नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले ‘शिवसेना’ के नेताओं और उनके समर्थक विधायकों द्वारा दायर याचिकाओं पर विचार करते हुए बुधवार को कहा कि कुछ मुद्दों पर एक बड़ी पीठ के निर्णय की आवश्यकता होगी।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी एवं न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल से संबंधित एक मामले में कई संवैधानिक सवाल उठे हैं। उसके लिए पांच-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा विचार की आवश्यकता हो सकती है।
शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष से कहा कि वह अगले आदेश तक ‘अयोग्यता’ संबंधी याचिकाओं पर विचार नहीं करे। अदालत ने राज्य विधायी सचिव को ‘राजनीतिक उठापटक’ से संबंधित सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने कहा कि क्या किसी पार्टी में अल्पसंख्यक को बहुमत द्वारा की गई नियुक्तियों को भंग करने का अधिकार है? इसके साथ ही अन्य मुद्दों पर फैसला किया जाना है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने आगे पूछा कि क्या होगा अगर एक मुख्यमंत्री को विधानसभा में नेता होने के बावजूद अपनी पार्टी का विश्वास हासिल नहीं है।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख एक अगस्त मुकर्रर की है। शीर्ष अदालत ने 11 जुलाई को महाराष्ट्र विधानसभा के नवनियुक्त अध्यक्ष को अयोग्यता याचिकाओं पर कार्यवाही आगे नहीं बढ़ाने को कहा था।
शीर्ष अदालत ने शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे और 48 अन्य विधायकों के बगावत के एक मामले की सुनवाई के बाद 29 जून को ठाकरे की नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार के लिए 30 जून को विधानसभा में विधायकों के शक्ति परीक्षण करने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।