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Sirohi municipal council showering public facilities on district level officers - Sabguru News
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30 हजार लोगों के हक मारकर अधिकारियों को सुविधा दे रहे हैं सिरोही के ट्रस्टी

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30 हजार लोगों के हक मारकर अधिकारियों को सुविधा दे रहे हैं सिरोही के ट्रस्टी
सिरोही में नगर परिषद में जनता के प्रतिनिधि।
सिरोही में नगर परिषद में जनता के प्रतिनिधि।
सिरोही में नगर परिषद में जनता के प्रतिनिधि।

सिरोही। आमतौर पर सिरोही में घरेलू साफ सफाई वाले कार्मिक 5 से 10 हजार में मिल जाते हैं जो पूरे दिन काम देते हैं। लेकिन, सिरोही नगर परिषद में ट्रस्टी बनाकर भेजी गई कांग्रेस बोर्ड जिस तरह सिरोही के 30 हजार लोगों का हक मार रहा है वो अदभुत है।

सिरोही में करीब 110 स्थायी सफाई कर्मचारी थे इनमे से आधा दर्जन तो जिले के आला अधिकारियों की सेवा में उनके घरों में लगा रखे हैं। इतने ही चुनाव समेत अन्य सरकारी दफ्तरों में लगा रखे हैं। इनकी प्रति कर्मचारी तनख्वाह करीब 20-50 हजार रुपए होगी।

इनका भुगतान सिरोही के लोगों के सफाई के सेस के नाम से वसूले जा रहे टेक्स से हो रहा है जबकि नगर परिषद इनसे जिले के अधिकारियों की सेवा करवा रही है। ये अपने आप में सिरोही के लोगों के साथ सबसे बड़ा धोखा और लूट है। सबगुरु न्यूज की मुहिम के बाद नगर परिषद द्वारा बुलवाई सफाई समिति की बैठक से पहले उपलब्ध सफाई कर्मियों की जानकारी लेने पर ये आंकड़ा सामने आया है।

पिछली सरकारों ने सिरोही को जो सफाई कार्मिक दिए थे। कांग्रेस बोर्ड को वो रास नहीं आए। इनमे से बाहर के करीब 22 सफाई कार्मिकों को स्थानांतरित होने पर सिरोही से रिलीव कर दिया। नगर पालिकाओं में ये सभी अधिकार बोर्ड के पास होते हैं। अधिकारी अपने स्तर पर ये काम नहीं कर सकता। बोर्ड का मतलब है एकमत पर सहमत हुआ बहुमत।

फिलहाल ये बहुमत कांग्रेस के दो दर्जन पार्षद हैं। जिन्होंने अपने अधिकार सभापति में समाहित कर रखे हैं। यूं कांग्रेस कार्यकर्ताओं कहना है कि सिरोही विधायक ने बैठक में कार्मिकों को रिलीव करने को मना किया था, इसके बावजूद इन्हें रिलीव कर दिया गया। विधायक के निर्देश के बाद भी यदि ये कर दिया गया है तो या तो ये बगावत है या म्युच्युअल अंडरस्टैंडिंग।

इसलिए ध्यान नहीं देते जिला स्तरीय अधिकारी

सिरोही के लोगों की सुविधा के लिए उनके द्वारा दिए टैक्स से जो संसाधन राज्य सरकार देती है, उस हक को जिला स्तरीय अधिकारी मार देते हैं। ऐसा मामला पहली बार सामने नहीं आया है। इससे पहले ऐसा प्रकरण सामने आने पर पूर्व कलेक्टर रघुवीर मीणा ने तो जिले के कई अधिकारियों के घरों गार्डन और लॉबी को चमकाने के लिए उनके घरों में लगाई गई रोड लाइटों को हटवाया था।

नगर परिषद के कार्मिकों को भी वापस भेजा था। लेकिन, अब ये परम्परा फिर से शुरू हो गई दिखती है। ये ही कारण है कि आला अधिकारियों की नाक के नीचे नगर परिषद हर उल जुलूल काम कर देती है और वो उनकी तरफ आंख मूंदकर बैठे रहते हैं। अपने सुखों के लिए इन अधिकारियों ने शहर को डेंगू के मुंह में धकेल दिया। जिन नेताओ को सिरोही ने इस हक की रक्षा कर लिए चुना था वो इसमें सहभागी बनकर सिरोही वासियों को नारकीय स्थिति में डाले हुए हैं।

मिल गया फिर मौका!

सिरोही नगर पालिका में फिलहाल 35-36 सफाई कर्मचारियों की कमी है। अगर ये कहा जाए कि ये कमी जानबूझकर पैदा की गई है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस कमी की आड़ में सिरोही नगर परिषद को वो काम करने का मौका मिल गया जिससे चुनाव का खर्च निकलने का आरोप भाजपा पर सरजावाव दरवाजे की सभाओं में लगाया जाता रहा है। यानी सफाई ठेका।

घरों और दफ्तरों में अधिकारियों की सेवा में लगे करीब लाखों रुपए मासिक तनख्वाह वाले एक से डेढ़ दर्जन कार्मिकों की कमी की पूर्ति के लिए सिरोही की जनता की दूसरी सुविधाओं का पैसा सफाई ठेके में लगाकर संविदा पर कार्मिक लगाए जाएंगे।

अपने ही पार्षदों से क्यों छिपा रहे हैं सूचना?

सिरोही नगर परिषद में वही काम हो रहा है जिसका आरोप पूर्ववर्ती भाजपा बोर्ड पर लगता रहा है। यानि अपारदर्शी कार्य। वर्तमान सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने करीब 4 साल पहले कांग्रेस के एक धरने में शिरकत की थी। जिसके दौरान तत्कालीन आयुक्त प्रहलाद वर्मा को स्ट्रोक आ गया था।

उस धरने में शामिल भ्रष्टाचार के मुद्दों में एक मुद्दा ये भी है कि कांग्रेस और भाजपा पार्षदों को ताराराम माली के कार्यकाल में सूचनाएं नहीं दी जाती थी जो कि उनका नगर पालिका अधिनियम के तहत अधिकार है। लेकिन, कथित रूप से कांग्रेस के ही बोर्ड में सफाई ठेके, स्टोर खरीद, शहर में हुए निर्माणों की सूचनाएं मांगने पर भी पार्षदों से छिपाई जा रही हैं।

इनका कहना है…

सफाई की व्यवस्था के लिए गुरुवार को सफाई समिति की बैठक रखी गई है। इसमें सब चर्चा की जाएगी। ठेके वाले क्षेत्र की क्या व्यवस्था है इसकी जानकारी मुझे नहीं है। मुझे तो सफाई ठेके के नियम और शर्तों की भी जानकारी नहीं है। एसआई और आयुक्त दोनों से इसके कागज मांगे थे, लेकिन उन लोगों ने उपलब्ध नहीं करवाए।

जितेंद्र सिंघी
उपसभापति एवं सफाई समिति अध्यक्ष।