सिरोही। आम बोलचाल की भाषा में ‘ट्यूब लाइट’ होने का मतलब दो तरीके से लगा सकते हैं। एक रोशनी देने के लिए दूसरा ‘बड्डी कोड’ में व्यंग्य में ‘मूर्खता’ या किसी बात के देरी से समझने वाले ‘मंदबुद्धि’ या नासमझ व्यक्ति के लिए एक संसदीय विशेषण के रूप में।
लेकिन, ‘नहीं समझ में आया’ बोलकर जब ‘ट्यूबलाइट’ का विशेषण लगा दिया जाए तो ये कयास लगाना आसान है कि इस शब्द का इस्तेमाल निःसन्देह ‘बड्डी कोड’ के रूप में व्यंग्यात्मक रूप में किया गया है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनियां के सोमवार को सिरोही आगमन पर होली मिलन समारोह के माध्यम से पन्ना प्रमुख अभियान की शुरुआत की गई। इस दौरान आयोजित सभा में सतीश पूनिया में अपने भाषण की शुरुआत ही बिना नाम लिए सिरोही विधायक संयम लोढ़ा पर निशाना साधते हुए की। लोढ़ा ने विधानसभा में उनके उद्बोधन के बीच बोलने वाले भाजपा सदस्य को मुखातिब होते हुए कहा था कि ‘हां, हम हैं गांधी-नेहरू परिवार के गुलाम क्योंकि उन्होंने देश में सृजन किया है।’
पूनिया ने इसी उद्बोधन को अपने अंदाज में दोहराते हुए अपने भाषण में कहा कि ‘इस गुलामी ने 70 साल में देश को बर्बाद कर दिया है, मैं नहीं चाहता कि सिरोही 2023 में भी सिरोही का वो हाल हो।’ स्थानीय भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओ की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आने पर पूनियां ने कहा कि ‘नहीं आया समझ में’ सामने बैठे भाजपाई नेता भी गर्व से बोले ‘नहीं’।
इस पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा ‘ट्यूबलाइट की तरह। आपके साथ भी ऐसे ही हो रहा है जैसे अशोक गहलोत के राज में बिजली कटौती। ट्यूबलाइट भी ऐसे ही जलती है झप झप झप।’
सिरोही में भाजपा के होली स्नेह मिलन के दौरान मंच के पास एकत्रित लोगों को हटाने के लिए उठे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया।अनुशासनहीनता ऐसी की प्रदेशाध्यक्ष को उठाना पड़ा
सिरोही में सिरोही विधानसभा औऱ आंशिक रेवदर विधानसभा का होली स्नेह मिलन था। इस दौरान कितने लोग आए या नहीं आए ये विषय आजकल बेमानी है। लेकिन, जितने लोग आए वो संगठन के दावे के अनुसार कितने अनुशासित थे या कार्यक्रम के आयोजक जिला संगठन का उन पर कितना नियंत्रण था ये पूनियां के मंच पर पहुंचने के बाद पता चला। आगे बैठने की जगह पहले ही भर गई थी।
सभी नेता बन चुके लोगों को पीछे बैठना अपने सम्मान पर चोट की तरह लग रहा था। सभी मंच के चारों ओर ही एकत्रित हो गए। जिला पदाधिकारी योगेंद्र गोयल के कई बार बोलने पर भी नहीं हटे। बाद में खुद पूनियां को अपनी सीट से उठकर उनसे मंच के आगे से हटकर पीछे कुर्सियों पर बैठने का अनुरोध करना पड़ा।
सांसद के भाषण तक पूर्व जन प्रतिनिधि को मंच पर जगह नहीं
कार्यक्रम व्यवस्थापक ने अपने ही संगठन के पूर्व जन प्रतिनिधि के की गरिमा में कमी रखने में यहां भी कमी नहीं छोड़ी। ये स्पष्ट इशारा रहा था कि जैसे बदले की राजनीति चल रही है। जबकि वो जन प्रतिनिधि पूनियां के कार्यक्रम स्थल पर आने से एक घण्टा पहले ही कार्यक्रम स्थल पर पहुंच चुके थे। पूनिया के मंच पर बैठने के बाद उद्बोधन शुरू हो गया।
सांसद का उद्बोधन खत्म होने के बाद उन्हें मंच पर बुलाने का निमंत्रण दिया। इस बात की श्रोता दीर्घा में काफी निंदा हुई। रेवदर प्राइवेट लिमिटेड पार्टी के विधायकी पद की दावेदारी के आड़े आने वाले प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी को मंच से दूर ही रखा गया। पसन्द-नापसन्द के आधार पर इतनी संख्या में लोगों को नजरअंदाज करने का प्रयास भाजपा में कभी देखने को नहीं मिला।
सिरोही में सतीश पूनिया के वाहन के आगे चल रहा काली एसयूवी का काफिला।प्रदेश के एक सज्जन नेता की ऐसी एंट्री
खुद भाजपाई ये मान रहे थे कि विशेषकर सिरोही के कार्यक्रम को जिला भाजपा की जगह किसान मोर्चा ने पूरी तरह से हैक कर लिया था। होर्डिंग बैनर हो या शहर में घुसते ही स्वागत हो। अति उत्साह में किसान मोर्चा ने पूनियां की जीप के आगे 11 काली एसयूवी के साथ शहर में एंट्री की व्यवस्था की और आश्चर्य की बात ये कि आयोजक भी इसकी सहमति को तैयार हो गए।
आम तौर पर ये नजारा दक्षिण भारत की मूवी में किसी विलेनिक नेता की एंट्री पर उसके डर और दबंगई के प्रदर्शन के लिए किया जाता है। जैसे कि व्यवहार में सज्जन पूनियां तो बिल्कुल भी नहीं है। जिले में मुख्यमंत्री रहे बिना वसुंधरा राजे भी आई हैं, लेकिन इससे पहले कोई भी जिले में उनकी गरिमा के साथ ऐसा नहीं कर सका था।
ये नजारा दे रहा था विशेष सन्देश
माली समाज छात्रावास मार्ग पर सिंधी समाज धर्मशाला से आयोजन स्थल तक का एक नजारा विशेष रजनीतिक सन्देश देने वाला था। इस स्थान पर दोनों तरफ कोई कार्यकर्ता नहीं होने से पूनियां उनकी रथनुमा जीप पर बैठ गए थे, लेकिन सबगुरु न्यूज कैमरे में उनके साथ बैठे व्यक्ति का जो दृश्य कैद हुए वैसा सार्वजनिक प्रदर्शन एक विशेष सन्देश देता लग रहा है। इस इस मार्ग पर पूनियां के साथ पूर्व विधायक ओटाराम देवासी बैठे हुए थे, सांसद और जिलाध्यक्ष पास में खड़े हुए थे।
देवासी राजस्थान में राजे खेमे के माने जाते हैं, हाल में केशवराय पाटन में अपने शक्ति प्रदर्शन में देवासी खेमे की भागीदारी की भी राजनीतिक चर्चा है। पूनियां को वसुंधरा का धुर विरोधी मना जाता है। ऐसे में देवासी को अपने साथ बैठाकर गुफ्तगूं करना जिला भाजपा में ही देवासी विरोधियों के लिए ये सन्देश तो नहीं कि भले ही देवसी सिरोही के स्थानीय नहीं हैं, सिरोही भाजपा में उनका कद कम नहीं हुआ है।
वसुंधरा खेमे को भी साधने की कोशिश!
पूनियां अपने इस दौरे में कुछ ऐसी तस्वीरें भी सामने आई जिससे ये संदेश जाता दिखा कि वो आगामी विधानसभा में उनके लिए चुनौती बनी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खेमे के जिले के लोगों को भी साधने में लगे हुए हैं या उनके खेमे के लोग पूनियां को साधने में लगे हैं।
सिरोही में देवासी से गुफ्तगूं की तस्वीरों से पहले आबूरोड से सिरोही आते समय की भी ऐसी तस्वीरें वायरल है जिनमे वो ऐसे धड़े के लोगों के साथ भी घनिष्ठता से दिखे जो वसुंधरा के केशवराय पाटन में पूनियां धड़े की चेतावनी के रूप में देखे जा रहे कार्यक्रम में थे।