नई दिल्ली। दिल्ली में तीनों नगर निकायों को एक करने के लिए प्रस्तावित विधेयक को आज विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा में पेश किया गया।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 को पेश करते हुए कहा कि इस विधेयक के पारित होने से दिल्ली में नगर निकाय व्यवस्था में एकरूपता आएगी, नीतियां ठोस होंगी और कर्मचारियों के वेतन भुगतान जैसी समस्याओं का समाधान हो सकेगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक दिल्लीवासियों के हित में है।
कांग्रेस तथा रिवोलेशनरी सोशलिस्ट पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि यह राष्ट्रीय राजधानी में नगर निकायों के चुनाव टालने की सत्तारूढ दल की साजिश है।
आम आदमी पार्टी ने भी इस विधेयक का विरोध किया है हालांकि पार्टी के सांसद भगवंत मान के पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बाद सदन में पार्टी का कोई सदस्य नहीं है। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने इस विधेयक को संसद के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया। आएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, कांग्रेस के गौरव गोगोई और बसपा के रितेश पांडे ने विधेयक पर आपत्ति जताई और इसे सरकार की मनमानी कहा।
गौरतलब है कि दिल्ली में दक्षिणी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और उत्तरी दिल्ली नगर निगमों का गठन 2012 में किया गया था। इससे पहले महानगर में केवल एक ही नगर निकाय हुआ करता था। दिल्ली में सत्तारूढ आम आदमी पार्टी भी केंद्र में इसका विरोध करती आ रही है। इन निकायों के एकीकरण का फैसला नगर निगम चुनावों के ठीक पहले किया गया है। इस विधेयक को मंत्रिमंडल की पिछली बैठक में मंजूरी दी गई थी।
दिल्ली के तीनों निगमों में इस समय 272 वार्ड हैं जबकि इस विधेयक में 250 तक सीमित रखने का प्रावधान किया गया है। वर्ष 2007 में एकीकृत नगर निगम में दिल्ली में वार्डों की कुल संख्या 134 थी जिसे 2012 में बढाकर 272 किया गया था।