लंदन। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ द्वारा देश वापसी की इच्छा जताने के बाद उनकी वापसी की संभावना बढ़ गई हैं और इसी के साथ देश में सैन्य तानाशाही पर फिर से बहस छिड़ गई है।
मुशर्रफ वर्ष 1999 में नवाज शरीफ की सरकार को तख्तापलट करके सत्ता में आए थे। उन्होंने साल 2001 से 2008 तक राष्ट्रपति के पद पर कार्य किया, इसी बीच उन पर गंभीर आरोप लगे, जिसके बाद से वह पाकिस्तान छोड़कर ब्रिटेन और मध्य पूर्व में स्व-निर्वासित निर्वासन में रह रहे थे।
फिलहाल, पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ (78) ने अपना शेष जीवन को अपने घर पाकिस्तान में बिताने की इच्छा व्यक्त की। सैन्य प्रवक्ता ने कहा कि उनकी इच्छा पूरी की जानी चाहिए।
द गार्जियन ने सीनेट के पूर्व अध्यक्ष रजा रब्बानी के हवाले से कहा कि वह मुशर्रफ की घर वापसी की अनुमति देने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है क्यों कि देश की जनता पर उनके द्वारा किए गए जुर्म आज भी लोगों के जेहन में हैं।
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने आरोप लगाया कि मुशर्रफ ने राजनीति का गला घोंटकर अपने हित के लिए अपने ही देश की अच्छाईयों पर पानी फेर दिया। मुशर्रफ ने एक साक्षात्कार में कहा था कि मुझे लगता है कि संविधान कूड़ेदान में फेंकने के लिए सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है।