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Mismanagement in sirohi meducal collage affiliated hospital - Sabguru News
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सिरोही मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध चिकित्सालय: आंख दिखाने जाओगे तो हाथ-पांव तुड़वाकर आओगे

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सिरोही मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध चिकित्सालय: आंख दिखाने जाओगे तो हाथ-पांव तुड़वाकर आओगे
सिरोही मेडिकल कॉलेज से सम्बध्द चिकित्सालय में नेत्र विभाग में आंख की जांच करवाने के लिए जाने वाली वृद्धाओं का कीचड़ के कारण खतरा मोल लेने की मजबूरी।
सिरोही मेडिकल कॉलेज से सम्बध्द चिकित्सालय में नेत्र विभाग में आंख की जांच करवाने के लिए जाने वाली वृद्धाओं का कीचड़ के कारण खतरा मोल लेने की मजबूरी।
सिरोही मेडिकल कॉलेज से सम्बध्द चिकित्सालय में नेत्र विभाग में आंख की जांच करवाने के लिए जाने वाली वृद्धाओं का कीचड़ के कारण खतरा मोल लेने की मजबूरी।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध होने का बाद जिला चिकित्सालय की बदहाली में कोई सुधार हुआ हो गए आप बिल्कुल दावा नहीं कर सकते। हां, चिकित्सको के लिहाज से भले ही नम्बर बढ़ गए हों, लेकिन बदहाली खत्म हुई हो ऐसा नहीं है।

बारिश में चिकित्सालय के नेत्र विभाग के बाहर के हायल ऐसे हो गए हैं कि यदि आप अपनी कमजोर आंख की जांच करवाने गए हैं तो आपके हाथ पांव मजबूत होना जरूरी है। नहीं हुए तो मुख्य मार्ग से नेत्र विभाग के दरवाजे पर आने के प्रयास में ये टूट जाएंगे। वैसे गारंटी तो मजबूत हाथ-पांव वालों के भी नहीं है।
-वोटरलॉगिंग के कारण करना होता हैं स्टंट
नेत्र विभाग जानना चिकित्सालय साइड में है। जनाना चिकित्सालय में घुसते ही जो सबसे पहला भवन पड़ता है वो नेत्र विभाग का है। मुख्य मार्ग सीधे जानना चिकित्सालय चला जाता है और दाहिनी तरफ बने उद्यानों के पास से नेत्र चिकित्सा भवन का रास्ता है। मुख्य मार्ग से नेत्र चुकित्सा भवन तक जाने के लिए करीब 20-25 मीटर का जो रस्ता है उस पर बारिश में पानी करीब 6 इंच तक भर जाता है।

ऐसे इसलिए है कि जनाना चिक्तिसालय में नए भवन और जीर्णोद्धार के दौरान काफी निर्माण हुआ उस दौरान उन भवनों तक पहुँचने वाले मार्ग को भी मजबूत किया। टाइल्स लगाने से ये मार्ग ऊपर हो गया। वहीं नेत्र चिकित्सालय जाने वाला मार्ग नीचे हो गया। जिससे इस पर गड्ढा होने से पानी भर जाता है। इस क्षेत्र में स्थायी या अस्थाई लेवलिंग हो जाती तो मरीजों को जलभराव से मुक्ति मिलती।

जलभराव के कारण कीचड़ में पांव जाने से बचने के लिए जवान से लेकर 70-80 साल के बुजुर्ग तक पास के उद्यानों के लोहे की रेलिंग पकड़ कर लटकते हुए जाते हैं। किसी का भी हाथ छूटा तो आंख दिखाने के चक्कर में हाथ पांव और तुड़वा बैठेंगे।
-सबसे जनलेवा इंफेक्शन वाला एक वार्ड भी
इसी भवन में एक सबसे महत्वपूर्ण आईपीडी वार्ड भी है। शरीर का वो भाग जहां से जनलेवा इंफेक्शन फैलने का एंट्री पॉइंट होता है। ईएनटी यानी नाक, कान और गला विभाग का इनडोर पेशंट वार्ड। भवन के बाहर ही भरे कीचड़ में सने पांव लेकर इस भवन में प्रवेश का मतलब है इंफेक्शन का जनलेवा होना। ऐसे में इस भवन में इस वाटर लॉगिंग के कारण होने वाली गंदगी से समस्या सिर्फ ओपीडी के 6 घण्टे तक नहीं बल्कि इनडोर पेशंट वार्ड के मरीजों के लिए 24 घण्टे हैं।

ये हालात तब है जब जिला चिकित्सालय से सम्बद्ध मेडिकल कॉलेज में दो बड़े अधिकारी अब यहां बैठते हैं। एक प्रशासनिक अधिकारी दूसरे मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल। लेकिन, उनके कार्यालय से मात्र 100 मीटर दूरी पर जो हाल है वो लिफाफे का मजमून देखकर खत की इबारत बताने को काफी है।