मुंबई। ड्रग मामले में फंसे अरबाज मर्चेंट के वकील अमित देसाई ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि वह एक ऐसे मामले में जमानत की मांग कर रहे हैं, जहां सजा केवल एक साल की है और मामले में कई ऐसी परिस्थितियां हैं, जो यह दिखाती हैं कि इसमें किसी तरह की कोई साजिश नहीं है।
उन्होंने कहा, अगर जमानत मिल जाती है तो जांच प्रकिया के किसी भी तरह से बाधित होने की संभावना नहीं है, लेकिन हिरासत में लिए जाने की जरूरत ही क्या है, जब सजा महज एक साल की है।
उन्होंने कहा कि 3 अक्टूबर को तीनों (आर्यन खान, अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा) को धारा 27 ए और 29 लगाए बगैर एक ही तरह के अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया था और उनकी गिरफ्तारी केवल धारा 20 (बी) और 27 के तहत हुई थी।
देसाई ने कहा कि यह एक निजी उपयोग का मामला है और व्यक्तिगत इस्तेमाल के अलावा अरेस्ट मेमो में लगाया गया कोई भी आरोप इस्तेमाल संबंधी नहीं है। हालांकि अगर उनकी मादक पदार्थ के सेवन की इच्छा भी होती तो इस आधार पर भी मामला नहीं बनता है क्योंकि उनका मेडिकल टेस्ट ही नहीं कराया गया था।
उन्होंने अदालत को बताया कि जहां तक साजिश का सवाल है, अभी तक किसी को गिरफ्तार या अदालत के समक्ष पेश नहीं किया गया है। लेकिन रिमांड अर्जी में साजिश की बात नहीं की गई है, हालांकि बाद में इसका जिक्र किया गया है कि 8 लोगों ने इसकी साजिश रची है और अब कहा जा रहा है कि 20 लोगों के द्वारा साजिश रची गई है।
रिमांड कोर्ट की कार्यवाही पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि विद्वान मजिस्ट्रेट ने आरोपी व्यक्तियों को जांच के लिए हिरासत में भेज दिया और यह 7 अक्टूबर तक जारी रहा। हालांकि, आज तक साजिश के लिए कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और साजिश अपने आप में एक अलग अपराध है।