सूरत। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान लोकसभा सांसद राहुल गांधी मानहानि के एक बहुचर्चित मामले में शुक्रवार को अदालत में फिर से पेश हुए।
13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में मोदी उपनाम पर कथित तौर पर टिप्पणी करने को लेकर गांधी के विरुद्ध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में सूरत के तत्कालीन भाजपा विधायक और अब राज्य सरकार में मंत्री पूर्णेश मोदी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का यह मामला दर्ज कराया था।
गांधी ने कथित तौर पर रैली में भगोड़े व्यवसायी नीरव मोदी, विवादित पूर्व क्रिकेट प्रशासक ललित मोदी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए सवालिया लहजे में कहा था- ऐसा क्यों हैं कि सभी का एक सा उपनाम मोदी ही हैं। क्यों सभी चोरों का मोदी ही उपनाम है।
गांधी दोपहर बाद यहां मुख्य जूडिशल मैजिस्ट्रेट (सीजेएम) एएन दवे की अदालत में पेश हुए और अपना बयान दर्ज कराया। उनकी इस मामले में यहां अदालत में यह तीसरी पेशी थी। इससे पहले वह इसी साल 24 जून को पेश हुए थे और पहली बार बयान दर्ज कराया था। दोनों ही मौक़ों पर उन्होंने केवल यही कहा कि उन्हें कुछ पता अथवा याद नहीं।
सबसे पहले वह इस मामले में अक्टूबर 2019 में अदालत में पेश हुए थे और अपने ख़िलाफ़ आरोपों को नकारा था। अदालत ने तब उन्हें ज़मानत दे दी थी। अदालत में आज श्री पूर्णेश मोदी भी उपस्थित थे और उन्होंने कहा कि गांधी के बयान से देश भर में मोदी (तेली) समुदाय के 13 करोड़ लोगों का अपमान हुआ है। सूरत-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के विधायक मोदी पिछले माह ही राज्य के मार्ग एवं मकान, यात्रा धाम विकास, परिवहन और नागरिक उड्डयन विभागों के मंत्री बनाए गए थे।
अदालत ने राहुल गांधी को दूसरी बार बयान दर्ज कराने के लिए इस लिए बुलाया था क्योंकि इस मामले के दो अन्य साक्षियों- कोलार के तत्कालीन निर्वाचन अधिकारी और उक्त रैली का वीडियो बनाने वाले ने भी अदालत में अपने बयान दर्ज कराए हैं।
गांधी के ख़िलाफ़ गुजरात में मानहानि के दो अन्य मामले भी दर्ज हैं। ये दोनो अहमदाबाद में चल रहे हैं। इनमे से एक अहमदाबाद महानगरपालिका में कोरपोरेटर कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट ने अप्रैल 2019 में ही मध्य प्रदेश के जबलपुर में आयोजित एक चुनावी रैली में गांधी के कथित तौर पर तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को हत्या का आरोपी बताने के ख़िलाफ़ दर्ज कराया था।
दूसरा मामला अहमदाबाद सहकारी बैंक में नोट बंदी के दौरान कथित तौर पर अरबों रुपए के पुराने नोट बदलने के उनके और अन्य कांग्रेस नेताओं के ट्वीट को लेकर दर्ज कराया गया था। शाह उक्त बैंक के निदेशक थे। इन दोनो मामलों में भी राहुल गांधी पूर्व में अदालत में पेश होकर ज़मानत ले चुके हैं।