सबगुरु न्यूज-सिरोही। माउंट आबू के लोगों को हक़ दिलाने के लिए बनाई गई आबू सँघर्ष समिति के अपने उद्देश्य में पूर्णतः विफल हो जाने के बाद अब स्थानीय लोग खुद ही अपने हक की लड़ाई लड़ने को आगे आने लगे हैं। अब ये सँघर्ष माउंट आबू से उतरकर जिला मुख्यालय पहुंचता दिख रहा है।
ईको सेंसेटिव जोन माउंट आबू में वन एवम पर्यावरण मंत्रालय के नोटिफिकेशन के अनुसार नव निर्माण, पुनर्निर्माण, रिनोवेशन, एडीशन अल्ट्रेशन जैसे कार्यों के नगर पालिका के पास आ जाने के बाद भी नगर पालिका माउंट आबू के द्वारा भवन निर्माण समिति की बैठक कर राहत नहीं मिलने से आहत शैतानसिंह ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर राहत की मांग की है। शैतानसिंह ने राहत नहीं मिलने पर कलेक्ट्रेट परिसर पर सत्याग्रह की मजबूरी बताई है।
मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा और जिला कलेक्टर सिरोही को सौंपे अपने ज्ञापन में बताया कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के 25 जून 2009 के नोटिफिकेशन के अनुसार माउंट आबू में जोनल मास्टर प्लान लागू हो चुका है। 2019 में बिल्डिंग बायलॉज भी लागू हो गया।
डीएलबी ने 27 दिसम्बर 2019 के अपने आदेश क्रमांक 6886 में ईको सेंसेटिव जोन माउंट आबू में बिल्डिंग बायलॉज़ के अनुसार भवनो के नव निर्माण, पुनर्निर्माण, मरम्मत, रिनिवेशन, एडिशन अल्ट्रेशन आदि के अधिकार भवन निर्माण समिति को हस्तांतरित कर दिए थे। 31 जुलाई 2020 को डीएलबी ने माउंट आबू की भवन निर्माण समिति का गठन भी कर दिया।
25 अप्रेल 2022 को मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा द्वारा विधानसभा में प्रकरण उठाने के बाद बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार एस 2 जोन का सीमांकन भी कर दिया गया है। लेकिन इसके बाद भी माउंट आबू के आम लोगों की समस्या के निराकरण के लिए माउंट आबू नगर पालिका भवन निर्माण समिति की बैठक आयोजित करके स्थानीय लोगों को राहत नहीं दी जा रही है। ज्ञापन मेंबताया कि ईको सेंसेटिव जोन में स्थानीय लोगों को राहत देनी थी, उसके लिए न्यायालय ने सारे प्रावधान भी किये हैं। लेकिन, इसका फायदा बाहरी लोगों को दिया जा रहा है पर स्थानीय निवासियों को नहीं।
-जानलेवा बनता जा रहा है एसडीएम का दोहरा मापदंड
नो कंस्ट्रक्शन जोन में बन रही लिमबड़ी कोठी को एक तल्ला बढाने के लिए बेहिसाब निर्माण सामग्री जारी करने वाले माउंट आबू के उपखण्ड अधिकारी द्वारा सामान्य आबूवासी की ज़िंदगी को कैसे खतरे में डाला है इसकी बानगी सोमवार को देखने को मिली।
यहां नगर पालिका द्वारा मरम्मत की अनुमति दिए जाने के बाद भी उपखण्ड अधिकारी द्वारा निर्माण सामग्री जारी नहीं करने से एक होटल के कमरों की छत का प्लास्टर जमीन पर गिर गया और छत से आरसीसी के सरिए नजर आने लगे हैं।
नगर पालिका और उपखण्ड अधिकारी कार्यालय के बीच मरम्मत की अनुमति की पत्रवलियों को लंबे समय तक अटकने के अलावा नगर पालिका के तकनीकी कर्मचारी द्वारा दी गई रिपोर्ट को उपखण्ड अधिकारी द्वारा लटकाए रखने की आदत अब माउंट के लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ने लग रही है। नव निर्माण की पाबंदी होने के बावजूद लिमबड़ी कोठी को आरसीसी और पिलर के लिए सरिए जारी करने वाले उपखण्ड अधिकारी के लिए आम आदमी की जिंदगी कितनी सस्ती है सोमवार का प्रकरण इसका उदाहरण भर है।
काँग्रेस राज में माउंट आबू उपखण्ड अधिकारी की तरह आम लोगों की समस्या को अनदेखी करने की छूट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस व्यक्ति के भवन की छत धराशायी हुई वो कांग्रेस का पार्षद और पदाधिकारी है।
वही कांग्रेस जिसके मुख्यमंत्री राज्य में हैं। वही कांग्रेस जिसकी सरकार के मंत्री शांति धारीवाल ने सिरोही विधायक संयम लोढ़ा द्वारा माउंट आबू में टोकन व्यवस्था हटाने की मांग पर ये कहा था कि एकाधिकार मिलने से अधिकारी निरंकुश हो जाते हैं। वही कांग्रेस जिसने अपने जोधपुर के एक नेता के पुत्र को अनाप-शनाप निर्माण सामग्री जारी करने पर आम आदमी का हक मारने की मौन स्वीकृति दे दी है।