अगरतला। त्रिपुरा में विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बाद सत्तारूढ़ दल के विधायक अरुण चंद्र भौमिक की बेटी अनिंदिता भौमिक ने रविवार को सोशल मीडिया पर राज्य सरकार पर स्वतंत्र विचार व्यक्त करने पर उत्पीड़न तथा पुलिस अत्याचार का आरोप लगाया है।
उनके पिता और दक्षिण त्रिपुरा के बेलोनिया से भाजपा विधायक अरुण चंद्र भौमिक ने आरोप लगाया कि एक ऐसे मामले, जिसका उनकी बेटी या उनकी ससुराल का कोई संबंध नहीं है, में बिना किसी वारंट या वैध आधार के महिला पुलिस उनकी बेटी के ससुराल में गई थी।
भौमिक ने मीडिया से कहा कि पूर्वी अगरतला महिला पुलिस स्टेशन की दो महिला अधिकारी बिना उचित दस्तावेजों के उनकी बेटी के ससुराल गई थीं और उससे पूछताछ करना चाहती थीं। वह सहयोग करने के लिए तैयार हो गई। उन्होंने पुलिस से कहा कि पूरी बातचीत की वीडियोग्राफी की जाए और इस चर्चा के दौरान उनके ससुर भी मौजूद रहें। इस पर पुलिस सहमत नहीं हुई और भाग खड़ी हुई।
उल्लेखनीय है कि भौमिक मुख्यमंत्री विप्लव देव के करीबी माने जाते थे और भाजपा के शीर्ष नेताओं में से एक हैं। वहां, अनिंदिता त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज (टीएमसी) में एक फिजियोथेरेपिस्ट हैं जिन्हें पिछले साल कदाचार के आरोपों के बाद निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत करार दिया था।
विधायक ने दावा किया कि उन्हें त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में गैर-चिकित्सकों को वंचित करने, धन के दुरुपयोग के साथ-साथ अनियमितताओं के मुद्दों को उठाने के लिए पीड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निलंबन की अवधि भी नियमों का उल्लंघन करते हुए दो बार बढ़ाई गई और मामला कोर्ट में विचाराधीन है और साजिशकर्ता अब मुश्किल में हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुझ पर दबाव बनाने के लिए पुलिस जुटाई गई है। मैंने पुलिस अधीक्षक (पश्चिम) से बात करने की कोशिश की न तो उन्होंने फोन उठाया और न ही मुझे वापस कॉल की। यह सरकार और प्रशासन का बर्बर रवैया है। हर चीज की एक सीमा होती है।
उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि मैं अच्छी तरह जानता हूं कि इसके पीछे कौन है और वह क्या चाहता है। मैं इसका अंत देखूंगा। मैंने सबसे शक्तिशाली मुख्यमंत्री समीर रंजन बर्मन को भी नहीं बख्शा।
इस घटना पर विपक्षी दलों ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। माकपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों ने पिछले दो वर्षों से अनिंदिता के लगातार उत्पीड़न और पुलिस की ताजा कार्रवाई की निंदा की।
माकपा के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी और टीएमसी के राज्य संयोजक सुबल भौमिक ने न केवल अनिंदिता, बल्कि सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं और स्वतंत्र राय रखने वालों के खिलाफ दर्ज की गई ऐसी सभी शिकायतों की गहन जांच की मांग की।