अजमेर। राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए राज्य के बजट में उच्च शिक्षा के लिए आवश्यक बजटीय प्रावधानों को शामिल करने की मांग की है।
संगठन के महामन्त्री डॉ. सुशील कुमार बिस्सू ने बताया कि संगठन ने राज्य के उच्च शिक्षा के सबसे बड़े संगठन रुक्टा (राष्ट्रीय) ने मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखकर गत दो वर्षों में खोले गए नवीन महाविद्यालयों को सोसाइटी के माध्यम से संचालन के निर्णय पर पुनर्विचार करने, राजकीय महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों में शिक्षकों, शारीरिक शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के 3500 से अधिक रिक्त पदों एवं बड़ी संख्या में अशैक्षणिक कर्मचारियों के रिक्त पड़े पदों को भरने की घोषणा बजटीय प्रावधानों में शामिल करने की मांग की है।
ज्ञातव्य है कि राज्य के कई विश्वविद्यालयों यथा सीकर, अलवर, भरतपुर, बांसवाड़ा आदि में शैक्षणिक पद पर एक भी नियुक्ति नहीं की गई है यह स्थिति अत्यन्त चिंता जनक है।
इसी क्रम में राज्य के महाविद्यालयीय शिक्षकों हेतु यूजीसी रेगुलेशन 2018 के प्रावधान पूर्ण रुप से लागू करने यथा उच्च शिक्षा के शिक्षकों को नवीन वेतनमान 1 जनवरी 2016 से देने, प्रोफ़ेसर पद संख्या से सीमा हटाने सहित अन्य शिक्षक हितकारी प्रावधान लागू करने की मांग की है।
डॉ. बिस्सू ने बताया कि राज्य के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षकों को सीएएस के तहत वरिष्ठ वेतनमान, चयनित वेतनमान एवं पे बैंड IV का लाभ अनेक वर्षों से लंबित है। एक फरवरी 2018 तक सीएएस लाभ हेतु पात्रता रखने वाले राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की सीएएस प्रक्रिया जो जुलाई 2019 में प्रारंभ हुई थी, वह ढाई वर्ष व्यतीत होने पर भी पूर्ण नहीं हुई है। संघठन की अपेक्षा है कि अन्य विभागों की तरह महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालयों की सीएएस प्रक्रिया प्रति वर्ष निश्चित समयावधि में पूर्ण करने का प्रावधान बजट घोषणाओं में हों।
यूजीसी के प्रावधानों के अनुरुप विद्यार्थी शिक्षक अनुपात स्नातक कला में 30:1 एवं स्नातक विज्ञान में 25:1 करने, तदनुसार कक्षा वर्गों के निर्धारण और शिक्षकों के पद सृजित करने की घोषणा बजट घोषणाओं में शामिल करने की मांग की है। इसी क्रम में संविदा शिक्षकों को नियमित करने, महाविद्यालयों में सूचना सहायक का पद सृजित करने एवं महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों की अकादमिक स्वायत्तता की व्यवस्था सम्बन्धी प्रावधान, पुस्तकालयों का डिजिटलाइजेशन करने, पुस्तकालयाध्यक्षों की नियुक्ति सम्बन्धी घोषणाओं की अपेक्षा संगठन ने व्यक्त की है।
राज्य के चार राजकीय महाविद्यालयों में कृषि शिक्षा देने की व्यवस्था है लेकिन इनमें कृषि संकाय के पाठ्यक्रमों को आईसीएआर से अलग से एक्रीडिटेशन नहीं होने के कारण इन महाविद्यालयों से स्नातक करने वाले विद्यार्थियों को आगे की कृषि शिक्षा में बहुत बाधा उपस्थित होती है। साथ ही इन महाविद्यालयों में कृषि शिक्षा के मानदंडों के अनुरूप व्यवस्था भी नहीं है। संगठन का सुझाव है कि बेहतर होगा कि कृषि शिक्षा के लिए अलग से महाविद्यालय खोले जाएं अथवा वर्तमान में चल रहे इन महाविद्यालयों के कृषि संकायों को विश्वविद्यालयों में मर्ज कर दिया जाए।
संगठन के अध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार शर्मा ने बताया कि आज के प्रतिस्पर्धात्मक समय में सर्वांगीण विकास के लिए यह आवश्यक है कि राज्य की उच्च शिक्षा यूजीसी के मानकों एवं जनआकांक्षाओं के अनुरुप गुणवत्तापूर्ण हो इस दृष्टि से राज्य के बजट में उच्च शिक्षा सम्बन्धी सुझावों पर मुख्यमंत्री से कार्यवाही करने की मांग संगठन ने की है।