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Kumar vishvas spread it's magic through poetry and sattires - Sabguru News
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राजनीतिक व्यंग्यों से कुमार विश्वास और सम्पत सरल ने शिवगंज में बांधा समा

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राजनीतिक व्यंग्यों से कुमार विश्वास और सम्पत सरल ने शिवगंज में बांधा समा
शिवगंज स्थापना दिवस महोत्सव के दौरान कवि सम्मेलन सुनने आये श्रोता।
शिवगंज स्थापना दिवस महोत्सव के दौरान कवि सम्मेलन सुनने आये श्रोता।
शिवगंज स्थापना दिवस महोत्सव के दौरान कवि सम्मेलन सुनने आये श्रोता।

शिवगंज। शहर के पेवेलियन मैदान में सजा शिवगंज महोत्सव के भव्य मंच पर जगमगाती रोशनी, खचाखच भरा पांडाल और श्रोताओं की ख्यातनाम कवि कुमार विश्वास को सुनने की बेसब्री।

ठीक सवा नौ बजे कुमार पांडाल में प्रवेश करते हैं, इसके साथ ही श्रोताओं का इंतजार खत्म होता है और देर तक तालियों की गडग़ड़ाहट पेवेलियन मैदान को गुंजायमान करती है। मौका था सिरोही जिले के प्रमुख व्यापारिक शहर शिवगंज के 167 सालों के गौरवशाली इतिहास का, पहली बार मनाए जाने वाले स्थापना दिवस महोत्सव का। तीन दिवसीय इस स्थापना दिवस महोत्सव में बुधवार की दूसरी श्रृंखला में अंतरराष्ट्रीय कवि कुमार विश्वास की अगुवाई में आयोजित कवि सम्मेलन का आगाज हुआ।

व्यंज्य और अपने मुक्तकों से मंत्रमुग्ध कर देने वाले कवि कुमार विश्वास ने जब ‘कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती के बैचेनी को बस बादल समझता है’ चिरपरिचित मुक्तक सुनाया तो श्रोताओं ने गर्मी में भी बादल की ठंडी फुहारें महसूस की।

शिवगंज के स्थापना दिवस के उपलक्ष में उपखंड प्रशासन, नगर पालिका प्रशासन और महाविद्यालय विकास समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस विशाल कवि सम्मेलन में मुख्यमंत्री के सलाहकार विधायक संयम लोढ़ा सहित सिरोही कलक्टर भंवरलाल, पाली कलक्टर नामित मेहता, जिला सत्र एवं सेंशन न्यायाधीश प्रशांत वर्मा, पुलिस अधीक्षक सिरोही धर्मेन्द्रसिंह यादव, कांग्रेस नेता एवं रानीवाड़ा के पूर्व विधायक रतन देवासी, सिरोही नगर परिषद के सभापति महेन्द्र मेवाडा, शिवगंज के पालिकाध्यक्ष वजींगराम घांची, सिरोही एवं शिवगंज के उपसभापति जितेन्द्र सिंघी एवं चंपादेवी कुमावत आदि अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

शिवगंज की स्थापना के बाद यह भी पहला ही मौका था जब विधायक संयम लोढ़ा की प्रेरणा से प्रशासन की ओर से महोत्सव के मंच पर शिवगंज में स्कूल सहित चिकित्सालय, पुस्तकालय, बस स्टेंड आदि के लिए भवन उपलब्ध करवाने वाले तब से लेकर अब तक के भामाशाहों का स्वागत सम्मान कर उनको शिवगंज के विकास में सहयोग प्रदान करने के लिए शॉल व अभिनंदन पत्र प्रदान कर उनका नागरिक अभिनंदन किया गया हो।

कई सालों के बाद आयोजित हो रहे इस प्रकार के विशाल कवि सम्मेलन में उपस्थित श्रोताओं की हजारों की संख्या में उपस्थिति को देख कुमार विश्वास भी स्वयं को रोक नहीं पाए और उन्होंने शिवगंज की जनता का उनको दिए गए प्रेम और सम्मान के लिए आभार प्रकट किया। कुमार विश्वास ने राजस्थान की वीर प्रसुता भूमि को नमन करते हुए यहां की वीरता, भक्ति, बलिदान और प्रेम की असाधारणता का यशोगान किया।

उन्होंने कहा कि राजस्थान का इतिहास अप्रीतम है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व का इतिहास एक पलड़े में और भारत का इतिहास दूसरे पलड़े में तो भारत का इतिहास का पलडा भारी होगा। भारत का इतिहास एक पलड़े में रखें और राजस्थान का इतिहास दूसरे पलड़े में, तो राजस्थान का इतिहास भारी होगा। राजस्थान का इतिहास एक पलड़े में रखें और दूसरे पलड़े में मेवाड का इतिहास तो मेवाडा के इतिहास का पलड़ा भारी होगा। उनकी इस टिप्पणी पर सुधि श्रोताओं ने स्वयं को गौरवान्वित महसूस किया।

कुमार ने कहा कि राजस्थान से सदभाव के विपरित हाल ही में आई खबर ने मुझे विचलित किया। यह भूमि सदभाव के लिए जानी जाती है। कुमार ने टिप्पणियों के साथ-साथ, बीच-बीच में अपने मुक्तकों से कवि सम्मेलन को सार्थकता प्रदान की। प्रेम से पगे मुक्तकों की कड़ी में, ‘मुहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है, कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है, यहां सब लोग कहते है, मेरी आंखों में आंसू है, जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है’।

उन्होंने अपने एक मुक्तक ‘पुरानी दोस्ती को इस तरह ताकत से मत तोलो, ये संबंधों की तुरपाई है, षडयंत्रों से मत खोलो, मेरे लहजे की छैनी से गढे कुछ देवता जो कल, मेरे लफ्ज़ों पे मरते थे, अब कहते है मत बोलो’ सुनाकर अपने मन की पीड़ा व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि इस देश को बनाने में सबका योगदान है, कोई ये भ्रम नहीं पाले कि देश सिर्फ अभी विकास की ओर अग्रसर है। विकास चंद वर्षो का परिणाम नहीं होता, ये सतत चलने वाली प्रक्रिया है जो सबके मिले-जुले प्रयासों का परिणाम है। कुमार ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु से आज तक के प्रधानमंत्रियों के प्रयासों ने इस देश को विकास के नए आयाम दिए है। उन्होंने अपनी दृष्टि में लाल बहादूर शास्त्री को सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री बनाया।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी अतुलनीय थे और रहेंगे। गांधी की प्रासंगिकता को खारिज नहीं किया जा सकता। गांधी आज भी प्रासंगिक है और रहेंगे। उन्होंने ‘अपने अपने राम’ वैचारिक श्रृंखला से एक उदाहरण देते हुए कहा कि उस व्यक्ति को कभी नहीं भुलना चाहिए, जिसने संकट के समय में आपका साथ दिया हो। राम ने अपने राज्याभिषेक में एक अतिसाधारण केवट को आमंत्रण दिया। कुमार विश्वास ने राजनीतिक टिप्पणियों से भी सुधि श्रोताओं को खूब गुदगुदाया।

देश के एकमात्र गद्य व्यंज्यकार जयपुर से आए संपत सरल ने मंच पर अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज करवाई। उन्होंने कहा कि बाजार हर युग की जरुरत है, पर बाजारवाद का अर्थ है चीजें बनाकर जरुरतें पैदा करना। उन्होंने कहा कि उजाला बनाया जा सकता है, मगर धूप नहीं।

संपत सरल ने अपनी सहज और सरल एक गद्य कविता भी सुनाई, जिसमें नए और पुराने दिनों की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि ईमान के अलावा सब कुछ सस्ता था। आज हम आवारा पंूजीवाद में जी रहे है। आज सब भाग रहे है, पर पहुंच कोई नहीं रहा है। उन्होंने कुछ राजनीतिक टिप्पणियों से भी श्रोताओं को गुदगुदाया।

घर का रस्ता भूल गई मैं..

श्रृंगार रस की शायरा मुमताज नसीम ने अपने गीतों और गजलों से महफिल को महकाया। उर्दू अदब की ख्यातनाम शायरा मुमताज ने ‘पागलपन में क्या बताऊं सजा क्या क्या भूल गई, तुझसे मिलकर लौट रही थी घर का रस्ता भूल गई’ गजल सुनाई तो सभी श्रोता मशहूर शायर कृष्णबिहारी नूर के एक शेर सब ‘अपने अपने चाहने वालों में खो गए’।

नसीम ने भारत पाक पर एक बेहतरीन नज्म पढ़ी कि जन्नतें-वादिए कश्मीर पे झगड़ा क्यू है, ये इलाका तो हमारा है,तुम्हारा क्यूं है’ तो पांडाल वाह वाही से गूंज उठा। उन्होंने सुमधुर स्वर में प्रेम गीत ‘बदरिया रे वहां जा के बरसो, जहां मोरे सांवरिया है’ सुनाकर युवा श्रोताओं की तालियां बटोरी।

सरकार ने चौराहे पे मशीन लगा दी..

हास्य कवि और पेरोडीकार पार्थ नवीन ने लॉकडाऊन पर अपनी रचना ‘सरकार ने चौराहे पे मशीन लगा दी, उसने तो फस्ट डोज की दो तीन बार लगा दी। उन्होंने कोरोना पर पेरोडी मैं तो चाईना से आ रहा था और फैलता ही जा रहा था।’ सुनाकर ठहाकों की झडी लगवाई। नवीन ने ‘बड़ा गजब का फैशन, लव के दो दो सेशन, कहती दिल्ली में हूं और गोवा का लोकेशन’ सुनाकर आज की मुहब्बत की नब्ज टटोली।

जहां हिन्दुआ सूरज है और सेनापति मुसलमान है

राजस्थान के कवि रणजीतसिंह राणा ने हम राजस्थान के लोग इसलिए गर्व से सीना तानते है,कि हम प्रेम में जहर पीना जानते है।’ सुनाकर राजस्थान की गौरव गाथा गाई। राणा ने अकबर और महाराणा प्रताप की तुलना करते हुए पढलो इतिहास पूरा उनका, कहां ऐसा सौपान है, जहां हिन्दुआ सूरज है और सेनापति मुसलमान है’ सुनाकर महाराणा प्रताप की सद्भावना और सौहार्द की बेमिसाल कीर्ति का यशगान किया।

कवि सम्मेलन का समापन कुमार विश्वास ने कविता के माध्यम से शहीदों को नमन करते हुए किया। मंच का संचालन भारत युवा कला रत्न कार्तिकेय शर्मा ने किया। इस अवसर पर आयोजन समिति के सचिव डॉ रवि शर्मा, देवराज अग्रवाल, अधिशासी अधिकारी नीलकमलसिंह, महाविद्यालय प्राचार्य डॉ एनएस देवडा, मनीष सर्राफ, नरेन्द्र जैन, सोमप्रसाद साहिल, पार्षद प्रकाश मीना, जगवीरसिंह गोहिल, मंजू जैन, प्रवीण जैन, किस्तुर घांची, राजेन्द्रसिंह, मालमसिंह, नारायण परिहार, शिविसंयम लोढ़ा, कोमल परिहार, सिरोही नगर परिषद के पार्षद आल्पा सरपंच नारायणलाल रावल सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

एक साथ कई भामाशाहों का सम्मान

शिवगंज स्थापना दिवस महोत्सव के अवसर पर पहली बार इतनी बड़ी संख्या में भामाशाहों का नागरिक अभिनंदन किया जो इतिहास बन गया। कार्यक्रम में विधायक संयम लोढ़ा सहित कलक्टर भंवरलाल ने शिवगंज में तब से लेकर अब तक स्कूल, चिकित्सालय, लाइब्रेरी, आयुर्वेद अस्पताल, नया बस स्टेंड, पुराना बस स्टेंड आदि भवनों का निर्माण कर इस शहर के विकास में योगदान देने के लिए मीडिल स्कूल महात्मा गांधी अंगे्रजी स्कूल निर्माण के लिए हरकचंद रूपचंद खींचा परिवार, बालिका सीनियर माध्यमिक विद्यालय भवन के लिए शिवराज पुनमचंद परिवार, अस्पताल के सामने का विद्यालय भवन के लिए गोमराज फतेहचंद परिवार, राजकीय महाविद्यालय भवन निर्माण के लिए संघवी पूरीबाई भूरमल जैन धनापुरा वाला परिवार, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भवन एवं पोस्ट ऑफिस के सामने गल्र्स स्कूल के लिए संघवी भूरमल तेजाजी धनापुरा वाला परिवार, ऐरनपुरा स्कूल भवन के लिए मन्नालाल गुदडमल अग्रवाल परिवार, संतोषी नगर स्कूल भवन के लिए राधादेवी तेजूमल लखवानी परिवार, लाईब्रेरी भवन के लिए धनराज मीठालाल राठौड परिवार, आयुर्वेद चिकित्सालय भवन के लिए लच्छीराम गुदडमल अग्रवाल परिवार, नया बस स्टेंड भवन के लिए सुरजीबाई सुआलाल अग्रवाल परिवार, राजकीय चिकित्सालय प्रथम देेवीचंद मूलचंद जोधजी परिवार, राजकीय चिकित्सालय द्वितीय के लिए रतनदेवी घीसूलाल कपूरचंदजी परिवार, राजकीय चिकित्सालय में पांच कॉटेज वार्ड के लिए स्वर्गीय गोपीलाल कानमल सोनी परिवार, दादावाडी स्कूल भवन के लिए संघवी बाबूलाल अचलाजी परिवार, ग्रामीण बस स्टेंड के लिए श्रीमती मेहताब कंवर धनराजजी गेमावत परिवार, पुरान बस स्टेंड स्थित सार्वजनिक विश्राम गृह बुकिंग कक्ष निर्माण के लिए शाह वनेचंद हीराचंदजी एंड कंपनी, राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय इन्द्रा कॉलोनी भवन के लिए शाह मगनीराम भुताजी सोलंकी कलापुरा परिवार तथा भूमि दानदाता के रूप में दिनेश कुमार मंगलचंद मेहता परिवार का नागरिक अभिनंदन करते हुए शॉल ओढा, पुष्पगुच्छ भेंट कर तथा अभिनंदन पत्र प्रदान कर सम्मान किया।