कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस ने मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार के रूप में चुने जाने पर आपत्ति जताते हुए गुरुवार को घोषणा की कि वह छह अगस्त को होने वाले मतदान से अलग रहेगी।
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की मौजूदगी में प्रेस कांफ्रेंस में पाटी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी नीत सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में मार्गरेट अल्वा का नाम उनकी पार्टी से परामर्श किए बिना घोषित किया गया था। उन्होंने कहा कि बैठक में उपस्थित संसद के दोनों सदनों के अधिकांश सांसदों ने चुनाव में मतदान से दूर रहने के पक्ष में अपनी राय व्यक्त की है।
बनर्जी ने कहा कि हमारे 85 प्रतिशत सांसदों ने चुनाव से दूर रहने के पक्ष में अपनी राय व्यक्त की है। इसलिए तृणमूल कांग्रेस उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान में हिस्सा नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि अल्वा को विपक्षी उम्मीदवार के रूप में चुनने की पूरी प्रक्रिया के दौरान तृणमूल कांग्रेस से सलाह नहीं ली गई। उन्होंने कहा कि हमें किसी नाम से एलर्जी नहीं है। वास्तव में बनर्जी के साथ अल्वा के बहुत अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं, लेकिन इस तरह के राजनीतिक निर्णय व्यक्तिगत समीकरणों के आधार पर नहीं लिए जा सकते।
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने देश के दूसरे सबसे बड़े पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर तीन-चार नामों का भी प्रस्ताव रखा था, लेकिन अंतिम चुनाव होने से पहले हमें पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया था। हम विपक्षी उम्मीदवार के चयन के तरीके के खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी वैचारिक कारणों से धनखड़ का समर्थन नहीं कर सकती। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में उन्होंने पिछले तीन वर्षों में लगातार बंगाल के लोगों पर हमला किया। इसलिए उनकी पार्टी ने सर्वसम्मति से राजग उम्मीदवार का समर्थन नहीं करने का फैसला किया है। उन्होंने हालांकि इस बात से सहमति नहीं जताई कि तृणमूल कांग्रेस के फैसले से भाजपा से मुकाबला करने में विपक्षी एकता टूट जाएगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी के फैसले से धनखड़ को अतिरिक्त फायदा होगा, बनर्जी ने पलटवार करते हुए कहा कि मुझे अंकगणित दिखाओ। हमारे फैसले से उन्हें क्या फायदा होता है। संभावनाएं पहले से ही उनके पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी आने वाले दिनों में अपने भाजपा विरोधी रुख को और अधिक आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाएगी।
इस बीच तृणमूल कांग्रेस के इस आश्चर्यजनक फैसले की कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कड़ी आलोचना की है। वहीं भाजपा ने भी देश के दूसरे सर्वोच्च पद के लिए लोकतांत्रिक चुनाव से दूर रहने के लिए तृणमूल कांग्रेस की खिंचाई की।