Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
पेगासस जासूसी : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार, साइबर और फॉरेंसिक विशेषज्ञों से जांच के आदेश - Sabguru News
होम Breaking पेगासस जासूसी : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार, साइबर और फॉरेंसिक विशेषज्ञों से जांच के आदेश

पेगासस जासूसी : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार, साइबर और फॉरेंसिक विशेषज्ञों से जांच के आदेश

0
पेगासस जासूसी : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार, साइबर और फॉरेंसिक विशेषज्ञों से जांच के आदेश

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पेगासस जासूसी मामले में बुधवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए पूरे मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर जांच कराने के आदेश दिए हैं।

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रविंद्रन, पूर्व भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी आलोक जोशी तथा डॉ संदीप ओबरॉय की अगुवाई में साइबर एवं फॉरेंसिक विशेषज्ञों की तीन सदस्यों वाली एक टेक्निकल कमेटी से जांच कराने का आदेश दिया है। आलोश जोशी 1976 बैच के आईपीएस अधिकारी है। डाॅ. ओबरॉय चेयरमैन सब कमेटी (इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ स्टैंडरडाइजेशन/ इंटरनेशनल इलेक्ट्रो-टेक्निकल कमिशन/ जॉंइट टेक्निकल) हैं। यह कमेटी अगले आठ सप्ताह के अंदर अपनी अंतरिम रिपोर्ट देगी।

पीठ ने कहा है कि टेक्निकल कमेटी के सदस्य के तौर पर आईआईटी बाम्बे के प्रोफेसर डॉ अश्विनी अनिल के अलावा विशेषज्ञ डॉक्टर नवीन कुमार चौधरी और डॉक्टर प्रबाहरण पी. सदस्य होंगे। डॉक्टर चौधरी, (साइबर सिक्योरिटी एंड डिजिटल फॉरेसिक्स), डीन- नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, गांधीनगर गुजरात), डॉक्टर प्रबाहरण पी, प्रोफेसर (स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग) अमृत विश्व विद्या पीठम, अमृतपुरी, केरल और डॉ अश्विनी अनिल गुमस्ते, इंस्टिट्यूट चेयर एसोसिएट प्रोफेसर (कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग) इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मुंबई से हैं।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि नागरिकों के निजता के अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता। उनकी स्वतंत्रता को बरकरार रखने की जरूरत है। शीर्ष अदालत इस मामले में आठ सप्ताह बाद सुनवाई करेगी। इस बीच कमेटी को अंतरिम रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। शीर्ष अदालत ने पेगासस जासूसी मामले में विभिन्न जनहित याचिकाओं की सुनवाई पूरी करने के बाद 13 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

यह मामला इजराइल की एक निजी कंपनी के स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर से भारत के प्रमुख पत्रकारों, वकीलों, कई विपक्षी दलों के नेताओं के फोन के माध्यम से कथित तौर पर उसकी जासूसी करने से जुड़ा हुआ है। याचिका में आरोप लगाया गए गए हैं कि अवैध तरीके से लोगों की बातचीत एवं अन्य जानकारी ली गई है। जो उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है।