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श्री मसाणिया भैरव धाम राजगढ़ पर अखण्ड़ ज्योति का समापन - Sabguru News
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श्री मसाणिया भैरव धाम राजगढ़ पर अखण्ड़ ज्योति का समापन

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श्री मसाणिया भैरव धाम राजगढ़ पर अखण्ड़ ज्योति का समापन


अजमेर।
श्री मसाणिया भैरव धाम राजगढ़ पर एकम से दशम तक आयोजित शारदीय नवरात्रा महोत्सव की अखण्ड ज्योति का शनिवार को मुख्य उपासक चम्पालाल महाराज ने विधिवत समापन किया गया।

इस अवसर पर बाबा भैरव व मां कालिका के जयघोष के साथ चम्पालाल महाराज ने मनोकामनापूर्ण स्तम्भ की पूजा-अर्चना कर बाबा भैरव व मां कालिका की आरती की।

राजगढ धाम की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां किसी भी प्रकार का दान, चन्दा, चढावा, गुप्तदान, रूपए पैसे, पूजा सामग्री आदि स्वीकार नहीं की जाती। राजगढ़ धाम देश का एकमात्र ऐसा देवस्थान है जो कोरोना काल में आमजन के सुरक्षा मानको को ध्यान में रखते हुए लम्बे समय तक मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बन्द रहा।

केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा जारी की गई कोविड़ -19 की गाईड़लाईन की पूर्ण पालना में धाम पर छठ मेले का आयोजन भी नहीं किया गया था और ना ही श्रद्धालुओं के लिए कोई कार्यक्रम किया गया। केवल चम्पालाल महाराज ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ ही पूजा अर्चना की गई।

समापन के पश्चात धाम पर श्रद्धा और आस्था से आए हुए सभी श्रद्धालुओं को बाबा भैरव ने अपने करकमलों से सभी को दशम तक चली अखण्ड ज्योति की विशेष रामबाण औषधी रूपी चमत्कारी चिमटी (भभूत) का वितरण किया गया।

धाम पर यह अखण्ड़ ज्योति निरन्तर 24 घण्टे चलती रही जो कि लगातार 9 दिनों तक प्रज्जवलित रही। इस अखण्ड़ ज्योति की विशेषता यह है कि जिस पात्र में इसको प्रज्जवलित किया जाता है उसमें हजारों नारियल की संख्या में नारियल की चिटक, कई पीपे तेल के व धूप हवन सामग्री ड़ालने पर भी यह पात्र कभी भरता नहीं है।

इस अखण्ड़ ज्योति के दर्शन मात्र से ही आए हुए सभी श्रद्धालुओं के रोग, कष्ट, बाधाएं आदि दूर हो जाते है। धाम पर स्थित सर्वधर्म मनोकामनापूर्ण स्तम्भ की विशेष परिक्रमा कर भक्तों ने बाबा भैरव से मन्नत मांगी।

चम्पालाल महाराज ने आए श्रद्धालुओं को कहा कि जिनके भी कोरोना का टीका नही लगा है वे आवश्यक रूप से टीका लगवाए, कही भी जाए तो मास्क का अनिवार्य रूप से प्रयोग करे और नशे का सेवन करके किसी भी सूरत में आपको कोई वाहन नहीं चलाए। उन्होंने प्रदेश को प्लास्टिक मुक्त प्रदेश बनाने, मृत्युभोज पर पूर्णतया प्रतिबन्ध, आर्थिक मंदी के दौर में फिजूलखर्ची से बचने, अधिक से अधिक सामूहिक विवाह सम्मेलन करवाने हेतु शपथ दिलाई।

शारदीय नवरात्रा महोत्सव की सुचारू व्यवस्था संभालने के लिए व्यवस्थापक ओमप्रकाश सेन, अविनाश सेन, केप्टन मुकेश सेन, रमेश सेन, राहुल सेन, सागर सेन, कैलाश सेन के साथ कपिल, यश, मिलन, युवराज, वैभव, भव्य, मिताली, वंशीका, बुलबुल, मनीष, दीपक, सुरेश,पुनीत, धर्मेन्द्र, भगवान, स्वप्निल, युवनेश, चेतन आनन्द, श्रवण, मनोहर, सुरेश, परिक्षित, बलराम, हनुमान आदि का योगदान महत्वपूर्ण रहा।

राजगढ़ गांव की और से चढा झंड़ा

राजगढ़ धाम पर शारदीय नवरात्रा महोत्सव के समापन से पूर्व नवमीं की रात्रि में ही राजगढ़़ ग्रामवासियों की और से बाबा भैरव नाथ व मां कालिका के झंड़ा चढाया गया। झंडा जुलूस राजगढ़ सदर बाजार से प्रारम्भ हुआ। ड़ीजे की धुन पर नाचते गाते झूमते भक्तों ने चक्की वाले बाबा के मंदिर पर धोक लगाई फिर वही से सर्वधर्म मनोकामनापूर्ण स्तम्भ पर चल रही अखण्ड़ ज्योति स्थल पर पहुंचे।

ग्रामवासीयों की और से मुख्य उपासक चम्पालाल महाराज का शाफा व शॉल ओढाकर भव्य स्वागत किया गया। धाम पर समापन के दौरान भजन संध्या का भी आयोजन हुआ जिसमें भजन गायक ज्योती सैनी, कृष्ण गोपाल व नरेश दगदी द्वारा भैरव नाथ और मा कालिका के मधुर भजनों की प्रस्तुतियां दी। कलाकारो ने भजनों के माध्यम से श्रद्धालुओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया।