श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कृषि कानून वापस लिए जाने को ‘स्वागत योग्य कदम’ बताते हुए उम्मीद जताई कि राज्य में किए गए संवैधानिक बदलाव को भी वापस लिया जा सकता है।
मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला स्वागत योग्य कदम है। ऐसा लगता है कि यह निर्णय ‘मजबूरी और चुनावों में हार के डर’ से लिया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद किए गए संवैधानिक बदलावों को भी वापस ले लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला और माफी एक स्वागत योग्य कदम है, भले ही यह चुनावी मजबूरियों और चुनावों में हार के डर से किया गया हो। विडंबना यह है कि जहां भाजपा को वोट के लिए शेष भारत में लोगों को खुश करने की जरूरत है, वहीं कश्मीरियों को दंडित करना और उनका अपमान करना उनके प्रमुख वोट बैंक को संतुष्ट करता है।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विभाजित और शक्तिहीन करने के लिए भारतीय संविधान का अपमान केवल अपने मतदाताओं को खुश करने के लिए किया गया था। मुझे उम्मीद है कि वे यहां भी सुधार करेंगे और अगस्त 2019 से जम्मू-कश्मीर में किये गये अवैध बदलावों को वापस लेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट कर कहा कि जो लोग यह मान रहे हैं कि सरकार ने बड़ा दिल दिखाते हुए कृषि कानून वापस लिए हैं, वे पूरी तरह गलत हैं।
उन्होंने कहा कि किसी को भी अगर यह लगता है कि सरकार ने बड़प्पन दिखाते हुए कृषि कानूनों को वापस लिया है, तो ये उनकी गलतफहमी है। यह सरकार केवल अपनी स्थिति खराब देख कर उसके अनुसार काम करती है। उपचुनावों में मिली हार ने ईंधन के दाम कम करा दिए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनावी गणित खराब होने के चलते कृषि कानून वापस लिए गए।