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देश को आगे बढ़ाने वाले सभी तंत्र स्व आधारित हो : स्वांतरंजन - Sabguru News
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देश को आगे बढ़ाने वाले सभी तंत्र स्व आधारित हो : स्वांतरंजन

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देश को आगे बढ़ाने वाले सभी तंत्र स्व आधारित हो : स्वांतरंजन

जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख स्वांतरंजन ने कहा कि स्वतंत्रता का अर्थ है कि वे सभी तंत्र जिनके आधार पर देश आगे बढ़ता है, स्व पर आधारित हो। इसके लिए देश की जनता को, शासकों और प्रशासकों को भारत के स्व को जानना चाहिए। इस स्व को जानने और मानने के लिए भारत आधारित विचार को स्थापित करना होगा।

स्वांतरंजन देश की स्वाधीनता को 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सोमवार को ज्ञान गंगा प्रकाशन की ओर से सदानंद दामोदर सप्रे द्वारा लिखित पुस्तक “स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर” पर परिचर्चा में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि गणतंत्र हमारी प्रकृति में ही रहा है। प्रारंभ से ही हमारे यहां राज्य तंत्र में भी राजा का चुनाव होता था, लिछवी जैसे कई गणराज्य तो गणतंत्र के कारण ही जाने गए। इसीलिए गणतंत्र का चुनाव हमारे स्व का प्रतीक है। अब कृषि, शिक्षा, शासन, संस्कृति, उद्योग, तकनीकी, जीवन मूल्य और साहित्य समेत सभी क्षेत्रों में स्व की आवश्यकता है।

पुस्तक में आया है कि स्वाधीनता प्राप्त करने से पूर्व यह सामान्य विचार था कि जब देश स्वाधीन होगा। अपने लोगों का शासन आएगा। स्वाभाविक रूप से ही देश के सारे तंत्र और व्यवस्थाएं भारतीय विचारों पर आधारित होगी। लेकिन 15 अगस्त 1947 को हम स्वाधीन तो हो गए हैं परंतु पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं अर्थात स्व का तंत्र स्थापित नहीं कर पाए। आज भी हमारे देश में अधिकांश व्यवस्थाएं अंग्रेजी विचार पर आधारित है। पुस्तक को श्री भारती प्रकाशन, नागपुर में प्रकाशित किया है।

परिचर्चा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम, जयपुर प्रांत के प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेन्द्र गणमान्य प्राध्यापक, पत्रकार, लेखक और विचारक उपस्थिति थे।