर्थ होते हैं कि वास्तव में उनके साथ क्या हो रहा है। इससे वह चिड़चिड़े और उत्तेजित होने लगते हैं। वे नखरे करेंगे और अक्सर आप देखेंगे कि वे खाने से परहेज़ करेंगे।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं
जी मिचलाना, उल्टी आदि जैसे लक्षण, जिन्हें गलती से गैस्ट्रोएंटेरिटिस भी समझा जा सकता है। वे पेट में भी तेज़ दर्द का अनुभव कर सकते हैं।
शारीरिक कष्ट
डेंगू से प्रभावित बच्चे गंभीर जोड़ों के दर्द, पीठ में दर्द और सिरदर्द इत्यादि का अनुभव करते हैं। अपने बच्चे से यह समझने के लिए बात करते रहें कि उन्हें क्या हो रहा है ताकि आप डॉक्टर को अच्छी तरह से समझा सकें।
त्वचा की समस्याएं
बच्चों को डेंगू से संक्रमित होने पर सबसे आम समस्याओं में से एक है त्वचा पर चकत्ते या लाल दाने निकलना। यह खसरे की तरह पैच में दिखाई देता है। लगातार खुजली डेंगू का एक और लक्षण है।
रक्तस्राव
प्लेटलेट काउंट के कम होने की वजह से, बच्चों के मसूड़ों और नाक से रक्तस्राव होता है। ऐसे मामलों में तत्काल उपाय किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि कुछ मामलों में यह रक्तस्रावी बुखार या शॉक सिंड्रोम जैसी स्थिति घातक हो सकती है।
डेंगू बुखार होने से कैसे बचा जा सकता है?
डेंगू से बचने का सबसे बेहतर तरीका यही है कि डेंगू फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखा जाए। मच्छर ठहरे हुए पानी में पनपते हैं। इसलिए सुनिश्चित करें कि आपके घर या आसपास का क्षेत्र साफ हो और वहां कहीं भी खुले में पानी जमा न हो या पौधे न सड़ रहे हों। खाली डिब्बों या पुराने गमलों को हटा दें, इनमें पानी जमा हो सकता है, खासकर कि मानसून के मौसम में।
कूलर, खुले नालों, छोटे तालाबों और पानी इकट्ठा होने के अन्य स्थानों पर मिट्टी के तेल की कुछ बूंदें डाल दें। घर के बाहर नीम के पत्तों या नारियल की छाल जलाने से मच्छरों को दूर रखने में मदद मिल सकती है। घर के आसपास और आस-पड़ोस में मच्छर मारने वाले धुएं के नियमित छिड़काव से भी मच्छरों का पनपना रोका जा सकता है।
डेंगू से बचने के उपाय
बच्चे को पूरी बांह की कमीज व पैंट पहनाएं, ताकि त्वचा ढकी रहे। बच्चे को हल्के रंग के कपड़े पहनाएं (गहरे रंग के कपड़े मच्छरों को आकर्षित करते हैं) उम्र के अनुसार उपयुक्त मच्छर निरोधकों का इस्तेमाल। सोते समय मच्छरदानी लगाकर सोएं, दिन के समय भी, अगर मच्छरों को घर में प्रवेश करने से रोकने के लिए खिड़कियों पर जाली नहीं लगी है, तो अब लगवा लें। वातानुकूलित माहौल होने से भी मच्छर नहीं आते हैं।