नई दिल्ली। बीजू जनता दल, तृणमूल कांग्रेस और तेलंगना राष्ट्र समिति के सदस्यों ने गुरुवार को राज्यसभा में केन्द्र सरकार पर संघवाद को कमजोर करने का आरोप लगाया।
सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद के प्रस्ताव पर चल रही चर्चा के दौरान बीजद के सस्मित पात्रा ने कहा कि संघीय व्यवस्था में सभी राज्यों को एक समान माना गया है लेकिन समानता की व्यवस्था घट रही है। संघीय व्यवस्था पर सवालिया निशान लग रहा है।
पात्रा ने कहा कि ओडिशा के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री को 2019, 2020 और 2021 में पत्र लिखे थे। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित पोर्टल तीन साल से बंद है और एक बार खुला भी उसका लाभ कर्नाटक को मिला। उन्होंने कहा कि ओडिशा सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आवास की सुविधा उपलब्ध कराना चाहती है।
उन्होंने कहा कि ओडिशा वस्तु एवं सेवा कर, खनिज और रेलवे के माध्यम से केन्द्र को बहुत अधिक राजस्व देता है लेकिन उसके यहां से भारतीय खाद्य निगम परवल चावल की खरीद नहीं कर रहा है। उनके राज्य से 22 लाख टन चावल की खरीद की जानी है लेकिन अब तक 12000 टन चावल की ही खरीद की गई है।
तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार ने आरोप लगाया कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रहे हैं और इनके अधिकारियों को शीर्ष पदों पर नियुक्त किया जा रहा है तथा उन्हें सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में संघीय व्यवस्था है लेकिन पेगासस के माध्यम से लोगों की निगरानी की जा रही है और केन्द्र सरकार में इसे खरीदने की बात स्वीकार करने की शक्ति नहीं है।
सरकार ने कहा कि निजीकरण को बहुत अधिक बढावा दिया जा रहा है और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। कोयला खादानों को ऐसे लोगों को दिया जा रहा है जिसके सरकार के साथ दोस्ताना संबंध हैं। छह हवाई अड्डों को ऐसे घराने को दिया गया जिसे इसके संचालन का अनुभव नहीं था। उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम के पास करीब 40 लाख करोड़ रुपए की सम्पत्ति है उसे समाप्त किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और समाज टुकड़ों में बट रहा है। अर्थव्यवस्था इतनी खराब स्थिति में कभी नहीं थी। बेरोजगारी की स्थिति विकराल हो गई है और 15 से 64 आयु वर्ग के लोगों में से केवल 40 प्रतिशत को ही काम मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल के दौरान 14 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं।
टीआरएस के के केशव राव ने कहा कि देश में ध्रुवीकरण की राजनीति की जा रही है जिससे समाज विभाजित हो रहा है। साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि घृणा सम्बन्धी बयानों पर रोक लगाने को लेकर कानून बनाया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्रीय कानूनों से संघवाद बर्बाद हो रहा है और राज्यों की शक्तियां वापस ली जा रही है। दक्षिण भारतीय गैर भाजपा शासित राज्यों की उपेक्षा की जा रही है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने किसानों की आय दोगुना करने की बात कही थी, वैसा हुआ या नहीं लेकिन खेती की लागत जरुर दोगुना हो गई है। तीन कृषि कानूनों को लेकर राज्यों की राय नहीं ली गई और किसानों के आन्दोलन के बाद उसे वापस ले लिया गया।
कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कहा कि पिछले सात साल के दौरान अमीर और अमीर हो गया तथा गरीब और गरीब हो गया। पहले अमीरों से ज्यादा कर लिया जाता था लेकिन अब अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से गरीबों से अधिक राशि की वसूली की जा रही है।
उन्होंने केन्द्र सरकार पर संसदीय परम्पराओं के विपरीत काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार किसान और मजदूर विरोधी है। करीब 29 श्रम कानूनों को समाप्त किया गया है। उन्होंने कहा कि धार्मिक उन्माद को बढावा दिया जा रहा है तथा धर्म संसद में आपत्तिजनक बातें कही जा रही है जिस पर प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोलते हैं।
भारतीय जनता पार्टी के कामाख्या प्रसाद तासा ने कहा कि केन्द्र सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास कार्यो को तेज किया है और अलगाववाद को नियंत्रित किया है। उन क्षेत्रों में रेल सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने इन क्षेत्रों में इंटर स्टेट बस सेवा शुरु करने की मांग की। द्रमुक के आरएस भारती ने नीट परीक्षा समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया है।