अगरतला। त्रिपुरा में चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव की रविवार को हुई मतगणना में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री माणिक साहा की बर्दोवाली सीट सहित तीन सीटों पर जीत हासिल की है वहीं कांग्रेस ने अगरतला निर्वाचन क्षेत्र की प्रतिष्ठित सीट पर जीत हासिल की। भाजपा ने बर्दोवाली और सूरमा को बरकरार रखा तथा जुबराजनगर को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से छीना है।
पहला सीधा चुनाव लड़ने वाले मुख्यमंत्री माणिक साहा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के आशीष साहा को 6,104 मतों से हराया। डा. साहा को 17,181 मत मिले तथा कांग्रेस उम्मीदवार को 11,077 मत मिले। आशीष साहा ने यह सीट 2018 में जीती थी लेकिन कांग्रेस में शामिल होने पर इसे छोड़ दिया था।
अगरतला सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता सुदीप रॉयबर्मन ने भाजपा के अशोक सिन्हा को 3,163 मतों से हराया। रॉयबर्मन को 17,431 मत मिले जबकि भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष को 14,268 मत मिले।
कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से छीन ली, क्योंकि रॉयबर्मन ने भगवा पार्टी के टिकट पर 2018 में जीत हासिल की थी। बाद में उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से अपना इस्तीफा दे दिया। रॉयबर्मन की जीत कांग्रेस के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में आई। राज्य में चार साल पहले हुए विधानसभा चुनावों में किसी भी सीट को हासिल करने में विफल रहने के बाद कांग्रेस राज्य विधानसभा में फिर से अपना खाता खोला।
भाजपा के उम्मीदवार मालिना देवनाथ ने उत्तर त्रिपुरा जिले के जुबराजनगर से माकपा के उम्मीदवार शैलेंद्र चंद्र नाथ को 4572 मतों से पीछे छोड़ते हुए जीत हासिल की। चार साल पहले वहां जीती माकपा के लिए यह एक झटका था। इस साल की शुरुआत में मौजूदा विधायक रामेंद्र चंद्र देवनाथ निधन के बाद उपचुनाव जरूरी हो गया था। सुश्री देवनाथ को 18769 वोट मिले, और नाथ को 14197 वोट मिले।
भाजपा की स्वप्ना दास ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी तिप्रा मोथा के बाबूरामसतनामी पर 4623 वोटों के अंतर से धलाई जिले की सूरमा सीट जीती। सुश्री दास को 16677 वोट मिले, जबकि मोथा उम्मीदवार को 12094। माकपा उम्मीदवार और पूर्व विधायक अंजन दास को 8415 वोट मिले।
तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार अर्जुन नामसुद्र को 1341 वोट मिले, जो कि उपचुनाव के मौजूदा दौर में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार द्वारा हासिल सबसे अधिक वोट है। सूरमा को उपचुनाव में इसलिए धकेल दिया गया क्योंकि भाजपा के मौजूदा विधायक तृणमूल में शामिल हो गए और उन्होंने इस सीट से अपना इस्तीफा दे दिया।
इन चारों सीटों पर 23 जून को उप चुनाव हुआ था। माकपा के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा, जिसने 2018 तक राज्य पर निर्बाध रूप से शासन किया, को भाजपा से एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा क्योंकि इसके उम्मीदवार तीन सीटों पर तीसरे स्थान पर रहे।
तृणमूल कांग्रेस के लिए भी राज्य में प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। ऊर्जावान और हाई-प्रोफाइल अभियान के बावजूद तृणमूल उप-चुनावों में ज्यादा बढ़त बनाने में विफल रही, उसके सभी चार उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।