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आर्यन खान की जमानत मंजूर, शुक्रवार या शनिवार को हो सकती है रिहाई - Sabguru News
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आर्यन खान की जमानत मंजूर, शुक्रवार या शनिवार को हो सकती है रिहाई

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आर्यन खान की जमानत मंजूर, शुक्रवार या शनिवार को हो सकती है रिहाई

मुंबई। बाम्बे हाईकोर्ट ने बाॅलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के पुत्र आर्यन खान को गुरुवार को बड़ी राहत देते हुए मुम्बई क्रूज ड्रग्स मामले में उसकी जमानत मंजूर कर ली। तेईस वर्षीय आर्यन खान 26 दिनों तक पुलिस और न्यायिक हिरासत में रहने के बाद शुक्रवार या शनिवार को घर लौट सकेगा।

न्यायालय ने आर्यन, अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमीचा की जमानत याचिका पर गुरुवार को दो घंटे तक चली सुनवाई के बाद जमानत अर्जी मंजूर कर ली। इससे पहले न्यायालय के समक्ष बचाव पक्ष की ओर से पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी के नेतृत्व में दो दिनों तक दलीलें पेश की गईं।

न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे ने इन सबकी जमानत मंजूर करते हुए कहा कि शुक्रवार को विस्तृत आदेश सुनाया जाएगा। आर्यन इस समय आर्थर रोड जेल में बंद है। न्यायालय जब इस मामले में विस्तृत आदेश सुनाएगा तभी आर्यन को रिहा किया जाएगा। बचाव पक्ष के वकील ने इस दौरान न्यायालय से कैश बेल प्रस्तुत करने की अनुमति मांगी लेकिन इसे नामंजूर करते हुए न्यायालय ने कहा कि जमानती बांड देना पड़ेगा।

रोहतगी ने कहा कि आर्यन के शुक्रवार या शनिवार को जेल से बाहर आने की उम्मीद है। अतिरिक्त साॅलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने गुरुवार को नारकोटिक्स कंट्राेल ब्यूरो (एनसीबी) की ओर से न्यायालय में प्रस्तुत होते हुए कहा कि आर्यन के पास ड्रग्स मिली थी। वह ड्रग्स का धंधा करने वालों के संपर्क में था। इस तरह उसके विरुद्ध धारा 28 और 29 के तहत अभियोजन बनता है और उसकी गिरफ्तारी वैध है।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार मादक पदार्थों का धंधा गैर इरादतन हत्या से बड़ा अपराध है। इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा था कि एनडीपीएस कानून के तहत हर मामले में जमानत मंजूर करना कोई नियम नहीं है।

सिंह ने बचाव पक्ष के इस दावे पर कि गिरफ्तारी गैरकानूनी है, आपत्ति जताते हुए कहा कि आरोपियों को गिरफ्तार करने से पहले सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की गई थीं और जहां तक किसी षडयंत्र की बात है तो इसको सिद्ध करना कठिन है। केवल साजिशकर्ता ही जानते हैं कि उन्होंने साजिश की है।

सिंह ने एक घंटे से अधिक समय पर अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने का मौका है। उन्होंने अपनी इस बात पर बल देने के लिए गवाह प्रभाकर सैल के हलफनामे का उल्लेख किया। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता रोहतगी ने उनकी इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि यह एक संयोग नहीं है, यह एक साजिश है। साजिश का अटकलबाजी से कुछ लेना-देना नहीं हो सकता।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी होटल में अलग-अलग कमरों में लोग बैठकर धू्म्रपान कर रहे हों तो क्या होटल के सभी लोगों को उसी साजिश का भागीदार माना जा सकता है? उन्होंने कहा कि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि इसे साजिश माना जाए।