सुलतानपुर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में पार्टी सांसद मेनका गांधी और उनके पुत्र एवं फायर ब्रांड नेता वरूण गांधी का नाम न होने से यहां चर्चाओं का बाजार गर्म रहा।
भाजपा ने आज अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर स्मृति ईरानी समेत 30 बड़े नेताओं के नाम शामिल किए गए हैं।
इसमें सुलतानपुर की सांसद मेनका गांधी और उनके पुत्र व पीलीभीत सांसद वरुण गांधी को एक बार फिर सूची से बाहर रखा गया है। सुलतानपुर में पार्टी के फैसले को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
गांधी परिवार जैसे बड़े राजनीतिक घरानों से जुड़े होने और केंद्र में कई बार मंत्री होने के नाते मेनका गांधी और वरुण गांधी बड़े नेताओं में शुमार है, मगर इधर कुछ वर्षों से अपनी विवादित बयान तथा सत्ता विरोधी बयानों को लेकर सुर्खियाँ में रहने वाले वरुण गांधी को पहले पार्टी की राष्ट्रीय सूची और अब प्रदेश की स्टार प्रचारकों की सूची से अलग कर दिया गया। इससे मां बेटे इस रोचक राजनीतिक संग्राम से अलग थलग पड़ गए हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी राजनेता पार्टी की रीति नीति से हट कर आचरण करेगा तो उसको यह नुकसान तो झेलना ही है। साथ ही ऐसे व्यक्तित्व को पार्टी अपने चुनावी मंच पर कैसे उतार सकती है जो पहले से ही पार्टी की रीति नीति से हटकर बोलता रहा हो।
हालांकि पार्टी के नेताओ का कहना है कि अभी तो प्रथम चरण के चुनाव के लिए सूची जारी हुई है हो सकता है अगले चरण के चुनाओं में उन्हें शामिल किया जाए। चौपालों व चौराहों पर लोग अपने अपने तर्क से मां बेटे के प्रति सहानुभूति व्यक्त कर रहे हैं।
गौरतलब है कि इससे पूर्व भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की नई सूची से भी सांसद वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी को जगह नहीं मिली थी। उस समय भी माना जा रहा था कि वरुण को पार्टी की नीति से अलग बोलने की वजह से ऐसा किया गया है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पार्टी के सभी महत्वपूर्ण फैसलों में बड़ी भूमिका होती है। बीते कुछ समय से किसान मुद्दे को लेकर वरुण गांधी अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद वह बगावती अंदाज में खुलकर सोशल मीडिया पर लिख रहे थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दोनों को स्टार प्रचारक सूची से दूर रखा गया था।
पूर्व में वरुण गांधी ने एक वायरल वीडियो ट्वीट किया, जिसमें एक जीप प्रदर्शनकारी किसानों को कुचलते हुए दिखाई दे रही है। वरुण गांधी ने लिखा था कि वीडियो बिल्कुल साफ है, प्रदर्शनकारियों की हत्या कर चुप नहीं कराया जा सकता। किसानों के खून की जबावदेही होनी चाहिए और अहंकार व क्रूरता का भय बैठने से पहले किसानों को न्याय मिलना चाहिए।
वरुण गांधी के बागी तेवर लखीमपुर खीरी हिंसा से पहले भी दिखाई दिए। किसानों का पक्ष लेते हुए उन्होंने गन्ने का मूल्य 400 रुपए घोषित करने की मांग की थी। इसके लिए वरुण गांधी ने योगी को पत्र भी लिखा था।
12 सितंबर को भी किसानों के मुद्दे उठाते हुए मुख्यमंत्री को खत लिखा था। गांधी ने इसमें गन्ने के दाम, बकाया भुगतान, धान की खरीदारी समेत कई मुद्दों को उठाया था। 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत में गांधी ने किसानों का समर्थन कर सरकार को असहज महसूस कराया था।