जयपुर। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के राष्ट्रीय संगठन लघु उद्योग भारती की ओर से सहकार मार्ग स्थित सेवा सदन में प्रदेशभर के आयुर्वेद एवं फूड निर्माताओं के लिए ‘आयुर्वेद आहार- कॉन्सेप्ट्स, रेगुलेशन एंड इम्प्लीमेंटेशन’ विषयक विशेष सत्र आयोजित किया गया जिसे राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ दिल्ली के डायरेक्टर और रस शास्त्र विशेषज्ञ डॉ. अनुपम श्रीवास्तव ने संबोधित किया।
डॉ. अनुपम ने बताया कि केंद्र सरकार की प्रगतिशील सोच और कार्यप्रणाली की वजह से देश में आयुर्वेद उत्पादों के लिए वर्तमान समय ‘स्वर्णिम काल’ से कम नहीं हैं। उन्होंने विविध रिपोर्ट्स का उल्लेख करते कहा कि भारतीय आयुर्वेद इंडस्ट्री 2027 तक करीब डेढ़ लाख करोड़ की होगी।
उन्होंने भारतीय आयुर्वेदिक आहार की सफलता को रेखांकित करते हुए बताया कि ‘आयुर्वेद खिचड़ी’ और ‘गोल्ड़न मिल्क’ यानी हल्दी दूध पूरी दुनिया में इतने लोकप्रिय हैं कि जिनका वार्षिक कारोबार हज़ारों करोड़ में पहुंच गया है और इन जैसे अन्य उत्पादों के पेटेंट भी करा लिए गए हैं।
श्रीवास्तव ने विगत 5 मई को आयुष मंत्रालय की ओर से अधिनियमित नवीन संकल्पना आयुष आहार की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए फ़ूड एन्ड सेफ्टी स्टैण्डर्ड (आयुर्वेद आहार) रेगुलेशन-2022 के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने ‘आयुर्वेद आहार’ के लिए आवश्यक रजिस्ट्रेशन, सर्टिफिकेशन, लाइसेंसिंग, एक्रिडिटेशन, टेस्टिंग, क्वालिटी कण्ट्रोल, लेबलिंग, पैकेजिंग, हेल्थ एंड डिजीज रिस्क रिडक्शन क्लेम आदि महत्वपूर्ण विषयों पर उपस्थित उद्यमियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।
लघु उद्योग भारती के निवर्तमान अध्यक्ष ओमप्रकाश मित्तल ने कहा कि आयुर्वेद आहार निश्चित रूप से आयुर्वेद के क्षेत्र में एक नई क्रांति होगी और इससे स्टार्टअप और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। सभी ने लघु उद्योग भारती के आयुर्वेद चैप्टर शुरू करने का संकल्प लिया।
इससे पूर्व विषय प्रवर्तन अनिरुद्ध गोस्वामी और धन्यवाद ज्ञापन विवेक गुप्ता ने किया। सत्र का संचालन अभ्युदय शर्मा ने किया। कार्यक्रम में लघु उद्योग भारती के पूर्व राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोहनलाल शर्मा ‘खोज’, प्रदेश उपाध्यक्ष महेंद्र खुराना, अग्रणी उद्यमी नटवरलाल अजमेरा और उद्योग टाईम्स के को-एडिटर डॉ. संजय मिश्रा सहित प्रदेश के 60 से अधिक फ़ूड एवं आयुर्वेदिक ड्रग मैन्युफैक्चरर उपस्थित थे।