अजमेर। चीन में प्रस्तावित सर्दी ओलंपिक को रद्द किए जाने की मांग करते हुए तिब्बती समुदाय की ओर से समूचे विश्व का समर्थन हासिल करने के लिए बीते 10 दिसंबर से मानवाधिकार दिवस के दिन बाइक यात्रा शुरू की। तिब्बती युवा संगठन के अंग क्षेत्रीय तिब्बती युवा संगठन दिल्ली की ओर से बेंगलूरु से शुरू हुई यह यात्रा शुक्रवार को अजमेर पहुंची।
इस अवसर पर नगर निगम अजमेर के उपमहापौर नीरज जैन ने तिब्बती समुदाय की आवाज बुलंद करते हुए कहा कि चीन के अत्याचार से पीडित तिब्बती समुदाय का 1959 से लगातार आजादी के लिए संघर्ष जारी है। साल 2021 खत्म होने को आया लेकिन इतने सालों की इस लडाई में तिब्बती समुदाय को चीन नहीं झुका पाया। तिब्बती समुदाय अपने देश, सभ्यता, संस्कृति को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
जैन ने विश्वास जताया कि तिब्बती समुदाय और खासकर युवा वर्ग के प्रयासों को निसंदेह सफलता मिलेगी और अगले साल सभी तिब्बतियों का अपने देश में सम्मान जीने का हक मिलेगा। उन्होंने बाइक रैली में शामिल तिब्बती युवा साथियों को शुभकामनाएं दीं।
बाइक रैली में शामिल तिब्बती युवा संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि चीन में प्रस्तावित ओलंपिक रद्द करने, पंचेन दालाई लामा और अन्य तिब्बती राजनीतिक कैदियों की रिहाई, तिब्बत की आजादी के लिए अब तक जान की कुर्बानी देने वालों को न्याय मिले जैसी प्रमुख मांगों तथा तिब्बती समुदाय को भारत में शरण दिए जाने के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए के लिए बाइक यात्रा निकाली जा रही है।
उन्होंने कहा कि अभी तक 8 देशों ने चीन में प्रस्तावित ओलंपिक से किनारा कर लिया है, इनमें फ्रांस ने पूर्ण बहिष्कार किया है। भारत सरकार से भी आग्रह है कि चीन पर दबाव बनाने के लिए ओलंपिक रद्द करने की मांग का पुरजोर समर्थन करे।
उन्होंने जोर देकर कहा कि तिब्बत एक स्वतंत्र राष्ट्र था, तिब्बत स्वतंत्र राष्ट्र रहेगा नारा बुलंद करते हुए। तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीन की कम्यूनिष्ट पार्टी द्वारा तिब्बती बौद्ध मंदिरों और विभिन्न तीर्थ स्थलों को नष्ट कर दिया गया। इतना ही नहीं बल्कि तिब्बत के पहाडों से खनिज पदार्थों का अत्यधिक मात्रा में दोहन किया जा रहा है। इससे प्रदूषण का खतरा बढ गया है। इसका प्रभाव जनवायु परिवर्तन के रूप में देखने में आ रहा है।
चीन के अत्याचारों के सहने में असमर्थ होकर अब तक 167 तिब्बती न्याय की मांग करते हुए तिब्बत और जनकल्याण के लिए स्वयं के शरीर का दीप जलन कर चुके हैं। तिब्बत में मानवाधिकार की स्थिति दिनबदिन बिगडती ही जा रही है।
चीन के राष्ट्रपति शी जीन पिंग के नेतृत्व में केवल तिब्बत ही नहीं बल्कि अन्य देशों की जमीन को कब्जाने के प्रयास जारी हैं। चीन में उइगर मुसलमानों और पूर्वी तूर्की के 1.8 करोड से 3 करोड लोगों को शिक्षा के नाम पर ले जाकर एकाग्रता शिविर में शारीरिक और मानसिक रूप से कष्ट दिया गया। इस दर्दनाक रहस्य को ओलंपिक संगठन के समक्ष पेश करने पर भी कुछ भी कार्रवाई देखने को नहीं मिल रही। इन्हीं कारणों के चलते इस साल चीन में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक खेलों को रद्द करने की मांग के साथ तिब्बती समुदाय चीन का कडा विरोध करते हैं।
इस अवसर पर ल्हासा मार्केट एशोसिएशन के अखिल भारतीय अध्यक्ष चो ग्यालत्सेन, सेरिंग वांगकुक, सचिव त्सेरिंग चोकी, कोषाध्यक्ष ताशी तोपग्याल, न्यामा दोरजी, तेनज़िन नामग्याल केलसांग धोंडुप, बुद्ध ज्योति विहार अजमेर के रामरतन, बीआर बेहरवाल, मदन सिंह तंवर, बीएस ज्योति, प्रेम प्रकाश सिंह, देवीलाल झाला, नारायण सिंह राठौड़ समेत बडी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।