जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन अध्यक्ष वैभव गहलोत के खिलाफ नासिक में धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज हुई है। नासिक के कारोबारी सुशील भालचंद्र पाटिल ने वैभव पर महाराष्ट्र के पर्यटन विभाग में ई-टॉयलेट सहित सरकारी विभागों में टेंडर दिलाने के नाम पर 6.80 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।
सुशील ने नासिक के गंगापुर थाने में 17 मार्च को वैभव गहलोत सहित 14 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। कोर्ट के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज हुआ है। मुख्य आरोपी गुजरात कांग्रेस के सचिव सचिन पुरुषोत्तम वालेरा हैं। वालेरा के पिता पुरुषोत्तम भाई वालेरा भी वरिष्ठ कांग्रेस नेता रहे हैं।
एफआईआर में सचिन वालेरा ने खुद को एडवरटाइजिंग कारोबारी बताते हुए कहा कि उसके 13 राज्यों में पेट्रोल पंपों पर विज्ञापन का कॉन्ट्रैक्ट है। उसने दावा किया कि उसका सीएम अशोक गहलोत औरउनका बेटे वैभव गहलोत के साथ अच्छे संबंध हैं। उसने सीएम गहलोत के आर्थिक मामले देखने का भी दावा किया।
उसने यह भी कहा कि कुछ महीने से पंजाब में काम करने लगा हूं और पंजाब के मुख्यमंत्री को ओबी वैन भेंट की है। सचिन ने उसके काम में निवेश करने पर करोड़ों के मुनाफे का भरोसा दिलाया और कहा कि आपको केवल नाम के लिए टेंडर में भाग लेना है। बाकी का काम वैभव गहलोत देखेंगे। सचिन ने इस निवेश के बारे में सारी जानकारी दी। राजस्थान सरकार द्वारा जारी किए गए सर्कुलर दिखाए, जो बाद में फर्जी पाए गए थे।
पीड़ित के मुताबिक उसने सचिन वलेरा के उपलब्ध कराए गए बैंक खातों में अलग-अलग समय पर पैसे ट्रांसफर कर दिए। यह रकम 6 करोड़ 80 लाख रुपए के आसपास थी। उस समय कई महीने तक सचिन वलेरा और वैभव गहलोत ने बैंक खाते में निवेश पर मासिक रिटर्न ट्रांसफर कर दिया था। इसे देखते हुए कई और सहयोगियों ने भी निवेश किया। आरोप है कि सचिन और वैभव ने अचानक मंथली भुगतान बंद कर दिया।
एफआईआर में वैभव गहलोत पर जुआ खेलने का आरोप लगाया है। पीड़ित का आरोप है कि मुझे सूचना मिली कि वैभव गहलोत टी—20 क्रिकेट मैचों के लिए एक जुआरी है और वह अपना मासिक रिफंड इस पर खर्च करता है। इस बीच सचिन ने भुगतान करने के लिए समय मांगा। बाद में सचिन ने पैसा मांगने पर गालियां देनी शुरू कर दीं। उसने फोन उठाना भी बंद कर दिया।
सचिन वेलेरा ने पर्यटन विभाग के जिन टेंडरों के दस्तावेज दिखाए, जांच में वे सब फर्जी पाए गए। ई टॉयलेट के टेंडर थे ही नहीं। बाद में जब भुगतान नहीं मिला और फर्जीवाड़े का अहसास हुआ तो पीड़ित ने नासिक कोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने नासिक के गंगापुर थाने को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
सचिन भाई पुरुषोत्तमभाई वेलेरा, वैभव गहलोत, किशन कैंटेलिया, सरदार सिंह चौहान, प्रवीण सिंह चौहान, सुहास सुरेंद्रभाई मकवाल, निवभाई महेशभाई वीर्माभट, विश्वरंजन मोहंती, राजबीर सिंह शेखावत, प्रग्नेश कुमार विनोदचंद्र प्रकाश, संजय कुमार देसाई, सावन कुमार ए पारनर, रिशिता शाह और विराज गनवाल को आरोपी बनाया है। इनपर टेंडर के फर्जी दस्तावेज दिखाकर पैसा हड़पने और साजिश रचने का आरोप है।
ई-टायलेट टेंडर घोटाला : वैभव गहलोत की आड में BJP का मुख्यमंत्री पर निशाना