नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि चुनाव में उम्मीदवार द्वारा शैक्षणिक योग्यता संबंधी की गई झूठी घोषणा को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के दायरे में लाया जा सकता है।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी विधायक रवि विशेष के चुनावी हलफनामे में उनकी शैक्षणिक योग्यता संबंधी जानकारी को गलत बताने वाले उनके प्रतिद्वंद्वी एवं पूर्व महापौर योगेंद्र चंदोलिया की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया है।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पीठ ने आप के टिकट पर दिल्ली के करोल बाग से विधायक चुने गए रवि की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि शैक्षणिक योग्यता 1951 के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123(4) के दायरे में नहीं आती है।
पीठ ने साफ तौर पर कहा है कि चुनाव में एक उम्मीदवार द्वारा शैक्षणिक योग्यता संबंधी की गई झूठी घोषणा को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम- 1951 की धारा 123(4) (भ्रष्ट आचरण) के दायरे में लाया जा सकता है।
न्यायमूर्ति शकधर ने जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि कहा कि मेरे विचार में उम्मीदवारी के संबंध में प्रयुक्त अभिव्यक्ति में एक उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता से संबंधित जानकारी शामिल होनी चाहिए, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से माना है कि मतदाताओं को यह जानने का मौलिक अधिकार है।
उच्च न्यायालय ने रवि के निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार श्री चंदोलिया द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार करने का शुक्रवार को फैसला किया।
चंदोलिया ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि रवि ने अपने चुनावी हलफनामे में शैक्षणिक योग्यता संबंधी गलत जानकारियां दी हैं, जो जनप्रतिनिधित्व कानून खिलाफ है। लिहाजा इस चुनाव परिणाम को अवैध घोषित किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता ने अदालत से यह निर्देश देने की गुहार लगाई है कि 08 फरवरी, 2020 को हुए करोल बाग विधानसभा क्षेत्र के चुनाव के परिणाम को रद्द किया जाए।
उच्च अदालत ने याचिकाकर्ता की इस दलील पर सहमति जताई कि रवि का अपनी उच्चतम शैक्षणिक योग्यता को लेकर रूख असंगत रहा है। उच्च न्यायालय ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 10 जनवरी 2022 की तारीख मुकर्रर की है।
याचिका के अनुसार, आम आदमी पार्टी के नेता रवि ने 2013 के विधानसभा चुनाव में अपनी उम्मीदवारी के लिए प्रस्तुत फॉर्म-26 में दावा किया था कि उन्होंने 2008 में उत्तर प्रदेश के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से से बीकॉम की डिग्री हासिल की थी, जबकि 2015 के चुनाव में उन्होंने दावा किया कि वह दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) से स्नातक (बीए) (कार्यक्रम) की पढ़ाई कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि उपरोक्त दी गई जानकारी के विपरीत श्री रवि ने 2020 में दायर फॉर्म -26 में दावा किया था कि उनकी उच्चतम शैक्षणिक योग्यता 2003 में दसवीं कक्षा थी, जो एनआईओएस पास थी। पीठ ने इन असंगत जानकारियों पर गौर करते हुए भाजपा नेता चंदोलिया की याचिका पर विचार करने का फैसला किया।