वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल उद्देश्यों का जिक्र करते हुए कहा है कि इस नीति का पहला मूलमंत्र युवाओं को संकुचित सोच से निकालकर, उन्हें तकनीकी और उन्नत सोच की ओर ले जाना है। जिससे सिर्फ डिग्री धारक युवाओं की फौज खड़ी करने से देश को बचाया जा सके।
मोदी ने गुरुवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम को संबोधित करते हुए कहा कि आज़ादी के पहले शिक्षा का मकसद शिक्षित लोग नहीं बल्कि सेवक वर्ग तैयार करना था। वो अंग्रेज़ों की शिक्षा पद्धति थी, लेकिन अब ऐसी शिक्षा पद्धति की जरूरत है जो केवल युवाओं को डिग्रीधारक न बनाए बल्कि उनमें नेतृत्व की क्षमता भी पैदा करे।
वाराणसी में हो रहे शिक्षा समागम के महत्व का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये शिक्षा समागम उस पवित्र धरती पर हो रहा है, जिस धरती पर आज़ादी से पहले एक शिक्षा का केंद्र स्थापित हुआ था। देश में आज़ादी का अमृत काल चल रहा है, विद्या ही अमरत्व का मार्ग है, काशी को मोक्ष का स्थान माना गया है और विद्या का बोध केंद्र यहीं स्थापित हुआ।
उन्होंने कहा कि बनारस शिक्षा और ज्ञान का केंद्र था, क्योंकि यहां की शिक्षा और ज्ञान बहुआयामी थी। मोदी ने कहा कि नये भारत के निर्माण के लिए आधुनिक व्यवस्थाओं का समावेश होना जरूरी है। देश को आगे बढ़ने के लिए जितने भी मानव संसाधनों की जरूरत हो, वे सभी शिक्षा व्यवस्था को देश के लिए मिलने का संकल्प लेना चाहिए। इस संकल्प का नेतृत्व शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों को करना है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने दोपहर बाद वाराणसी पहुंचने पर स्थानीय एलटी कॉलेज में अक्षय पात्र मध्यान्ह भोजन रसोई का उद्घाटन किया। इस रसोई में लगभग एक लाख बच्चों के भोजन की आपूर्ति करने की क्षमता है। इससे पहले वाराणसी पहुंचने पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हवाईअड्डे पर उनकी अगवानी की।
अखिल भारतीय शिक्षा समागम को संबोधित करते हुए योगी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने ज्ञान के सभी द्वार खोले हैं। इसके लिए देश भर के शिक्षाविदों का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि काशी सांस्कृतिक शिक्षा की प्राचीन राजधानी रही है। महामना ने यहीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। इस शिक्षा समागम में मंथन से जरूर कोई नया मार्ग निकलेगा।
योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्नातक स्तर पर लागू कर चुका है। इसी क्रम में राज्य सरकार तकनीकी शिक्षा क्षेत्र में भी इस नीति को आगे बढ़ाने की ओर अग्रसर है। उन्होंने प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को नवाचार के माध्यम से जोड़ने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि छात्र छात्राओं को शासन की योजनाओं की भी जानकारी देना आवश्यक होता है। जब छात्र शिक्षा पूरी करके निकले तो उसके सामने भविष्य की पूरी जानकारी हो तभी शिक्षा प्रणाली उसके लिए लाभदायक साबित होगी।